Kota में सुसाइड मामलों को लेकर कैबिनेट मंत्री ने कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर जताई नाराजगी कहा- बैन हो कोचिंग सिस्टम, पॉलिसी लेकर आएं PM मोदी
By: payal trivedi | Created At: 28 August 2023 03:35 PM
कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में पूरा सिस्टम इस पर सोचने के लिए मजबूर हो गया है। इस साल की शुरुआत से अब तक राज्य में छात्रों की आत्महत्याओं ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

Kota: कोटा में कोचिंग छात्रों की आत्महत्याओं का ग्राफ दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में पूरा सिस्टम इस पर सोचने के लिए मजबूर हो गया है। इस साल की शुरुआत से अब तक राज्य में छात्रों की आत्महत्याओं ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। कोटा प्रशासन ने हाल ही में हॉस्टल और पीजी में स्प्रिंग वाले सीलिंग फैन लगाने का आदेश दिया था। इसके अलावा प्रशासन कई तरह के प्रयास कर रहा है, फिर भी यह सिलसिला थम नहीं रहा है।
"देश में कोचिंग सिस्टम बैन होना चाहिए"
राज्य सरकार ही नहीं बल्कि समाज में प्रतिस्पर्धा को लेकर सभी के सामने सुसाइड का मुद्दा बड़ी चुनौती बन गया है। छात्रों के सुसाइड के बढ़ते मामलों पर सोमवार को राजस्थान के कैबिनेट मंत्री डॉ महेश जोशी ने मीडिया से कहा कि देश में कोचिंग सिस्टम बैन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर एक पॉलिसी लानी चाहिए जिससे कि इस देश में कोचिंग सिस्टम बैन हो।
मंत्री खचरियावास ने कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के प्रति जताई नाराजगी
वहीं कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खचरियावास ने भी कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के प्रति नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि छात्रों के सुसाइड के मामले में कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। वहीं शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि सुसाइड के बारे में सोचना पाप है और करना महा पाप है उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के द्वारा तय की गई नीति के मुताबिक 2 महीने तक कोई टेस्ट नहीं होने चाहिए।
कोटा में 24 घंटे के भीतर दो आत्महत्या
इन तीनों मंत्रियों के बयान उस वक्त आए हैं जब कोटा में 24 घंटे के भीतर दो आत्महत्या की घटनाओं को लेकर मातम और चिंता पसरी है। देश का हर जिम्मेदार नागरिक इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए किसी विकल्प के लिए सरकार और पॉलिसी मेकर्स की तरफ देख रहा है। यह सिलसिला है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है।
सीएम गहलोत भी कोचिंग सेंटर्स पर सख्त
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 18 अगस्त को कोटा में छात्र आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर कह चुके हैं कि कोचिंग संस्थानों में कक्षा 9 और 10 के छात्रों का नामांकन करने से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है। वजह उन्हें बोर्ड परीक्षा भी देनी होती है। उन्होंने कहा, आप 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को बुलाते हैं। आप एक तरह से अपराध कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है मानो आईआईटी भगवान हो। कोचिंग में आते ही छात्रों का फर्जी स्कूलों में नामांकन करा दिया जाता है। यह माता-पिता की भी गलती है।
स्वाति मालीवाल ने भी किया ट्वीट
सुसाइड की घटनाओं पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी सोमवार को एक ट्वीट करते हुए लिखा है कि राजस्थान के कोटा में कल 2 NEET छात्रों ने आत्महत्या कर ली। इस साल अब तक 22 बच्चे जिंदगी से जंग हार चुके हैं. बीते दिनों हमने देखा था आत्महत्या रोकने के लिए PG के पंखे बदलवाए जा रहे थे। ये हमारी शिक्षा व्यवस्था का हाल है। इसकी जगह जरूरत पंखा बदलने की नहीं, शिक्षा सिस्टम बदलने की है। बच्चों की मेंटल हेल्थ पर काम करना।
11 दिनों में 4 सुसाइड मामले
सिर्फ 11 दिनों में 4, पिछले आठ महीने में 22, पिछले एक साल में 29 और पिछले दस सालों में 160 से ऊपर। मुर्दा बचपन की कीमत पर आबाद ये आंकड़े उस कोटा शहर के हैं, जो बचपन को मुंहमांगी कीमत और अपनी शर्तों पर डॉक्टर और इंजीनियर बनाने का ख्वाब बेचता है। इस ख्वाब की कोई गारंटी नहीं होती। लेकिन मासूम बचपन को कामयाब जिंदगी देने की ख्वाहिश में तमाम मां-बाप ना सिर्फ बिना गारंटी वाले इस ख्वाब को खरीदने की होड़ में लगे हैं, बल्कि जाने वो अपने बच्चों के बचपन को कामयाब जिंदगी की बजाय मुर्दा बचपन की तरफ धकेलने का काम कर रहे हैं। ये डरावने आंकडें बस उसकी बानगी भर हैं।