मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही है। ऐसी स्थिति में निर्दलीय भी मौके का फायदा उठाने के प्रयास में हैं। मध्य प्रदेश के बीजेपी और कांग्रेस के बागी निर्दलीयों ने आपस में बातचीत कर एक रणनीति तैयार कर ली है। उनका कहना है कि जिस प्रकार से राजनीतिक दलों ने उनके साथ वादाखिलाफी की है, उसका जवाब चुनाव परिणाम आने के बाद दिया जाएगा। दोनों राजनीतिक दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और निर्दलीय भी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरे।
सभी बागी हुए एकजुट
यदि इस बार चुनावी परिणाम आने के बाद राजनीतिक दलों को निर्दलीय दूसरी पार्टी के विधायकों की आवश्यकता पड़ती है। तो एक सोची समझी रणनीति के तहत राजनीतिक दलों को कदम उठाने पड़ेंगे। दरअसल इस बार मध्य प्रदेश में सभी बागी एकजुट हो गए हैं। आलोट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पूर्व सांसद और कांग्रेस के बागी प्रेमचंद गुड्डू के मुताबिक एमपी में 21 जगह प्रभावशाली रूप से निर्दलीयों ने त्रिकोणीय मुकाबला किया है। इनमें उज्जैन, रतलाम, खंडवा, सिवनी, मंदसौर सहित कई जिले शामिल है। इस बार निर्दलीय विधायक ही सरकार तय करने वाले हैं।
बीजेपी के भी कई बागी मैदान में
यह पहला मौका है, जब मध्य प्रदेश में बीजेपी के कई बागी नेता पहली बार पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरे। इनमें बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सांसद नंदकुमार के पुत्र भी शामिल हैं। इसके अलावा महिदपुर से बीजेपी के बागी प्रताप आर्य ने भी कड़ी टक्कर दी है। इस बार यह माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में कई निर्दलीय भी चुनाव जीत सकते हैं। ऐसी स्थिति में वे सोची समझी रणनीति के तहत कदम उठाएंगे। बता दें कि मध्य प्रदेश विधानभा चुनाव के दौरान कई दिग्गज नेताओं को टिकट नहीं मिला था। जिसके बाद उन्होंने पार्टी से बगावत कर ली थी और निर्दलिए चुनाव लड़ने का फैसला किया था। 17 नवंबर को मतदान संपन्न हो गया है और अब बागी नेता एक साथ नजर आ रहे हैं।
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