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Haryana Politics: गुरूग्राम के निर्दलीय विधायक के निधन से BJP पर अलपमत का संकट, क्या हरियाणा में गिर जाएगी सरकार?

By: payal trivedi | Created At: 27 May 2024 06:04 AM


हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर 25 मई को वोटिंग हुई। और इसी दिन बीजेपी पर एक बड़ा संकट गहरा गया। दरअसल, 25 मई को ही गुरुग्राम के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया।

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Gurugram: हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों (Haryana Politics) पर 25 मई को वोटिंग हुई। और इसी दिन बीजेपी पर एक बड़ा संकट गहरा गया। दरअसल, 25 मई को ही गुरुग्राम के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया। उनके निधन से BJP सरकार पर अल्पमत का खतरा बढ़ गया है। बता दें कि हरियाणा विधानसभा में मौजूदा वक्त में कुल बहुमत का आंकड़ा 44 का है लेकिन भाजपा सरकार के पास अब 42 ही विधायकों का समर्थन बचा है। ऐसे में विपक्षी फिर सरकार को फ्लोर टेस्ट करवाने के लिए घेर सकते हैं। कांग्रेस और JJP पहले ही गवर्नर को लेटर लिखकर नायब सैनी सरकार के बहुमत साबित करने की मांग कर चुकी है। साथ ही आपको बता दें कि 3 नवंबर 2024 को हरियाणा की मौजूदा सरकार का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। अब ऐसे में 2024 में ही हरियाणा में विधान सभा चुनाव होने की अटकलें भी हैं।

हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें

हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं। करनाल से मनोहर लाल खट्‌टर और रानियां से निर्दलीय रणजीत चौटाला के इस्तीफे के बाद 88 विधायक बचे थे। इसके बाद बादशाहपुर से निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया। ऐसे में अब कुल विधायक 87 रह गए हैं और बहुमत का आंकड़ा 44 का हो गया है।

क्या है भाजपा की स्थिति

लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा (Haryana Politics) ने मनोहर लाल खट्‌टर को सीएम की कुर्सी से हटाकर लोकसभा टिकट दे दी। उनकी जगह नायब सैनी सीएम बनाए गए। उन्हें भाजपा के 41, हलोपा के 1 और 6 निर्दलीय समेत 48 विधायकों का समर्थन मिला था। हालांकि पहले खट्‌टर और फिर सरकार के समर्थन वाले रणजीत चौटाला ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद लोकसभा चुनाव के बीच 3 निर्दलीय विधायकों धर्मपाल गोंदर, रणधीर गोलन और सोमबीर सांगवान ने समर्थन वापस ले लिया। जिसके बाद सरकार के पास 43 विधायकों का समर्थन बचा। खट्‌टर के इस्तीफे के बाद भाजपा के पास अपने 40 विधायक हैं। इसके अलावा उन्हें हलोपा के गोपाल कांडा और निर्दलीय नैनपाल रावत का समर्थन प्राप्त है।

क्या है कांग्रेस की स्थिति?

हरियाणा में कांग्रेस के पास 30 विधायक हैं। इसके अलावा जजपा के 10 और इनेलो का एक विधायक है। 4 निर्दलीय भी अब सरकार के विपक्ष में हैं। भाजपा के 42 के मुकाबले पूरे विपक्ष में 45 विधायक हो गए हैं। हालांकि जजपा की ओर से अपने 2 विधायक जोगीराम सिहाग और राम निवास के विरुद्ध स्पीकर को दल-बदल विरोधी कानून के अंतर्गत याचिका दी गई है, जिसमें दोनों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की गई है। अगर यह मंजूर हुआ तो भी विपक्ष के पास ज्यादा विधायक होंगे। इसमें एक और दिलचस्प स्थिति 4 जून को बनेगी। सीएम नायब सैनी खट्‌टर की जगह करनाल से विधानसभा उपचुनाव लड़ रहे हैं। अगर वह सीट जीत जाते हैं तो फिर सत्ता पक्ष के पास 43 विधायक हो जाएंगे। अगर जजपा के 2 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाती है तो फिर पक्ष और विपक्ष, दोनों बराबर हो जाएंगे। अब इसके बाद सवाल ये उठता हैं कि क्या हरियाणा में सरकार गिरने का खतरा है? तो आपको बता दें कि फिलहाल ऐसा नहीं है। सीएम नायब सैनी की सरकार ने ढ़ाई महीने पहले ही 13 मार्च को बहुमत साबित किया। जिसके बाद 6 महीने तक फिर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाता। इतना समय बीतने के बाद अक्टूबर-नवंबर में हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिर ऐसी मांग की जरूरत नहीं रहेगी।