H

यूपी का वो आम जिसके के लिए पाकिस्तान और भारत के बीच आज भी है ‘जंग’

By: Sanjay Purohit | Created At: 19 May 2024 09:41 AM


साल 1981 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक ने भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को रटौल आम भेजे और कहा कि ये उनके देश के आम हैं. मीडिया में आम की खबर फैलने पर, उत्तर प्रदेश के रटौल गांव के लोगों ने दावा किया कि इस आम की शुरुआत उनके गांव से ही हुई थी और यह भारत की प्रजाति है, न की पाकिस्तान की.

bannerAds Img
भारत और पाकिस्तान के बीच बंटवारे के साथ ही विवाद शुरू हो गया था, जो आज तक चला आ रहा है. अलग-अलग मुद्दों पर दोनों देशों के बीच विवाद हैं. पाकिस्तान कश्मीर पर दावा करता है तो भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर. नदी के पानी को लेकर भी दोनों देशों में विवाद चलता रहता है. पर एक विवाद ऐसा है, जिसके बारे में जानकर कोई आश्चर्य में पड़ सकता है. यह विवाद है आम को लेकर. उत्तर प्रदेश के आम की एक प्रजाति पर दोनों देश अपना-अपना दावा करते रहते हैं. आइए जानते हैं कि यह विवाद कब और कैसे शुरू हुआ.

यह साल 1981 की बात है. भारत में प्रधानमंत्री थीं इंदिरा गांधी. पाकिस्तान में जनरल जिया उल हक राष्ट्रपति थे. तब जिया उल हक ने भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आम भेजे और कहा कि ये उनके देश के आम हैं. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को वे आम इसने पसंद आ गए कि उन्होंने जनरल जिया उल हक को पत्र लिखकर भेजे हुए आम की तारीफ की. साथ ही उनसे यह भी पूछ लिया कि ऐसे आम क्या केवल पाकिस्तान में ही मिलते हैं.

बागपत में रटौल गांव की प्रजाति के थे आम

मीडिया में आम की खबर बाहर आई तो उत्तर प्रदेश में बागपत जिले के रटौल गांव के लोग चौंक गए. पाकिस्तान ने जो आम प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भेजे थे और जिसे वह अपने यहां का बता रहा था, वह आम रटौल प्रजाति का था. रटौल गांव के लोगों का दावा था कि इस आम की शुरुआत उनके गांव से ही हुई थी और यह भारत की प्रजाति है, न की पाकिस्तान की.

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने पहुंच गए थे रटौल के लोग

बस इसी मुद्दे को लेकर रटौल गांव के लोग पहुंच गए दिल्ली और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की. उनको पूरे सबूत के साथ समझाया कि आम की यह प्रजाति भारत की है. रटौल गांव के एक किसान ने बताया कि वास्तव में बंटवारे के बाद उनके पिता के बड़े भाई अबरारुल हक सिद्दीकी रटौल से पाकिस्तान चले गए थे. वह अपने साथ रटौल आम की किस्म भी ले गए थे. वह आम उन्होंने मुल्तान में पैदा करना शुरू किया. साथ ही वहां उसी आम का नाम अपने पिता अनवरुल हक की याद में अनवर रातुल रख दिया.

पाकिस्तान ने आम पर डाक टिकट तक जारी कर दिए

मीडिया रिपोर्ट में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जनसंचार दफ्तर के निदेशक राहत अबरार के हवाले से बताया गया है कि मुल्तान आज रटौल आम के कारण दुनिया भर में जाना जाता है. दुनिया को लगता है कि मुल्तान में होने वाले आम इतने अच्छे हैं. हकीकत में यह भारत की प्रजाति है जो पाकिस्तान में इतनी प्रसिद्ध हुई कि उसके नाम से पड़ोसी देश में डाक टिकट तक जारी किए जा चुके हैं.