Jaipur: राजस्थान विधानसभा में वसुंधरा राजे की सिटिंग (Rajasthan Politics) पहली बार बड़ा मुद्दा बन गया है। विपक्ष ने सीनियर विधायक होने के बावजूद उन्हें निर्दलीय विधायकों वाले कॉलम में जगह देने के आरोप लगाए हैं। उनके करीबी विधायकों को भी उन्हीं की पंक्ति में सीट दी गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सदन में यह मुद्दा उठाया। पिछली सरकार में सचिन पायलट को लेकर इसी तरह की आवाजें गूंजी थीं। इस बार वसुंधरा राजे को साइडलाइन किए जाने पर बहस छिड़ी है। क्या उन्हें जानबूझकर ऐसी सीट पर बैठाया गया है?
क्या बोले वासुदेव देवनानी?
इस पर देवनानी ने कहा कि- 'इनको (सत्ता पक्ष की ओर इशारा करते हुए) शर्म नहीं आती, वसुंधरा जी कहां बैठी हैं, आप (चेयर की ओर इशारा करते हुए) देखिए इनको (राजे) ना पक्ष में बैठा रखा है। प्रतिपक्ष की लाइन में बैठा रखा है। हमारे पूर्व मुख्यमंत्री (अशोक गहलोत) नेता प्रतिपक्ष के पास बैठे हैं, लेकिन आप देखिए, जो निर्दलीय हैं, अन्य हैं उनके बराबर आपने अपनी दो बार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बैठा रखा है। ये अंतर्कलह है। कुर्सियां भी फिसलते देखी हैं बहुत। कुर्सी नहीं फिसले इसकी व्यवस्था कीजिए।' डोटासरा ने 24 जनवरी को विधानसभा में ये बयान दिया था।
पहले भी सिटिंग को लेकर हो चुका है विवाद
इस सरकार में ही नहीं, पिछली सरकार में भी सचिन पायलट (Rajasthan Politics) और कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की सिटिंग को लेकर विवाद उठ गया था। तब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने जैसी स्थितियों का सामना किया, ठीक वैसा ही माहौल वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के सामने आ खड़ा हुआ है। विधानसभा स्पीकर देवनानी ने बताया कि पक्ष हो या विपक्ष, नियम सबके लिए स्पष्ट हैं। आइये जानते हैं विधानसभा में सिटिंग कैसे होती हैं...
सबसे पहले जान लेते हैं विधानसभा में कौन मंत्री-विधायक कौनसी सीट पर बैठेगा, कैसे तय होती है? आपको बता दें कि विधानसभा में अध्यक्ष के दाईं (राइट साइड) ओर सत्ता पक्ष व बाईं ओर विपक्ष (लेफ्ट साइड) बैठता है। सबसे पहले पहली-दूसरी पंक्ति में मंत्रियों को बैठाया जाता है। इसके बाद आठ बार, सात बार, छह बार, पांचवी बार के विधायक होते हैं, सीनियरिटी के अनुसार मंत्रियों के बाद संबंधित विधायकों को स्थान दिया जाता है। सबसे आखिर में पहली बार वाले विधायकों को बैठाया जाता है।
अब आपको बताते हैं कि वसुंधरा राजे, अशोक गहलोत जैसे पूर्व मुख्यमंत्री या कोई पार्टी पदाधिकारी हैं, तो क्या उन्हें वरीयता दी जाती है? तो आपको बता दें कि बिल्कुल, पूर्व मुख्यमंत्रियों को सीट अलॉट करते समय इस बात का बिल्कुल ध्यान रखा जाता है। सदन में वे कहां बैठेंगे, इस मुद्दे पर उन्हें वरीयता दी जाती है, उन्हें आगे ही बैठाया जाता है। और हां, यदि कोई किसी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष है, तो उन्हें भी आगे ही स्थान दिया जाता है।
दरअसल, हाल ही में राजे की सिटिंग का मुद्दा उठा, पहले सचिन पायलट व प्रताप सिंह खाचरियावास की सिटिंग को लेकर विवाद हुआ, ऐसा क्यों? तो आपको बता दें कि हाल ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सिटिंग को लेकर मुद्दा उठाया गया। वसुंधरा राजे को फ्रंट की पहली पंक्ति में ही जगह दी गई है। उनके साथ हमने सत्ता पक्ष के वरिष्ठ विधायकों कालीचरण सराफ व प्रताप सिंह सिंघवी को भी वरीयता देते हुए बैठाया है। अब उनके भी पीछे कौन बैठता है, यह सवाल नहीं उठना चाहिए।
जब वासुदेव देवनानी से ये पूछा गया कि फिर डोटासरा ने ये मुद्दा क्यों उठाया? तो उन्होंने कहा कि राजनीति से प्रेरित होकर ये मुद्दे उठाना बिल्कुल गलत है। गोविंद सिंह डोटासरा को ध्यान होना चाहिए कि पहले सचिन पायलट चौथी पंक्ति में बैठे थे, तो तब उन्होंने इस तरह का मुद्दा नहीं उठाया। सदन के नियम हैं और सदन परंपराओं से चलता है। उसी के अनुसार सभी विधायकों की बैठने के लिए जगह तय की जाती है।
देवनानी से ये भी पूछा गया कि क्या पक्ष और विपक्ष के विधायकों की सिटिंग में कोई अंतर रखा जाता है? इस पर उन्होंने कहा कि नहीं, सदन में सिटिंग को लेकर सत्ता हो या विपक्ष एक जैसा व्यवहार किया जाता है। विधायकों को सीनियरिटी के अनुसार दोनों पक्षों में सीट दी जाती है। विपक्ष है तो नियमानुसार बाईं ओर बैठेगा। उनके सीनियर विधायकों को आगे और जूनियर्स को पीछे जगह दी जाती है।
देवनानी से आगे ये पूछा गया कि छोटे दलों का कैसे ध्यान रखा जाता है? इस पर उन्होंने कहा कि हां, ऐसे कुछ दल हैं, जिनके एक, दो या तीन विधायक होते हैं। इन दलों के जो नेता हैं, उन्हें भी सीनियरिटी के अनुसार जगह दी जाती है।
वसुंधरा राजे को कहां दी गई है जगह, जिस पर हो रहा बवाल
विधानसभा में मुख्यमंत्री और वरिष्ठ मंत्रियों को पहली पंक्ति (Rajasthan Politics) में बैठाया जाता है। लेकिन वरिष्ठता को देखते हुए सबसे आगे दो पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ विधायक कालीचरण सराफ व प्रताप सिंह सिंघवी के साथ पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बैठाया गया है। सदन में सिटिंग के लिए 'क' 'ख' 'ग'... कॉलम हैं। पांचवें कॉलम की पहली पंक्ति में तीन सदस्यों की सिटिंग है। यहां सराफ, सिंघवी के साथ राजे के बैठने की व्यवस्था की गई है। इसी कॉलम में पीछे की पंक्ति में आरएलपी विधायक हनुमान बेनीवाल और बीएपी (भारतीय आदिवासी पार्टी) के तीनों विधायक हैं। तीसरी पंक्ति में रविंद्र भाटी सहित निर्दलीय विधायक बैठाए गए हैं।विधानसभा सूत्रों के अनुसार वसुंधरा राजे ने अपनी सिटिंग को लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की है, लेकिन डोटासरा ने ये मुद्दा उठाया और तभी से ये सियासी गलियारों में छाया हुआ है।
दो बार सचिन पायलट की सिटिंग को लेकर उठ चुका विवाद
वसुंधरा राजे को जो जगह दी गई है, ठीक उसी सीट पर पिछली सरकार में डिप्टी सीएम से हटने और सियासी संकट टलने के बाद सचिन पायलट के बैठने की व्यवस्था की गई थी। वर्ष 2020 में सचिन पायलट खेमे के विधायकों की दिल्ली के पास मानेसर में बाड़ाबंदी हुई थी और कोरोना का दौर चल रहा था। जब सचिन सहित अन्य विधायक लौटे तो भाजपा ने विधानसभा में सरकार के अल्पमत में होने का मुद्दा उठाया और बहुमत पेश करने की मांग की। 14 अगस्त 2020 को सुलह के बाद बुलाए गए विधानसभा सत्र में गहलोत ने सदन में बहुमत साबित किया था। तब विधानसभा में कोरोना को देखते हुए विधायकों के बीच एक सीट खाली रखी गई थी और खाली जगहों पर भी कुर्सियां व बैंच लगाकर सभी विधायकों को बैठाया गया था। सचिन को डिप्टी सीएम से हटाने के बाद उनकी सीट पहली रो की बजाय तीसरी पंक्ति में कर दी गई थी। तब सचिन की सिटिंग को लेकर भाजपा ने पहली बार मुद्दा बनाया था। इस मुद्दे को उस समय उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने उठाया था।
बीजेपी के सवाल उठाने पर पायलट ने कही थी ये बात
बीजेपी के सवाल उठाने पर खुद पायलट ने ही तंज भरे लहजे में जवाब दिया था। पायलट ने कहा था- बॉर्डर पर उसे भेजा जाता है, जो सबसे मजबूत हो। हम मजूबती से पार्टी के लिए लड़ेंगे। इसके बाद जब कोरोना व सियासी संकट टल गया, तब सचिन पायलट को पांचवे कॉलम की पहली पंक्ति में जगह दी गई, जहां अब वसुंधरा राजे को बैठाया गया है। भाजपा नेताओं में चर्चा है कि तब भाजपा ने पायलट की सिटिंग को मुद्दा बना कर राजनीति की थी और इसी कारण डोटासरा अब मौका पाकर वसुंधरा राजे की सिटिंग को मुद्दा बना रहे हैं।
खाचरियावास नहीं गए थे बदली सीट पर
पिछली सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Rajasthan Politics) भी अपनी सिटिंग को लेकर नाराज हो गए थे। सियासी संकट के बाद सदन में कैबिनेट मंत्री रहे खाचरिवायास की पहली सीट से हटाकर दूसरी रो में बैठने की व्यवस्था की गई थी। सूत्रों के अनुसार सिटिंग बदलने की जानकारी खाचरियावास को नहीं दी गई थी। कार्यवाही शुरू होने से पहले जब खाचरियावास सदन में घुसे थे, तो उन्हें बताया गया कि सिटिंग पीछे वाली सीट पर है, तो वे नाराज हो गए थे। खाचरियावास ने अपनी आपत्ति पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को जताई थी। इसके बाद खाचरियावास पिछली सरकार के पूरे समय बदली गई जगह पर नहीं बैठे और पुरानी जगह पर ही बैठना पसंद किया।