दीपावली पर्व का इंतजार किसे नहीं रहता है। दीपावली एक ऐसा पर्व है जिससे लाखों छोटे व्यापारियों की उम्मीदें जुड़ी होती है। धार्मिक नगरी उज्जैन के टावर चौक इलाके में पिछले 10 सालों से व्यापारी दीपक का व्यापार कर रहे हैं। वे दीपावली पर लगभग 20000 रुपये के दीपक खरीदते हैं, जिसे बाजार में 28000 रुपये के मुनाफे के साथ देते हैं। इस प्रकार कुछ दिनों के बीच उन्हें 8 से 10000 रुपये की आमदनी हो जाती है। हालांकि इसके लिए व्यापारी काफी मेहनत भी करते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक आइटम के कारण दीपक की खरीदी पर असर
दीपक की खरीदी करने आए एक ग्राहक ने बताया कि बाजार में इलेक्ट्रॉनिक आइटम की भरमार आ गई है। इलेक्ट्रिक दीपक से तेल का खर्च भी बच जाता है। इसके अलावा सालों साल तक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चलते हैं। इसी के चलते दीपक केवल आवश्यक रूप से पूजा अर्चना और घर में कुछ स्थानों पर लगाने के लिए ही खरीदा जा रहा है। इस बार दीपक पर भी महंगाई का असर है।
एक दीपक से चलते हैं कई घर
दीपक को तैयार करने से लेकर बाजार में बेचने तक कई परिवारों का आर्थिक लाभ जुड़ा होता है। दीपक बनाने वाले राजेंद्र कुम्हार ने बताया कि वह पीली मिट्टी और काली मिट्टी से घोल तैयार करते हैं। इसके बाद दीपक को पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाता है। इसके लिए मिट्टी भी खरीदना पड़ती है। दीपक को गेहुंआ रंग करने के बाद थोक व्यापारियों को बेचा जाता है। थोक व्यापारियों के जरिए यह बाजार में फुटकर व्यापारियों के पास पहुंचता है। इस प्रकार दीपक के व्यापार में कई लोगों का परिवार जुड़ा हुआ है।
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