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CG NEWS : आदिवासी के जीविका चलाने वनोपज है जिसको बेच कर ग्रामीण अपनी जीविका चलाते है

By: Shivani Hasti | Created At: 30 May 2024 06:09 AM


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CG NEWS : बैलाडीला की लाल पहाड़ियों की गोद में बसा हिरोली गांव जिसकी खूबसूरती देख आप यही कहेंगे कि ईश्वर ने अपने हाथों से नवाजा है।यहां घने जंगल के साथ बहते झरने और अचुर मात्रा में आदिवासी के जीविका चलाने वनोपज है जिसको बेच कर ग्रामीण अपनी जीविका चलाते है। हम बात कर रहे है इसी गांव के रहने वाले सोनू कुंजाम की जो चौथी कक्षा में पड़ता है और अभी स्कूल की छुट्टियों में वो होस्टल से अपने घर आया हुआ है।इस उम्र में भी वो अपने परिवार का खर्च उठा रहा है अपनी माँ का सहारा बना हुआ है। उसके पिता इस दुनिया मे नही है। भाई बहन और माँ के साथ रहता है। उसके जज्बे को सलाम करना चाहिये। उसने अपने हाथों से अपने और अपने दोस्तों के लिए एक ठेला गाड़ी बनाई है जिसमे आगे साइकल के दो दो पइये लगाए है ये पूरी गाड़ी लकड़ी से बनी है।सोनू ने प्लास्टिक के फूल से अपनी गाड़ी को सजाया है। हिरोली गांव से सोनू रोज 12 किलोमीटर ठेला गाड़ी लेकर पैदल किरंदुल अपने दोस्तों के साथ आम बेचने आता है और घर घर घूम कर मीठे मीठे आम बेचता है। सोनू अपने साथ स्टील का बर्तन रखा है उसको आदिवासी भाषा मे डुब्बा कहते है एक डुब्बा मीठे आम मात्र 20 रुपए में लोगो को बेचते है। लकड़ी की बनी उनकी सुंदर ठेला गाड़ी को देख लोग आश्चर्य चकित होकर सोनू से पूछते है कि इतनी सुंदर गाड़ी कैसे बनाई पूरी लौह नगरी में इन चार दोस्तो की चर्चा लोग कर रहे है इतनी कम उम्र में उनकी मेहनत देख लोग उनकी तारीफ कर रहे है।छोटे से सोनू के हाथ की कला देख हम कह सकते है कि ये बदलते दंतेवाड़ा की तस्वीर है।सोनू से लोगो को शिक्षा लेने की जरूरत है स्कूल की छुट्टी में भी वो घर पर नही बैठे वो वनोपज बेच कर अपनी ओर अपने परिवार की मदद कर रहा है। सोनू कुंजाम चौथी कक्षा का छात्र ने बताया कि अभी स्कूल में गर्मियों की छुट्टी चल रही है हिरोली के जंगलों में बहुत आम हुए है तो मैने अपने दोस्तों की मदद से गाड़ी बनाई मैं जब छोटा था तब छोटी छोटी गाड़ी खेलने के लिए बनाता था अब बड़ी गाड़ी बनाया ताकि उसमें बहुत सारे आम झोले में डाल कर किरंदुल ले जाकर बेच सकू।पिता नही है माँ को भी मदद हो जाएगी।जब उससे पूछा गया कि इतनी दूर पैदल आने जाने में थक जाते होंगे तो सोनू ने बड़े ही मासूमियत से बोला कि अच्छा लगता है शहर आ कर घूमना पूरी थकान दूर हो जाती है पता ही नही चलता सब आम लेते है और मुझसे गाड़ी के बारे में पूछते है और मेरी तारीफ करते है अच्छा लगता है।