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Haryana Politics: राज्य में वोटिंग के बाद हुई भाजपा की रिव्यू मीटिंग, इंटरनल रिपोर्ट में इन दो सीटों की हालत की खराब

By: payal trivedi | Created At: 29 May 2024 04:53 AM


25 मई को हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ। इसके बाद से ही राजनीतिक दलों ने समीक्षा शुरू कर दी है। बता दें कि इसी कड़ी में 27 मई को पंचकूला में भाजपा की रिव्यू मीटिंग हुई, जिसमें इंटरनल रिपोर्ट पेश की गई।

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चंडीगढ़: 25 मई को हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों (Haryana Politics) पर मतदान हुआ। इसके बाद से ही राजनीतिक दलों ने समीक्षा शुरू कर दी है। बता दें कि इसी कड़ी में 27 मई को पंचकूला में भाजपा की रिव्यू मीटिंग हुई, जिसमें इंटरनल रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, 2 सीटें सिरसा और रोहतक की रिपोर्ट खराब मिली है। वहीं, 4 सीटें सोनीपत, अंबाला, कुरुक्षेत्र और भिवानी-महेंद्रगढ़ पर टफ फाइट निकलकर सामने आई है। हालांकि, समीक्षकों ने यह भी कहा है कि जीत पार्टी उम्मीदवार की ही होगी, लेकिन जीत का मार्जिन कम हो जाएगा। तो वहीं करनाल, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद की समीक्षा में रिपोर्ट सही मिली है। इसमें करनाल के समीक्षकों ने दावा किया है कि इस सीट को बड़े मार्जिन से भाजपा जीतेगी। बता दें कि इस लोकसभा सीट पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने उनके खिलाफ दिव्यांशु बुद्धिराजा को टिकट दी है। आईये आपको बताते हैं कि रोहतक और सिरसा की खराब रिपोर्ट की क्या वजह है....

रोहतक से पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा ने डॉ. अरविंद शर्मा को टिकट दिया। इस लोकसभा चुनाव में यहां 65.68 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2019 के मुकाबले 4.83% कम है। चूंकि 2019 में ही भाजपा का इस सीट पर मार्जिन मात्र 7500 वोटों का था, अब इस मार्जिन को कवर करना बड़ी चुनौती है। इसके अलावा इस सीट पर जाटों और किसानों के विरोध ने भाजपा का चुनावी गणित बिगाड़ दिया। रोहतक से दीपेंद्र हुड्‌डा 3 बार सांसद रह चुके हैं। 2014 में मोदी लहर के बाद भी दीपेंद्र यहां से चुनाव जीत गए थे। इस बार अन्य सीटों की अपेक्षा कांग्रेस इस सीट को लेकर ज्यादा एक्टिव रही।

बात सिरसा सीट की की जाए तो यहां कांग्रेस (Haryana Politics) ने कुमारी सैलजा को मैदान में उतारा है। कुमारी सैलजा सिरसा लोकसभा सीट से पहले भी 2 बार सांसद रह चुकी हैं। इस सीट से उनके मजबूत होने की एक वजह यह भी रही कि उनके पिता चौधरी दलबीर सिंह सिरसा में कांग्रेस के बड़े नेता थे। वहीं, भाजपा के अशोक तंवर यहां से मैदान में हैं। अशोक तंवर कांग्रेस पृष्ठभूमि के ही हैं। 2019 में सिरसा लोकसभा सीट से अशोक तंवर ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था। पार्टी बदलने को लेकर यहां के लोग तंवर से नाराज चल रहे हैं। इसके अलावा किसानों का विरोध भी उन्हें झेलना पड़ा। अन्य सीटों की तरह इस सीट पर 2019 के मुकाबले 6.21% कम वोटिंग हुई।

