Kota में स्टूडेंट्स आत्महत्या मामले से चिंतित कोटा व्यापार महासंघ, कहा- 'बदनाम करने की साजिश...'
By: payal trivedi | Created At: 01 September 2023 06:14 PM
कोटा से लाखों बच्चे अपना भविष्य बनाकर देश ही नहीं पूरी दुनिया में परचम लहरा रहे हैं। कोटा का बेस्ट सिस्टम है, इसीलिए दुनिया के लोग यहां आते हैं और कॅरियर बनाते हैं।

Kota: कोटा से लाखों बच्चे अपना भविष्य बनाकर देश ही नहीं पूरी दुनिया में परचम लहरा रहे हैं। कोटा का बेस्ट सिस्टम है, इसीलिए दुनिया के लोग यहां आते हैं और कॅरियर बनाते हैं। कोटा बच्चों के दिल में बसता है और बच्चों का भविष्य बनाने के लिए देश में बेस्ट स्थान है। कोटा में कोचिंग स्टूडेंट का सुसाइड सभी के लिए चिंता का विषय है। कोटा व्यापार महासंघ के तत्वावधान में कई संगठन कोटा के लिए चिंतित हैं और एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं। व्यापारियों ने एकजुट होकर कहा कि कोटा को बदनाम करने की साजिश को किसी भी सूरत में सफल नहीं होने देंगे।
कोटा शहर की छवि बदनाम करने की कोशिश
कोटा (Kota) व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन एवं महासचिव अशोक माहेश्वरी ने बताया कि पिछले दिनों शहर में हुई बच्चों की आत्महत्या को लेकर कोटा शहर की छवि को बदनाम किया जा रहा है। यह कोटा शहर जिसने पूरे देश में सर्वश्रेष्ठ परिणाम देते हुए अपनी श्रेष्ठता साबित कर कोटा को पूरे देश में शैक्षणिक नगरी के रूप में स्थापित किया है। कोटा में 2 लाख से अधिक विद्यार्थी यहां रहकर कोचिंग कर रहे हैं जिनके रहने की संपूर्ण व्यवस्था उच्च दर्जे की है।
हॉस्टल एवं पीजी में विशेष ध्यान रखते हैं
कोटा हॉस्टल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल ने कहा कि हॉस्टल एवं पीजी द्वारा विद्यार्थियों का विशेष ध्यान रखा जाता है। साथ ही बच्चों के स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से भी कोटा ने अपनी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई है। पिछले 15 दिनों से जो कोटा को बदनाम करने के प्रयास किया जा रहे हैं, उसके पीछे कोटा की अर्थव्यवस्था और रोजगार को छीनने की साजिश की जा रही है।
इसी पर टिकी कोटा की अर्थव्यवस्था
करीब 5 लाख लोगों का रोजगार एवं पूरी कोटा की अर्थव्यवस्था इसी पर टिकी हुई है। यह मुकाम यहां के सभी वर्गों के प्रयासों से संभव हो पाया है। विद्यार्थियों की आत्महत्या निश्चित ही एक दुखद पहलू है जिसे रोकने के लिए सभी स्तरों पर जिसमें जिला प्रशासन पुलिस प्रशासन कोचिंग संस्थान हॉस्टल व्यवसाय व्यापारी उद्यमी प्रयासरत है।
निगरानी कमेटी रखती है पूरी नजर
बैठक में कोटा हॉस्टल एसोसिएशन (Kota) के सचिव पंकज जैन, चम्बल हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवान बिरला सहित अन्य संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि हमारे द्वारा हॉस्टल में रहने वाले बच्चों की समस्याओं को लेकर हॉस्टल एसोसिएशन द्वारा समझौता समितियां का गठन किया है एवं हॉस्टल्स की वार्डन एवं स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हॉस्टल में सभी बच्चों को एकत्रित करके उनके साथ वातार्लाप किया जाता है और प्रति दिन तीन बार बच्चों की उपस्थिति दर्ज करने के साथ-साथ हर बच्चे की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। हॉस्टल एसोसिएशन द्वारा एक निगरानी कमेटी का भी गठन किया गया है जो हर हॉस्टल में जाकर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लेती है।
दो लाख बच्चे, 4 हजार हॉस्टल, 600 मैस सहित अन्य व्यवस्थाएं
कोटा में जो व्यवस्थाएं हैं वह देशभर (Kota) में कहीं भी नहीं हैं। यहां वर्तमान में 4 हजार के करीब हॉस्टल हैं जहां विश्व स्तरीय सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए 600 मैस संचालित की जा रही हैं वहीं बच्चे परिवार की तरह पीजी में रहते हैं जहां उन्हें परिवार के लोग ही भोजन बनाकर देते हैं साथ ही कुछ किराए से रहते हैं जिनके परिजन भोजन की व्यण्वस्था करते हैं। इसके साथ ही यहां 50 हजार पीजी रूम, फ्लेट भी हैं. 6 से 7 हजार करोड की इस कोचिंग इंडस्ट्रीज में 10 से ज्यादा बडे कोचिंग और दर्जनों छोटे कोचिंग हैं। कोटा कोचिंग से करीब एक से डेढ लाख लोगों को रोजगार भी मिल रहा है।