H

Rajasthan News: ढाई दिन के झोपड़े को लेकर बढ़ा विवाद, अंदर मंदिर होने का दावा, डिप्टी मेयर बोले-खंडित प्रतिमाएं मिलीं

By: payal trivedi | Created At: 11 May 2024 04:16 AM


अजमेर की ऐतिहासिक इमारत अढ़ाई दिन के झोपड़े को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। जैन संत आचार्य सुनील सागर महाराज की ओर से यह दावा किया गया है कि यहां जैन मंदिर रहा होगा।

bannerAds Img
Ajmer: अजमेर की ऐतिहासिक इमारत अढ़ाई दिन (Rajasthan News) के झोपड़े को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। जैन संत आचार्य सुनील सागर महाराज की ओर से यह दावा किया गया है कि यहां जैन मंदिर रहा होगा। जब पार्श्वनाथ गुफा वाले मंदिर में गए तो सौ से ज्यादा मूर्तियां रखी हुई थी। वहीं इस बीच विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि ढाई दिन के झोपड़े का एएसआई से सर्वे कराया जाएगा। गौरतलब है कि ढाई दिन का झोपड़ा में मस्जिद है।

संस्कृत महाविद्दाालय और मंदिर होने की कही बात

दरअसल, दो दिन पहले जैन संत आचार्य सुनील सागर महाराज दो दिन पहले जैन संतों व आरएसएस के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ ढाई दिन के झोपड़े में गए थे। इस दौरान उनके साथ कई जैन संत और हिंदू संगठन के नेता भी मौजूद थे। इसके बाद उन्होंने कहा- भारतीय संस्कृति मेल मिलाप की संस्कृति है और भगवान राम व महावीर ने अंहिसा का संदेश दिया। मैत्री भाव रखना चाहिए। एक-दूसरे के प्रति आदर भाव रखना चाहिए। वे बोले- इतिहास में पढ़ा करते थे ढाई दिन का झोपड़ा। वहां संस्कृत महाविद्यालय भी था और किसी जमाने में वहां मंदिर भी रहा होगा। मीडिया से बातचीत में उन्होंने दावा किया- पार्श्वनाथ गुफा वाले मंदिर में गए तो सौ से ज्यादा मूर्तियां रखी हुई थी। इसका मतलब वहां कभी जैन मंदिर भी रहा होगा। आपसी समझदारी से इन मसलों का हल निकालना चाहिए। जहां मस्जिद है वह रहे, लेकिन जहां मंदिर वगैरह डिस्टर्ब किए गए, वे प्राचीन स्वरूप में आने चाहिए।

अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने भी किया दावा

इस पूरे विवाद में अजमेर के डिप्टी मेयर नीरज जैन ने भी वहां जैन मंदिर होने और खंडित प्रतिमाएं मिलने का दावा किया है। उन्होंने कहा- पूर्व में यह स्थान कंठभरण संस्कृत विद्यालय था, जिसे आततायियों ने तोड़ कर कब्जा करने का प्रयास किया। पूर्व में भी इस स्थान के संरक्षण और संवर्धन की मांग भी हमारे द्वारा की गई थी। उन्होंने कहा कि जैन मुनि सुनील सागर जी द्वारा वहां किए गए भ्रमण से इस तथ्य की पुष्टि हुई है कि इस स्थान पर संस्कृत पाठशाला के साथ-साथ जैन मंदिर भी था। उन्होंने दावा किया है कि पुरातत्व विभाग द्वारा 200 से ज्यादा खंडित प्रतिमा अपने पास रखी हुई है। जैन ने काशी विश्वनाथ, अयोध्या और मथुरा की तरह यहां भी सर्वे करवाने और अवैध कब्जा हटाने की मांग की है।

सरवर चिश्ती के बयान के बाद फिर से शुरू हुआ विवाद

जैन संतों के ढाई दिन के झोपड़े (Rajasthan News) में जाने के बाद एक ऑडियो सामने आया है, जो अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती का बताया जा रहा है। इसमें दावा है- सरवर चिश्ती कहते सुनाई दे रहे हैं कि कैसे ढाई दिन का झोपड़ा में बिना कपड़े के लोग अंदर चले गए, अंदर मस्जिद भी है। इस बयान के बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने और अन्य भाजपा नेताओं ने सचिव के इस ऑडियो बयान की कड़ी निंदा की है। देवनानी ने सरवर चिश्ती से माफी मांगने को कहा है। उन्होंने ढाई दिन के झोपड़े का एएसआई से सर्वे कराने के लिए भी पत्र लिखे जाने की बात की है।

ढाई दिन का झोपड़ा पर कई बार विवाद

इसके पीछे लंबा और काफी विवादित इतिहास माना जाता है। कुछ इतिहासकारों का कहना है कि पहले ये काफी विशालकाय संस्कृत कॉलेज हुआ करता था, जहां संस्कृत में ही सारे आधुनिक विषय पढ़ाए जाते थे। इसके बाद अफगान के शासक मोहम्मद गोरी जब घूमते हुए यहां से निकला, उसी के आदेश पर सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने संस्कृत कॉलेज को हटाकर उसकी जगह मस्जिद बनवा दी। परिसर में हिंदू, इस्लामी और जैन वास्तुकला की मिलाजुली झलक देखने को मिलती है।

उपमहापौर बोले- पीएफआई समर्थक को क्या अधिकार?

उपमहापौर नीरज जैन ने कहा कि सर तन से जुदा नारे लगाने वालों देश विरोधी पीएफआई का समर्थन करने वाले सरवर चिश्ती को जैन संत सुनील सागर जी के संस्कृत पाठशाला के भ्रमण पर आपत्ति करने का अधिकार नहीं है। जैन मुनि सुनील सागर जी द्वारा वहां किए गये भ्रमण से भी इस तथ्य की पुष्टि हुई है कि इस स्थान पर संस्कृत पाठशाला के साथ-साथ जैन मंदिर भी था। काशी विश्वनाथ, अयोध्या और मथुरा की तरह इस स्थान का भी सरंक्षण और संवर्धन कर अवैध कब्जे को हटाया जाए।

ये टिप्पणी जैन समाज और सनातन संस्कृति का अपमान : देवनानी

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि ढाई दिन का झोपड़ा की सच्वाई जानने के लिए आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को पत्र लिखा जाएगा। जैन संत जीवनभर वस्त्रहीन रह कर समाज को अपरिग्रह और तपस्या पूर्ण जीवन का संदेश देते हैं। ऐसे जैन संतों के खिलाफ चिश्ती का बयान दुर्भाग्यपूर्ण और विकृत मानसिकता का परिचायक है। टिप्पणी समूचे जैन समाज और सनातन संस्कृति का अपमान करने वाली है। उन्होंने कहा कि ढाई दिन का झोपड़ा सदैव से जनमानस में संस्कृत विद्यालय के रूप में अंकित रहा है। कालांतर में इस पर किस तरह कब्जा हुआ और ढाई दिन का झोपड़ा बना, खोज का विषय है।