क्या खास है इस कोणार्क चक्र में जिसे G-20 सम्मेलन में दिखाया गया, जानें इसकी खासियत
By: Richa Gupta | Created At: 11 September 2023 04:41 PM
भारत अपनी संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों और भव्य मंदिरों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। वहीं ओडिशा में एक ऐसा मंदिर है, जो सूर्य देव को समर्पित है।

भारत अपनी संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों और भव्य मंदिरों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। वहीं ओडिशा में एक ऐसा मंदिर है, जो सूर्य देव को समर्पित है। G-20 सम्मेलन के प्रतिनिधियों के स्वागत के दौरान भारत मंडपम के बैकग्राउंड में एक बड़ा पहिया लगाया गया था, जिसके बारे में जानने के लिए कई लोग उत्सुक थे। यह पहिया ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर के कोणार्क चक्र का प्रतिरूप है। कोणार्क सूर्य मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर को पद्म क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल है।
कोणार्क व्हील यहां का मुख्य आकर्षण
कोणार्क ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज का हिस्सा है, जिसमें पुरी और भुवनेश्वर भी शामिल हैं। यह मंदिर सूर्य देव के रथ जैसा दिखता है जिसमें 12 जोड़ी पहिए और 7 घोड़े हैं जो इसे खींच रहे हैं। कोणार्क व्हील यहां का मुख्य आकर्षण है। यह सन डायल की तरह काम करता है और माना जाता है कि यह सटीक समय दिखाता है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में भी शामिल है। इसका निर्माण 1250 ई. में राजा नरसिम्हादेव ने करवाया था। 12 पहिए साल के बारह महीनों का प्रतिनिधित्व करते हैं और पहिए के भीतर 8 डायल दिन के 8 पहर का प्रतिनिधित्व करते हैं। खूबसूरत कलाकृतियों से सुसज्जित यह मंदिर वास्तुकला और नक्काशी का अद्भुत उदाहरण है।
मंदिर के मुख्य भाग में प्रवेश करना मना
मंदिर प्रांगण नृत्य मंडप और जगमोहन में विभाजित है। सुरक्षा कारणों से मंदिर के मुख्य भाग में प्रवेश करना मना है। इसके अलावा आप यहां और भी कई चीजें देख सकते हैं. जो इस मंदिर को आकर्षक बनाती हैं। मंदिर के बगल के हिस्सों में बारह जोड़ी पहिए बने हैं, जिन पर अलग-अलग तरह की आकृतियां बनी हैं। प्रत्येक पहिये पर बनी आकृति का अपना-अपना महत्व है।
यहां जाने का सबसे अच्छा टाइम
यहां आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी तक है। समुद्र के नजदीक होने के कारण इस समय यहां का मौसम बेहद सुहावना रहता है। यहां घूमने का समय सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक है।