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नेताजी का बल, दलबदल।

By: Raaj Sharma | Created At: 21 October 2023 01:17 PM


उन सभी माननीयों को सप्रेम भेंट जो टिकट न मिलने पर नहीं टिके.

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सबने देखा है कि, मौसम कैसे रंग बदलते हैं

शरद, ग्रीष्म, वर्षा या बसंत सब आते-जाते हैं

अब अपने नेताजी को ही देख लो

उनके विचार, स्वाभिमान का सम्मान, निष्ठा या

लोगों के प्रति सच्चे और ईमानदार भाव से

काम करने का दृढ़ संकल्प ये सब भी

समय-समय पर आते-जाते रहते हैं

और साथ में वो सारा आत्मसम्मान जो उन्हें

अपने पुर्खों से विरासत में मिला है

जिसका समझौता कभी हो ही नहीं सकता

लेकिन हमने देखा है कि वो भी अपना चोला

कभी साफ कभी मैला पहनकर निकलते हैं

फिर लोग कहते हैं कि देखो नेताजी भी रंग बदलते हैं

लेकिन आप ही बताइए जब सत्ता का सूरज जाने लगे ढ़ल

या फिर चाहिए उन्हें थोड़ा और अतिरिक्त राजनैतिक बल

फिर क्या गलत है अगर कर भी लिया नेताजी ने दलबदल

अब हवा को ही देख लीजिए

कभी तेज, कभी धीमी, कभी ठंडी, कभी गरम

हवाएं भी तो अपना मिजाज हमेशा बदलती हैं ना

फिर हमारे प्यारे नेताजी प्रकृति से अलग हैं क्या ?

बिल्कुल नहीं, नेताजी तो प्रकृति के रक्षक हैं

पिछले साल ही तो गेंदे के फूल लगवाए थे सरकारी जमीन पर

जिनकी बनीं मालाएं अब हर चुनाव में मंच की शोभा बढ़ाती हैं

बस इसलिए कभी-कभी जैसे अभी

नेताजी के विचार, जनता के प्रति समर्पण का दायरा

ज्यादा नहीं, थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे हो जाता है

फिर जाहिर है उनके प्रेरणा स्त्रोत भी संग-संग बदलते हैं

ठीक वैसे जैसे मौसम रंग बदलते हैं

और हम सबने देखा है कि मौसम कैसे रंग बदलते हैं

Written by – Raaj Sharma.