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महिला वोटर बढ़ी, लेकिन सांसद नहीं

By: Sanjay Purohit | Created At: 07 June 2024 08:03 AM


चुनाव नतीजों के बाद सियासी जानकार हर फैक्टर का विश्लेषण कर रहे हैं। ऐसे में M फैक्टर यानी मुस्लिम और महिलाओं का क्या रुख रहा इस पर भी चर्चा हो रही। इस चुनाव में महिला वोटरों की संख्या में इजाफा देखने को मिला।

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इस बार के चुनाव में महिला वोटरों का इजाफा देखने को मिला, लेकिन संसद में महिलाओं की संख्या कम ही हुई है। 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों से साफ है कि इस बार पिछली लोकसभा के मुकाबले कम महिला सांसद बैठेंगी। पिछली बार 78 फीसदी महिलाएं लोकसभा के लिए चुनी गई थी, जबकि इस बार महज 74 महिलाओं को लोकसभा में चुनकर भेजा गया है। यहां ममता बनर्जी का जिक्र करना इसलिए जरूरी है, क्योंकि उसके 29 सांसदों में 11 महिला सांसद जीत कर आई हैं। यूं तो टीएमसी उन पार्टियों में से हैं, जिसकी पार्टी महिला सांसदों के प्रतिनिधित्व की लिस्ट में पहले भी अव्वल रही हैं।

किस पार्टी के ज्यादा महिला सांसद

टीएमसी ने टिकट बंटवारे में विवादों में रही सांसद महुआ मोइत्रा को कृष्णानगर से लेकर जादवपुर से एक्ट्रेस और चुनावी राजनीति में पहली बार एंट्री कर रही सयानी घोष और मेदिनीपुर से जून मालिया को टिकट दिया था। इसके अलावा राजनीति में अनुभवी माला रॉय पर भी भरोसा जताया गया, जो कि सही साबित हुआ। हालांकि पिछली बार 11 महिला सांसद चुनकर भेजने वाले यूपी से इस बार आठ महिलाएं ही निचले सदन पहुंच पाई हैं, जिनमें से 5 समाजवादी पार्टी से हैं। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, इस बार बीजेपी की 30 महिला उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। टीएमसी की 11 तो कांग्रेस की 14, वहीं समाजवादी पार्टी की पांच तो डीएमके की तीन महिला सांसद पार्लियामेंट पहुंची हैं।

मुस्लिम प्रतिनिधित्व भी लगातार कम हो रहा

चुनावी रिजल्ट बताते हैं कि इस बार 24 मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली है, हालांकि ये पिछली बार के 26 के आंकड़े से थोड़ा कम है। वहीं साल 2014 में ये आंकड़ा 24 था। चुनाव में इस बार कुल 78 मुस्लिम उम्मीदवार ही मैदान में थे, जबकि पिछली बार 115 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावों में टिकट मिला था।