पाकिस्तान के पंजाब के सरगोधा में 25 मई को हुई घटना ने ईसाई और मानवाधिकार नेताओं द्वारा घरेलू और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी तीखी प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। 26 और 27 मई को, ईसाईयों ने कई अलग-अलग पाकिस्तानी शहरों में विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरे। इन प्रतिक्रियाओं के कारण ही पुलिस ने असामान्य तेज़ी से कार्रवाई की और 100 से अधिक संदिग्धों को गिरफ्तार किया, जो संभवतः उस भीड़ का हिस्सा थे, जिसने 74 वर्षीय ईसाई नज़ीर मसीह गिल को ईशनिंदा और उनके जूते के कारखाने को जलाने का आरोप लगाते हुए पीट-पीटकर मारने की कोशिश की थी।
ये गिरफ़्तारियाँ अच्छी ख़बर हैं, लेकिन इनके बाद गंभीर अभियोजन होना चाहिए। जैसा कि इस्लामाबाद और रावलपिंडी के रोमन कैथोलिक आर्कबिशप मोनसिग्नोर जोसेफ अरशद और अन्य ईसाई धार्मिक अधिकारियों ने टिप्पणी की, पाकिस्तान में न्याय की गारंटी नहीं है। अक्सर ऐसा होता है कि जब मीडिया के पहले पन्ने से खबर गायब हो जाती है तो गिरफ्तार लोगों को चुपचाप रिहा कर दिया जाता है।