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डॉ मोहन सरकार ने आदिवासियों को लेकर किया बड़ा फैसला, वन विभाग के सभी DFO को भेजी जानकारी

By: Richa Gupta | Created At: 31 May 2024 09:33 AM


लोकसभा चुनाव के प्रचार से फ्री होते ही सीएम डॉ मोहन यादव अब एक्शन में नजर आ रहे हैं, मोहन सरकार ने आदिवासियों को लेकर एक बड़ा फैसला किया है, जो अहम माना जा रहा है।

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लोकसभा चुनाव के प्रचार से फ्री होते ही सीएम डॉ मोहन यादव अब एक्शन में नजर आ रहे हैं, मोहन सरकार ने आदिवासियों को लेकर एक बड़ा फैसला किया है, जो अहम माना जा रहा है। सरकार ने मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर दर्ज 8 हजार अपराध के प्रकरण समाप्त करने का फैसला किया है, जिसकी जानकारी वन विभाग के सभी डीएफओ को भेज दी गई है।

सभी प्रकरणों को समाप्त किया जाएगा

मध्य प्रदेश के आदिवासियों पर दर्ज करीब 8 हजार वन अपराध खत्म करने का फैसला मोहन सरकार ने लिया है। इसकी कार्ययोजना वन मुख्यालय ने सभी डीएफओ को भेज दी है। इस कार्य योजना के अनुसार आगामी तीन माह में वन अधिनियम 1927 एवं वन्य प्राणी (संरक्षण अधिनियम 1972) के अंतर्गत अनुसूचित जनजातीय वर्ग के व्यक्तियों के विरुद्ध पिछले सालों के दौरान पंजीबद्ध प्रकरणों के निराकरण के लिए कार्ययोजना तैयार की जाएंगी, जिसके तहत इन सभी प्रकरणों को समाप्त किया जाएगा।

इतने प्रकरण लंबित हैं

दरअसल, वन विभाग की तरफ से बनाए गए मामलों की बात की जाए तो प्रकरणों की संख्या 07 हजार 902 हैं, जिनमें से 3470 प्रकरण वन विभाग के पास लंबित हैं और चार हजार 432 प्रकरण न्यायालय में लंबित हैं। न्यायालय में लंबित प्रकरणों के शीघ्र निराकरण के लिए सरकारी वकीलों के जरिए भी सरकार की तरफ से कदम उठाया जाएगा। ऐसे में आदिवासियों पर दर्ज मामलों को वापस लेने का सरकार का फैसला अहम माना जा रहा है।

आदिवासियों की आबादी 20 प्रतिशत से भी ज्यादा

बता दें कि प्रदेश के कई जिलों में अवैध अतिक्रमण, अवैध कटाई और अधिकारियों के साथ मारपीट जैसे मामले दर्ज हैं, इस दौरान कई बार वन विभाग के अधिकारी और आदिवासी वर्ग से जुड़े लोग आमने-सामने आ चुके हैं। हालांकि अब सरकार इन मामलों का निराकरण करते हुए आदिवासियों पर लंबित मामलों को वापस लेने जा रही है। जिसके लिए सरकार की तरफ से सभी तरह की योजना भी बन चुकी है। मध्य प्रदेश में आदिवासियों की आबादी 20 प्रतिशत से भी ज्यादा है। जिन पर जमकर सियासत भी होती रहती है। इससे पहले भी आदिवासियों पर वन विभाग की तरफ से दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग उठती रही थी।