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पर्यावरण स्वीकृति नहीं, फिर भी मशीनों से हो रहा रेत का उत्खनन

By: Sanjay Purohit | Created At: 31 May 2024 06:56 AM


धसान नदी में टीला और अलीपुरा रेत घाट की पर्यावरण स्वीकृति नहीं है। ऊपर से लिफ्टर व मशीनों से रेत का उत्खनन किया जा रहा है।

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छतरपुर, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की ताकीद के वाबजूद अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लग पा रही है। धसान नदी में टीला और अलीपुरा रेत घाट की पर्यावरण स्वीकृति नहीं है। ऊपर से लिफ्टर व मशीनों से रेत का उत्खनन किया जा रहा है। इसके साथ ही करारागंज सहित छह अन्य घाटो पर मशीनो से उत्खनन हो रहा है। किसानो के खेत से जो डंफर और ट्रैक्टर निकल रहे, उसका किसान विरोध कर रहे है, लेकिन उनकी कोई सुन ही नहीं रहा है।

लोक सुनवाई कैंप

24 मई को पर्यावरण स्वीकृति हेतु लोक सुनवाई कैंप तहसील प्रांगण में लगाया गया। इसमें टीला और अलीपुरा खदानों की स्वीकृति का उल्लेख था, अभी तक पर्यावरण स्वीकति मिली नहीं है। लेकिन घाटो पर मशीनों के द्वारा सीधे नदी से बालू निकालकर प्रतिदिन सैकड़ो ट्रैक्टर रेत का परिवहन हो रहा है। न केवल इससे पर्यावरण को नुकसान है बल्कि धसान नदी के इस क्षेत्र के अस्तित्व पर संकट आ गया है।

घाट के नाम पर नदी में उतार रहे मशीनें

अलीपुरा और टीला घाट का ठेका हुआ है। लेकिन बिना पर्यावरण स्वीकृति के मशीनों से खनन नहीं कर सकते है। कंपनी नदी के बाहर मशीनें लगा सकती है, लेकिन नदी के पूरे घाट पर दिन रात मशीनों से रेत निकाली जा रही है। वहीं घाट से सडक़ के बीच पडऩे वाली जमीनों के किसान मानसून आने के पहले खेतों को तैयार करना चाहते है लेकिन बड़े बड़े डंफर और ट्रैक्टर दिन रात उनके खेतों को रौंदते हुए बालू का परिवहन कर रहे है।