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Rajasthan Election 2023: कांग्रेस का बड़ा चुनावी दाव, 65 से 70% तक नए चेहरे उतारेगी मैदान में

By: payal trivedi | Created At: 11 September 2023 11:44 AM


राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election 2023) होने वाले हैं। दोनों ही पार्टीयां अपने-अपने स्तर पर जनता को साधने का प्रयास कर रही हैं।

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Jaipur: राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Election 2023) होने वाले हैं। दोनों ही पार्टीयां अपने-अपने स्तर पर जनता को साधने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन कांग्रेस की इस बार अपनी रणनीति बदलने जा रही है। बता दें कि कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में पिछली गलतियों से सबक लेते हुए टिकट पैटर्न बदलने जा रही है। सत्ता में रहकर हर बार ज्यादातर मंत्री-विधायकों को रिपीट करती आ रही पार्टी इस बार 65 से 70 प्रतिशत तक नए चेहरों को टिकट देने की कोशिश में है। टिकट चयन के मामले में कांग्रेस पहली बार मल्टी लेवल वर्किंग कर रही है।

राजस्थान में इस बार रिकॉर्ड तोड़ना चाहती है कांग्रेस

प्रदेश इकाई के साथ सेंट्रल लीडरशिप भी इस बार राजस्थान से ज्यादा उम्मीदें दिखने के कारण काफी गंभीर है। हर सीट पर उम्मीदवार चयन में बारीकी से हार-जीत का आकलन किया जा रहा है। कांग्रेस चाहती है कि राजस्थान में इस बार सरकार रिपीट करने का रिकॉर्ड तोड़े। पार्टी की ओर से कराए गए विभिन्न सर्वे में 50 प्रतिशत मौजूदा मंत्रियों और विधायकों की फील्ड में स्थिति कमजोर मिली है। यानी आधे विधायकों को फिर से टिकट मिलने की गारंटी नहीं है। यही कारण है कि सीएम अशोक गहलोत से लेकर प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट देने की बात कह कर नेताओं को टिकट कटने के लिए पहले से ही तैयार रहने के संकेत दे रहे हैं।

AICC ने तय की रणनीति

एआईसीसी ने तय किया है कि चुनाव (Rajasthan Election 2023) में पचास फीसदी चेहरे युवा होंगे और इनमें भी महिलाओं की भागीदारी प्रमुखता से होगी। लोकल स्तर पर पार्टी के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी कम करने के लिहाज से उन सीटों पर इस बार खास बदलाव करने की तैयारी है, जहां लगातार एक ही परिवार को टिकट मिलता आ रहा है। इसके अलावा दो बार चुनाव हारने वाले नेताओं को भी टिकट मिलने की उम्मीद कम है।

राजस्थान में कांग्रेस सरकार को रिपीट करना चाहती है पार्टी

राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना है कि राजस्थान को लेकर पार्टी का पूरा फोकस और सोच की दिशा इस पॉइंट पर है कि सरकार कैसे रिपीट हो? हम देख रहे हैं कि पिछले चुनावों में वे कौनसी गलतियां रहीं जब सत्ता में रहते हुए अच्छे काम के बावजूद हम वापस सरकार नहीं बना पाए। इस बार उन्हीं गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ रहे हैं। उसी हिसाब से फैसले लिए जाएंगे।

एआईसीसी ने तय किए टिकट के 5 बड़े पैरामीटर

1. 50 प्रतिशत युवाओं को टिकट, महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। 2. जिस सीट पर लगातार एक ही परिवार को टिकट मिलता आ रहा वहां बदलाव संभव। 3. लगातार दो बार चुनाव हारने वालों को टिकट नहीं, नए लोगों को मिलेगा मौका। 4. किसी बड़े नेता की टिकट में सिफारिश नहीं चलेगी, सर्वे में जो जिताऊ उसी को टिकट। 5. भ्रष्टाचार के आरोपों और विवादों से घिरे विधायकों को टिकट नहीं। 2 बड़े फैक्ट्स…उम्मीदवार चयन के लिए अहम

1. पार्टी सत्ता में रहते विधायकों को दोबारा मैदान में उतारती है तो ज्यादातर हारते हैं

- साल 2013 में कांग्रेस ने सत्ता में रहते हुए 105 उम्मीदवार रिपीट किए थे। इनमें से 91 हार गए थे। रिपीट किए गए प्रत्याशियों में 75 विधायक भी शामिल थे, लेकिन सिर्फ 5 ही जीते थे। बाकी 70 विधायकों को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस ने इस चुनाव में 31 ऐसे लोगों को टिकट दिया था, जो पिछले चुनाव में हार गए थे। इनमें से भी मात्र 9 ही जीते थे। - साल 2003 के चुनाव से पहले कांग्रेस सत्ता में थी। 153 सीटों के साथ अशोक गहलोत सीएम थे। चुनाव में कांग्रेस महज 56 सीटों पर सिमट गई थी। फिर से निर्वाचित होने वाले विधायकों का प्रतिशत मात्र 17 पर अटक गया था। यानी 153 सीटों के साथ सत्ता में रही कांग्रेस के सिर्फ 34 ही विधायक फिर से चुनकर विधानसभा पहुंच सके थे।

2. मंत्री रहकर चुनाव लड़ने वाले ज्यादातर नेता फिर से जीत नहीं पाते

- साल 2013 के चुनाव में गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल रहे 31 मंत्री सीट नहीं बचा पाए थे। हारने वाले मंत्रियों में डॉ. जितेंद्र सिंह, राजेंद्र पारीक, हेमाराम और हरजीराम बुरड़क, दुर्रु मियां, भरतसिंह, बीना काक, शांति धारीवाल, भंवरलाल मेघवाल, ब्रजकिशोर शर्मा, परसादीलाल, जैसे दिग्गज नेता शामिल थे। -साल 2003 के चुनाव में सत्ता के खिलाफ पब्लिक में पनपी नाराजगी के कारण गहलोत मंत्रिमंडल के 18 मंत्री हार गए थे। हारने वाले मंत्रियों में डॉ. कमला बेनीवाल, डॉ. जकिया, हरिसिंह कुम्हेर, डॉ. जितेंद्र सिंह, मास्टर भंवरलाल मेघवाल, इंदिरा मायाराम, जनार्दन सिंह गहलोत, माधव सिंह दीवान, हबीबुर्रहमान, छोगाराम बाकोलिया, गुलाबसिंह शक्तावत, हरेंद्र मिर्धा, खेतसिंह राठौड़, तैयब हुसैन शामिल थे। अगस्त में हुई चुनाव समिति की बैठक में चुनावी रणनीति समेत कई मुद्दों को लेकर चर्चा हुई थी। (फाइल)

सबसे बड़ी चुनौती यहां…93 कमजोर सीटों पर जिताऊ चेहरों की तलाश

पिछले चुनावों के विश्लेषण के हिसाब से 93 सीटें कांग्रेस के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण (Rajasthan Election 2023) बनी हुई है। इनमें 52 सीटें ऐसी हैं, जहां साल 2008, 2013 और 2018 के चुनाव में कांग्रेस हारी। वहीं 41 सीटें ऐसी हैं, जहां 2008 में कांग्रेस जीती, लेकिन 2013 और 2018 के चुनाव में हार गई। इन सीटों पर कांग्रेस का नए चेहरों पर जोर रहेगा। ज्यादा फोकस सेलिब्रिटीज और खिलाड़ियों पर रहेगा। अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय और पॉपुलर चेहरे भी यहां से चुनाव लड़ाए जा सकते हैं।

यहां 3 चुनाव से लगातार हार रही कांग्रेस, चेहरों के चयन में यहीं सबसे ज्यादा जोर

52 सीटों पर कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवार तलाशने में सबसे ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा है। ये वो सीटें हैं, जहां कांग्रेस पिछले 3 चुनावों से हार रही है। इनमें नदबई, धौलपुर, महुआ, गंगापुरसिटी, मालपुरा, अजमेर नॉर्थ, अजमेर साउथ, ब्यावर, नागौर, खींवसर, मेड़ता, जैतारण, सोजत, पाली, मारवाड़ जंक्शन, बाली, भोपालगढ़, सूरसागर, सिवाना, भीनमाल, सिरोही, रेवदर, उदयपुर, घाटोल, कुशलगढ़, राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा, गंगानगर, अनूपगढ़, भादरा, बीकानेर ईस्ट, रतनगढ़, उदयपुरवाटी, फुलेरा, विद्याधर नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बस्सी, किशनगढ़ बास, बहरोड़, थानागाजी, अलवर शहर, नगर, बूंदी, कोटा साउथ, लाडपुरा, रामगंज मंडी, झालरापाटन और खानपुर सीट शामिल है। इन सीटों पर ऑब्जर्वर्स और स्क्रीनिंग कमेटी को जिताऊ उम्मीदवार तय करने में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है।

2008 में कांग्रेस जीती, 2013 और 2018 में हारी, जातीय समीकरणों पर हो रही स्टडी

41 सीटों पर कांग्रेस जातीय समीकरणों की अलग से स्टडी (Rajasthan Election 2023) कर रही है। यहां 2008 में कांग्रेस को जीत मिली थी, लेकिन इसके बाद 2013 और 2018 के चुनाव में उसकी लगातार हार हुई। यहां जातीय समीकरण साधने के साथ युवा चेहरों पर पार्टी फोकस कर रही है, ताकि 2008 का इतिहास दोहराया जा सके। इनमें पिंडवाड़ा-आबू, गोगूंदा, उदयपुर ग्रामीण, मावली, सलूंबर, धरियावद, आसपुर, सागवाड़ा, चौरासी, गढ़ी, कपासन, चित्तौड़गढ़, बड़ी सादड़ी, कुंभलगढ़, शाहपुरा, मांडलगढ़, केशोरायपाटन, छबड़ा, डग और मनोहरथाना, सूरतगढ़, रायसिंहनगर, सांगरिया, पीलीबंगा, लूणकरणसर, श्री डूंगरगढ़, चूरू, सूरजगढ़, मंडावा, चौमूं, दूदू, आमेर, तिजारा, मुंडावर, नसीराबाद, मकराना, सुमेरपुर, फलौदी, अहोर, जालोर, रानीवाड़ा सीट शामिल है।