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मप्र शराब घोटाले में ED की एंट्री, आबकारी मंत्री की नाक के नीचे करोड़ों का घोटाला

By: Sanjay Purohit | Created At: 08 June 2024 08:59 AM


मप्र शराब घोटाले के मामले में अब ED की एंट्री हो गई है। लेकिन अभी भी जांच एजेंसियां देश के सबसे बड़े शराब घोटाले से कोसों दूर हैं।

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मप्र शराब घोटाले के मामले में अब ED की एंट्री हो गई है। लेकिन अभी भी जांच एजेंसियां देश के सबसे बड़े शराब घोटाले से कोसों दूर हैं। मप्र में भ्रष्ट नेताओं, अफसरों और शराब ठेकेदारों ने मिलकर घोटाले को अंजाम दिया है। ये फ़र्ज़ी एफडीआर घोटाला भोपाल, जबलपुर संभाग के कटनी, इंदौर और रीवा संभाग के सीधी में सामने आ चुका है। अंदेशा है कि इन घोटालों के तार प्रदेश के सभी जिलों से जुड़े हो सकते हैं। क्योंकि पूरे प्रदेश में शराब का सिंडिकेट सोम डिस्टलरीज के संचालक जगदीश अरोरा और उनके साथी ही संचालित कर रहे हैं। जिसमें आबकारी विभाग के अधिकारी और प्रदेश सरकार के आबकारी मंत्री तक सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं।

फ़र्ज़ी एफडीआर मामले में दोषी अधिकारी को बचाने में पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस भी सन्देह के घेरे में, ED की जांच में होंगे बड़े खुलासे।

मध्यप्रदेश में हुए शराब घोटाले के छोटे हिस्से फ़र्ज़ी एफडीआर घोटाले में दोषी अधिकारियों की बचाने के आरोप पिछली सरकार में मप्र के मुख्य सचिव रहे इकबाल सिंह बैस तक भी पहुंच चुके हैं। उस वक्त भी प्रदेश के आबकारी महकमें का जिम्मा वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के पास ही था, जिसके चलते अब वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। दरअसल अब तक प्रदेश के भोपाल, जबलपुर, इन्दौर और रीवा में फ़र्ज़ी एफडीआर घोटाले के मामले सामने आ चुके हैं।