चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए 23 अगस्त की तारीख ही क्यों रखी गई? पढ़िए पूरी खबर
By: Ramakant Shukla | Created At: 22 August 2023 01:25 PM
चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड करते ही 23 अगस्त की तारीख इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) और भारत के इतिहास में दर्ज हो जाएगी। जैसे-जैसे घंटे बीत रहे हैं लोंगों की उत्सुकता भी बढ़ती जा रही है। सब 23 अगस्त की शाम को 6 बजकर 4 मिनट बजने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसरो ने चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग के लिए यही तारीख क्यों चुनी, कोई और दिन क्यों नहीं?
चंद्रयान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा और वहां फिलहाल अंधेरा है, 23 अगस्त को वहां सूरज निकलेगा। चंद्रयान की टाइमिंग इस तरह से सेट की गई है कि 23 अगस्त को जब चांद पर सूरज की रोशनी पड़ेगी तभी चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।

चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड करते ही 23 अगस्त की तारीख इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) और भारत के इतिहास में दर्ज हो जाएगी। जैसे-जैसे घंटे बीत रहे हैं लोंगों की उत्सुकता भी बढ़ती जा रही है। सब 23 अगस्त की शाम को 6 बजकर 4 मिनट बजने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इसरो ने चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग के लिए यही तारीख क्यों चुनी, कोई और दिन क्यों नहीं?
चंद्रयान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा और वहां फिलहाल अंधेरा है, 23 अगस्त को वहां सूरज निकलेगा। चंद्रयान की टाइमिंग इस तरह से सेट की गई है कि 23 अगस्त को जब चांद पर सूरज की रोशनी पड़ेगी तभी चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग करेगा।
23 अगस्त को चांद पर निकलेगा सूरज
पृथ्वी की तरह चांद पर एक दिन 24 घंटे का नहीं बल्कि 708.7 घंटे का होता है। चांद का एक दिन पृथ्वी के 29 दिनों के बराबर होता है। पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर चांद का एक दिन और इतनी ही लंबी एक रात होती है। 23 अगस्त को चांद पर दिन की शुरुआत होगी इसलिए इस तारिख को चुना गया ताकि रिसर्च में किसी तरह की समस्या न आए और दिन के उजाले में इसरो को चांद की बेहतर तस्वीरें मिल सकें। प्रोपल्शन लैंडर और लैंडर मॉड्यूल चंद्रयान के मुख्य हिस्से हैं। लैंडर मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान हैं। रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम में बैठकर चांद के चारों ओर घूम रहा है। 17 अगस्त को प्रोपल्शन लैंडर से अलग होने के बाद लैंडर विक्रम अकेले ही चांद की तरफ आगे बढ़ रहा है।
मिट्टी के सैंपल इकट्ठा करेगा चंद्रयान-3
23 अगस्त को जैसे ही लैंडर विक्रम चांद की सतह को छुएगा तो उसकी गोद में बैठा रोवर प्रज्ञान चांद पर उतरेगा और फिर असली मिशन शुरू होगा। रोवर यहां पर मिट्टी और अन्य चीजों के सैंपल इकट्ठा करेगा। इस वजह से 23 अगस्त का दिन चुना गया कि रोवर को उजाले में काम करने का वक्त मिलेगा। चंद्रयान को दिन में काम करने के लिए जरूरी ऊर्जा भी आराम से मिल जाएगी।