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बीते नौ वर्षों में खूब पस्त हुई गरीबी, नीति आयोग का दावा

By: Sanjay Purohit | Created At: 01 February 2024 10:24 AM


देश में स्थिर और मजबूत सरकार का फायदा गरीबी से लड़ाई के मोर्चे पर भी दिख रहा है। नीति आयोग के ताजा रिसर्च पेपर से पता चलता है कि पिछले नौ वर्षों में भारत में करीब 25 करोड़ लोग गरीबी के अभिशाप से मुक्त हुए हैं।

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बीते नौ वर्षों में देश के लगभग 24.8 करोड़ लोगों का गरीबी से पीछा छूट गया। नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबी से मुक्ति पाने के मामले में उत्तर प्रदेश और बिहार ने सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नीति आयोग के दो शीर्ष अधिकारियों ने सोमवार को नई रिसर्च रिपोर्ट जार की। रिसर्च में स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, मातृ स्वास्थ्य और बैंक खातों सहित 12 मापदंडों के आधार पर बहुआयामी गरीबी का आकलन किया गया है। इन कसौटियों के आधार पर तय गरीबों की आबादी 2022-23 में 11.3% तक कम होने का अनुमान है

बहुआयामी गरीबी से करोड़ों लोग हुए मुक्त

नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद और वरिष्ठ सलाहकार योगेश सुरी की तरफ से तैयार पेपर में दावा किया गया है कि अगले वित्त वर्ष 2024-25 तक भारत में गरीब आबादी का प्रतिशत सिंगल डिजिट में आ जाएगा। पेपर लिखने वालों का यह भी दावा है कि भारत 2030 तक अपने सभी आयामों में गरीबी को आधा करने के लक्ष्य से काफी आगे है। पेपर में कहा गया है, 'एमपीआई (बहुआयामी गरीबी सूचकांक) के सभी 12 संकेतकों में इस अवधि के दौरान उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

मोदी सरकार की योजनाओं का कमाल

हालांकि इसने कई मापदंडों के अनुमान नहीं बताए, लेकिन कहा गया कि पोषण अभियान, एनीमिया मुक्त भारत और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान जैसी पहलों ने मदद की है। इसमें कहा गया, '2013-14 से 2022-23 की अवधि के दौरान बहुआयामी गरीबी में गिरावट की दर में तेजी आई है। यह संभव हो पाया है क्योंकि खास तरह के वंचित पहलुओं में सुधार लाने के लिए सरकार ने कई पहल किए हैं और तरह-तरह की योजनाएं लागू की हैं।

उत्तर प्रदेश और बिहार ने किया कमाल

कुल संख्या के आधार पर यह निष्कर्ष निकला कि उत्तर प्रदेश ने 5.9 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला। उसके बाद बिहार का नंबर है जहां के 3.8 करोड़ लोग गरीबी के अभिशाप से मुक्त हुए। पेपर में कहा गया है, 'यह भी देखा गया है कि जिन राज्यों में गरीबी की घटना अधिक है, उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में गरीबी के अनुपात में अधिक कमी देखी है।