भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार की दोपहर अमेरिकी राजदूतावास से केजरीवाल की गिरफ्तारी पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की टिप्पणी से नाराज होके कड़े सवाल जवाब किए। उन्होंने अमेरिका की कार्यवाहक मिशन उप प्रमुख ग्लोरिया बर्बेना को बुला कर कहा कि यह किसी संप्रभु देश के मामले में दखलंदाजी है। बाद में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बयान जारी किया, “भारत में कुछ कानूनी कार्यवाहियों के बारे में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता की टिप्पणियों पर हम कड़ी आपत्ति जताते हैं। कूटनीति में किसी भी देश से दूसरे देशों की संप्रभुता और आंतरिक मामलों का सम्मान करने की अपेक्षा की जाती है। अगर मामला सहयोगी लोकतांत्रिक देशों का हो तो यह जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। ऐसा ना होने पर गलत उदाहरण पेश होते हैं।” अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था, “अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर हमारी करीबी नजर है। हम मुख्यमंत्री केजरीवाल के लिए पारदर्शी कानूनी प्रक्रिया की उम्मीद करते हैं।”
जयशंकर ने कहा जाहिर सी बात है अमेरिका कौन होता है, किसी देश की न्यायिक प्रक्रिया पर नजर रखने वाला? हमारे यहां एक गंवई कहावत है, सूप बोले तो बोले, चलनी का बोले, जेहिमा बहत्तर छेद हैं! इसका मतलब है सूप तो आवाज करेगा तो क्या चलनी भी आवाज करेगी जो छिद्रों से पटी पड़ी है। इतना ही नहीं यही हाल जो बाइडेन सरकार का भी है वे यह मानते हैं कि भारत और भारतीयों के हर कदम पर आलोचना करना अमेरिकी सरकार का जन्मसिद्ध अधिकार है। हालांकि केजरीवाल को ED द्वारा गिरफ्तार करना अमेरिका को काफी चुभता है और तो और कभी बाल्टीमोर ब्रिज के टूटने की तोहमत वहां भारतीयों पर लगाई जा रही है। भारतीयों के विरुद्ध सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई तरह की नस्लवादी टिप्पणियां आई हैं। जबकि यह जहाज सिंगापुर की एक कंपनी का है। इसके चालक दल में सभी 22 लोग भारतीय थे।