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जेल में बंद मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट से झटका, चार अक्तूबर को होगी अगली सुनवाई

By: Ramakant Shukla | Created At: 15 September 2023 01:13 PM


सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के दो उत्पाद शुल्क नीति मामलों में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई चार अक्तूबर तक के लिए टाल दी।

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के दो उत्पाद शुल्क नीति मामलों में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई चार अक्तूबर तक के लिए टाल दी। दरअसल, सिसौदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उन्हें मामले पर बहस करने के लिए दो से तीन घंटे का समय चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने मामले को अगली तारीख तक के लिए स्थगित करने का फैसला लिया। सिंघवी ने कहा कि सिसोदिया जेल में बंद हैं। दोनों पक्ष सुनवाई पर सहमत हैं। उन्होंने कहा कि मुझे मामले पर बहस करने के लिए कम से कम दो से तीन घंटे का समय चाहिए। इस बात से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू सहमत हुए। वहीं, सिसोदिया के वकील सिंघवी ने यह भी आरोप लगाया कि जब भी यह मामले की सुनवाई होनी होती है तो अखबार इस मामले को बढ़ा-चढ़ाकर छापता है। इस पर पीठ ने कहा कि हालांकि हमने अखबार नहीं पढ़ा है, लेकिन हमें इसकी आदत डाल लेनी होगी। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े उन दो मामलों में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की अंतरिम जमानत याचिकाओं पर सुनवाई अक्तूबर को करेगा, जिनकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहे हैं। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को दिल्ली आबकारी नीति से संबंधित दो मामलों में सिसोदिया की अंतरिम जमानत याचिकाओं पर सीबीआई और ईडी से जवाब दाखिल करने को कहा था।

क्या है मामला?

दरअसल, एलजी ने दिल्ली के सचिव की एक रिपोर्ट के आधार पर मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। पिछले साल आठ जुलाई को यह रिपोर्ट भेजी गई थी। जिसमें पिछले साल लागू की गई आबकारी नीति पर सवाल उठाए गए थे। आबकारी नीति (2021-22) बनाने और उसे लागू करने में लापरवाही बरतने के साथ ही नियमों की अनदेखी और नीति के कार्यान्वयन में गंभीर चूक के आरोप हैं। आरोपों में निविदा को अंतिम रूप देने में अनियमितताएं और चुनिंदा विक्रेताओं को टेंडर के बाद लाभ पहुंचाना भी शामिल है। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया था कि शराब बेचने की वालों की लाइसेंस फीस माफ करने से सरकार को 144 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आबकारी मंत्री के तौर पर मनीष सिसोदिया पर भी इन प्रावधानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया था। इस आरोप का आम आदमी पार्टी ने जोरदार खंडन किया था। इसके बाद, नीति को रद्द कर दिया गया और दिल्ली के उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की, जिसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया।