सिंधिया के गढ़ ग्वालियर की छह विधानसभा सीटों पर सबकी नजरें, इन पर कांटे की टक्कर
By: Ramakant Shukla | Created At: 01 November 2023 08:51 AM
ग्वालियर-अंचल की 34 सीटें प्रदेश में सरकार बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं, इसलिए दोनों दल यहां से एक सीट पर जोर लगा रहे हैं। इन 34 सीटों में से जिले की छह विधानसभा सीटों पर सबकी नजरें गढ़ी हुईं हैं। क्योंकि ग्वालियर ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुख्य किला माना जाता है। भाजपा ने छह में से पांच सीटों पर सिंधिया की पसंद को महत्व दिया है। इसलिए कांग्रेस की कोशिश है कि यहां की लगभग सभी सीटों पर कब्जा कर सिंधिया मात दे। किंतु सिंधिया को उनके ही किले में चुनौती देना उतना भी सहज नहीं है।

ग्वालियर-अंचल की 34 सीटें प्रदेश में सरकार बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं, इसलिए दोनों दल यहां से एक सीट पर जोर लगा रहे हैं। इन 34 सीटों में से जिले की छह विधानसभा सीटों पर सबकी नजरें गढ़ी हुईं हैं। क्योंकि ग्वालियर ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुख्य किला माना जाता है। भाजपा ने छह में से पांच सीटों पर सिंधिया की पसंद को महत्व दिया है। इसलिए कांग्रेस की कोशिश है कि यहां की लगभग सभी सीटों पर कब्जा कर सिंधिया मात दे। किंतु सिंधिया को उनके ही किले में चुनौती देना उतना भी सहज नहीं है।
सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर व पूर्व मंत्री ईमरती देवी को उनकी परंपरागत सीट से टिकट दिया है, जबकि भितरवार से सिंधिया की पसंद के मोहन सिंह राठौड़ को टिकट दिया है। इसके अलावा ग्वालियर पूर्व से भाजपा उम्मीदवार माया सिंह व नारायण सिंह कुशवाह को टिकट सिंधिया की सहमति से दिया गया है।
नामांकन दाखिल होने के बाद इन छह विधानसभा सीटों पर नजर डालें, तो दोनों दलों के उम्मीदवारों के बीच आमने-सामने की टक्कर बताई जा रही है। चुनाव प्रचार में अभी लगभग 15 दिन का समय है। प्रचार की शेष अवधि में हर विधानसभा क्षेत्र में कई रंग देखने को मिलेंगे। इसलिए अभी इन छह सीटों पर स्पष्ट रूप से कह पाना राजनीतिक विश्लेषकों के लिए मुश्किल है।
माया- सतीश में कांटे की टक्कर के आसार
ग्वालियर पूर्व विधानसभा ने एट्रोसिटी एक्ट की हिंसा के बाद अपना रंग बदला था। पिछले दो विधानसभा चुनाव में पूर्व के एक बड़े वर्ग का झुकाव कांग्रेस की तरफ नजर आया है। 2018 व उपचुनाव में इस सीट से कांग्रेस को विजय मिली। 2023 के चुनाव कांग्रेस ने अपने सिटिंग एमलए डा. सतीश सिकरवार के प्रति विश्वास जताया है। दूसरी तरफ भाजपा ने सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल का टिकट काटकर महल के खाते में देते हुये पूर्व मंत्री माया सिंह को मैदान में उतारा है। माया सिंह के सामने सबसे बड़ी चुनौती अनुसूचित वर्ग का वोट बैंक हैं। दूसरी तरफ डा. सतीश सिकरवार की चिंता का कारण माया सिंह के लिए पूर्व के भाजपा कार्यकर्ता का दिल से चुनाव में मैदान में उतरना है। टक्कर कांटे होने की संभावना जताई जा रही है।
ग्वालियर दक्षिण में रोचक मुकाबला होगा