हरियाणा की इन 4 सीटों पर टक्कर

सबसे पहले बात सोनीपत की जहां से कांग्रेस ने सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट दिया, जबकि भाजपा ने सीटिंग MP रमेश चंद्र कौशिक का टिकट काटकर विधायक मोहन लाल बड़ौली को उम्मीदवार बनाया। सतपाल ब्रह्मचारी सन्यासी हैं और हरिद्वार में उनके आश्रम हैं। मूलतः वह जींद के गांगोली गांव के रहने वाले हैं। कांग्रेस ने जींद जिले की जो 3 विधानसभाएं आती हैं, उनमें से लोकसभा का उम्मीदवार बनाकर कड़ी चुनौती दी है। भाजपा की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। यह सीट जाट बाहुल्य है और जाट पहले से ही भाजपा का विरोध कर रहे थे। चूंकि इस सीट पर ब्राह्मण डिसाइडिंग फैक्टर है, इसलिए दोनों ब्राह्मणों में कड़ी टक्कर भी है।

अंबाला लोकसभा की बात करे तो यहां से BJP के सांसद रहे रतनलाल कटारिया की धर्मपत्नी बंतो कटारिया इस बार मैदान में हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने मुलाना से MLA वरुण चौधरी को टिकट दी है। बंतो कटारिया को टिकट देने की वजह रतनलाल कटारिया के देहांत के बाद भावनात्मक लहर से जीतने की उम्मीद थी। इसके अलावा भाजपा ने यहां मोदी मैजिक को लेकर चुनाव लड़ा। उनके मुकाबले में वरुण मुलाना युवा चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। वह विधानसभा में बेस्ट विधायक का खिताब जीत चुके हैं। वरुण मुलाना के पिता फूलचंद मुलाना कांग्रेस के बड़े नेता रहे और प्रदेश कांग्रेस के लंबे समय तक अध्यक्ष भी रहे हैं। यह उनके फेवर के लिए बड़ा फैक्टर है।

भाजपा की रिव्यू मीटिंग में कुरुक्षेत्र में कड़ा मुकाबला दिखाया गया है। इसकी वजह कांग्रेस और AAP गठबंधन के उम्मीदवार डॉ. सुशील गुप्ता रहे। इसके साथ ही यहां से INLD उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला और उन्हें किसान नेता गुरनाम सिंह के समर्थन रहा है। हालांकि, शहरी क्षेत्रों में पार्टी को अच्छे वोट पड़े हैं, लेकिन गांवों में वोटिंग प्रतिशत अधिक होने से भाजपा चिंतित है। BJP ने उद्योगपति नवीन जिंदल पर दांव खेला है। कुरुक्षेत्र में मुकाबला त्रिकोणीय है।

भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर भाजपा की टिकट से 2 बार MP बन चुके धर्मबीर सिंह को मैदान उतारा है। वहीं, कांग्रेस ने महेंद्रगढ़ से विधायक राव दान सिंह पर भरोसा जताया है। राव दान सिंह जहां अहीरवाल बेल्ट से आते हैं तो वहीं धर्मबीर जाट जाति से संबंध रखते हैं। ऐसे में चुनाव जाट बनाम यादव में बंटा रहा। यही वजह है कि भाजपा इस सीट को लेकर कांटे का मुकाबला मान रही है।

अब बात कर लेते हैं हरियाणा लोकसभा की उन सीटों की जहां भाजपा की रिव्यू मीटिंग में जीत तय मानी जा रही हैं। आपको बता दें कि इन सीटों में करनाल, गुरुग्राम, हिसार और फरीदाबाद शामिल है। करनाल तो इस चुनाव की सबसे हॉट सीट रही। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्‌टर चुनाव मैदान में हैं। उनके जीतने की सबसे बड़ी वजह यह भी बताई जा रही है कि वह सूबे के करीब 10 साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने उनके मुकाबले कोई बड़ा चेहरा मैदान में नहीं उतारा। वहीं, गुरुग्राम लोकसभा सीट में राव इंद्रजीत सिंह का अच्छा प्रभाव है। साथ ही भाजपा का भी शहरी क्षेत्रों में कैडर अच्छा है। हिसार में भाजपा की समीक्षा में रणजीत सिंह चौटाला और फरीदाबाद से पूर्व केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर की रिपोर्ट अच्छी बताई है।