मध्यप्रदेश का संसदीय क्षेत्र विदिशा 1967 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया था। इस संसदीय क्षेत्र को आठ विधानसभा क्षेत्रों से मिलाकर बनाया गया। रायसेन जिले से तीन, विदिशा से दो, सीहोर जिले से दो और देवास की एक सीट शामिल है। ऐतिहासिक महत्व के मान से सांची के बौद्ध स्तूप जो 1989 से विश्व धरोहर में सम्मिलित किए गए हैं। भोजपुर का विशाल शिव मंदिर, खातेगांव के समीप हंडिया और नेमावर में मां नर्मदा के घाट और विदिशा बेतवा नदी के समीप बसा होने से क्षेत्र का महत्व और बढ़ जाता है। लोकसभा क्षेत्र में ये सभी स्थान सम्मिलित हैं।
क्षेत्र के सियासी इतिहास को देखें तो 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में जनसंघ के पंडित शिव शर्मा ने कांग्रेस के आर पांडेय को पराजित किया था। 1977 में विदिशा से देश के प्रमुख अंग्रेजी समाचार पत्र के रामनाथ गोयनका ने जनसंघ के टिकट पर विजयाराजे सिंधिया के आग्रह पर चुनाव लड़ा। उन्होंने कांग्रेस के मणिभाई जे पटेल को पराजित किया था। 1977 में भारतीय लोकदल के राघवजी ने कांग्रेस के गुफराने आजम को एक लाख तेईस हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। 1980 में यह क्षेत्र जनसंघ के हाथ से कांग्रेस के पाले में पहुंच गया और 1980 में प्रतापभानु कृष्ण गोपाल ने राघव जी को 9553 मतों से हराया था। 1989 में राघवजी ने अपनी पराजय का बदला लिया और उन्होंने कांग्रेस के भानुप्रताप शर्मा को पराजित किया था।
1989 में भारतीय जनता पार्टी के नेता अटलबिहारी वाजपेयी ने चुनाव लड़ा। उनके विरुद्ध कांग्रेस के प्रताप भानुकृष्ण गोपाल खड़े थे। वाजपेयी की 104134 मतों से रिकॉर्ड विजय हुई थी। 1996 से 2004 तक चार बार भाजपा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह विजय रहे थे। 2009 और 2014 में भाजपा की सुषमा स्वराज विजय रही थीं। 2019 में भाजपा के रमाकांत भार्गव ने कांग्रेस के शैलेन्द्र पटेल को पांच लाख से भी अधिक मतों से पराजित कर रिकॉर्ड बनाया था। पिछले 36 वर्षों से विदिशा संसदीय सीट पर भाजपा का वर्चस्व है।