भाजपा ग्वालियर दक्षिण को अपना मजबूत गढ़ मानती रही है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस के युवा नेता प्रवीण पाठक ने इस गढ़ में सेंध लगाकर कब्जा कर लिया था। इस बार भी कांग्रेस से प्रवीण पाठक उम्मीदवार हैं। भाजपा ने काफी खींचतान के बाद अपने दो दशक के परंपरागत उम्मीदवार पूर्व मंत्री नारायण सिंह को चुनावी समर में उतारा है। दक्षिण में कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशियों के सामने चुनौती बराबर की है। दोनों उम्मीदवारों को भितरघात की आशंका है। इसलिए ग्वालियर दक्षिण में विधानसभा मैच क्रिकेट मैच जैसा रोचक मुकाबला होगा। दोनों दलों के प्रत्याशी एक-दूसरे की कमजोरी व ताकत से भली-भांति परिचित हैं।
ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के नतीजों पर कुछ भी कहना आसान नहीं
ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा से प्रद्युम्न सिंह तोमर व कांग्रेस से सुनील शर्मा आमने-सामने हैं। उपचुनाव में भी दोनों आमने-सामने थे। उपचुनाव अलग परिस्थितियों में हुआ था। इसलिए विधानसभा के साधारण चुनाव में राजनीतिक विश्लेषकों के लिए कुछ भी कहना उतना आसान नहीं है। इस विधानसभा के मतदाता की पसंद बदलती रही है। कभी भाजपा के तो कभी कांग्रेस के पक्ष में मतदान करता है। मतदाता का मिजाज भांपना सहज नहीं है, इसलिए अभी इस विधानसभा क्षेत्र के नतीजों के संबंध में आंकलन करना जल्दबाजी होगा। स्थिति मतदात के आसपास ही साफ हो सकती है। फिलहाल मतदाता भी खामोश है। दोनों ही उम्मीदवार जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
ग्वालियर ग्रामीण में भाजपा व कांग्रेस में बराबर की टक्कर
ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज करने के लिए दोनों भाजपा व कांग्रेस के बीच लगभग बराबरी का मुकाबला है। भाजपा ने तीसरी बार यहां से अपने परंपरागत उम्मीदवार भारत सिंह कुशवाह को मैदान में उतारा है और कांग्रेस ने पिछली बार बसपा से चुनाव लड़कर भाजपा को टक्कर देने वाले साहब सिंह गुर्जर को मैदान में उतारा है। जीत- हार भी कम अंतर से हुई थी। दोनों उम्मीदवारों के सामने चुनौतियां समान ही हैं। इसलिए यहां कांटे की टक्कर होने की संभावना है।
डबरा अजा पर भी आमने-सामने की टक्कर
डबरा अजा सीट पर भाजपा से पू्र्व मंत्री ईमरती देवी व कांग्रेस से उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाले सुरेश राजे को टिकट दिया है। दोनों ही उम्मीदवार एक-दूसरे के खिलाफ एक-एक बार जीत दर्ज कर चुके हैं। अब तीसरी बार आमने-सामने हैं। क्षेत्र का मतदाता भी दोनों उम्मीदवारों की कमजोरी व ताकत से वाकिफ है। दोनों उम्मीदवारों के बीच बराबर की टक्कर है। अब देखना है कि दोनों उम्मीदवार चुनाव प्रचार में किस पर कितनी बढ़त बनाने में सफल होते हैं।
भितरवार में भी मुकाबला रोचक
भितरवार से कांग्रेस ने अपने जाने पहचाने योद्धा पूर्व मंत्री लाखन सिंह को एक बार फिर मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने क्षेत्र से चिर-परिचित मोहन सिंह राठौर को टिकट दिया है। दोनों उम्मीदवारों के सामने चुनौतियां लगभग समान हैं। लाखन सिंह के खिलाफ थोड़ी बहुत एंटी इंकम्बेसी होना स्वाभिवक है। दूसरी तरफ मोहन सिंह राठौर भी क्षेत्र के लिए नये प्रत्याशी हैं। उन्होंने भले ही चुनाव कई लोगों को लड़वाये, लेकिन स्वयं पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। चुनाव लड़ाना और लड़ने में बहुत अंतर होता है, इसलिए मुकाबला तो फिलहाल रोचक नजर आ रहा है।