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वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता को लिखा खुला पत्र, कहा - कोई भी कीमत चुकानी पड़े हम तैयार हैं

By: Durgesh Vishwakarma | Created At: 28 March 2024 08:24 AM


वरुण गांधी ने लिखा है कि, आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उँगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था।

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लोकसभा सीट से टिकट कटने के बाद बीजेपी नेता वरुण गांधी ने पीलीभीत की जनता को खुला पत्र लिखा है। वरुण ने अपने इस पत्र में लिखा है कि, कोई भी कीमत चुकानी पड़े हम तैयार हैं । जनता की आवाज उठाने से कोई नहीं रोक सकता। सांसद गांधी ने आगे कहा कि, पीलीभीत से रिश्ता बना रहेगा आशीर्वाद दीजिए। वहीं अब वरुण के इस खुले पत्र के कई मायने तलाशे जा रहे हैं। क्योंकि वह जितिन प्रसाद के नामांकन में भी शामिल नहीं हुए थे।

मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है

बीजेपी नेता वरुण गांधी ने पत्र में भावुकतापूर्ण लिखा है कि, आज जब मैं यह पत्र लिख रहा हूं, तो अनगिनत यादों ने मुझे भावुक कर दिया है। मुझे वो 3 साल का छोटा सा बच्चा याद आ रहा है जो अपनी मां की उँगली पकड़ कर 1983 में पहली बार पीलीभीत आया था, उसे कहां पता था एक दिन यह धरती उसकी कर्मभूमि और यहां के लोग उसका परिवार बन जाएंगे।

मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि...

वरुण गांधी ने आगे लिखा कि, मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि, मुझे सालों पीलीभीत की महान जनता की सेवा करने का मौका मिला। महज एक सांसद के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के तौर पर भी मेरी परवरिश और मेरे विकास में पीलीभीत से मिले आदर्श, सरलता और सहृदयता का बहुत बड़ा योगदान है। आपका प्रतिनिधि होना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से आपके हितों के लिए आवाज उठाई।

कोई भी कीमत चुकानी पड़े हम तैयार हैं

उन्होंने आगे अपने इस पत्र में लिखा है कि, एक सांसद के तौर पर मेरा कार्यकाल भले समाप्त हो रहा हो, पर पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता। सांसद के रूप में नहीं, तो बेटे के तौर पर सही, मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूँ और मेरे दरवाजे आपके लिये हमेशा पहले जैसे ही खुले रहेंगे। मैं राजनीति में आम आदमी की आवाज उठाने आया था और आज आपसे यही आशीर्वाद मांगता हूँ कि सदैव यह कार्य करता रहूं, भले ही उसकी कोई भी कीमत चुकानी पड़े।