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नारी शक्ति के दावे चुनावी नारों तक सीमित, पांच साल में एक फीसदी बढ़ी महिलाओं की हिस्सेदारी

By: TISHA GUPTA | Created At: 16 November 2023 03:06 PM


भारतीय राजनीति में आधी आबादी को पूरा हक अभी भी दूर की कौड़ी है। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने आधी आबादी यानी महिलाओं को टिकट देने में जिस तरह से कंजूसी बरती है, उसे देखकर तो यही लगता है कि नारी शक्ति के दावे अभी चुनावी नारों तक ही सीमित हैं।

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भारतीय राजनीति में आधी आबादी को पूरा हक अभी भी दूर की कौड़ी है। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने आधी आबादी यानी महिलाओं को टिकट देने में जिस तरह से कंजूसी बरती है, उसे देखकर तो यही लगता है कि नारी शक्ति के दावे अभी चुनावी नारों तक ही सीमित हैं। सूबे की 230 विधानसभा सीटों के लिए हो रहे चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने लगभग 11 फीसदी टिकट ही महिलाओं को दी है।

महिलाओं के वोट बेहद अहम

दरअसल, 17 नवंबर को होने वाले मतदान के पहले चुनाव प्रचार में आधी आबादी का मुद्दा और उनसे जुड़ी योजनाओं का शोर सबसे ज्यादा था। माना जा रहा था कि संसद से महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का बिल पारित होने के बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएंगे। बीजेपी की 'मुख्यमंत्री लाडली बहना योजना' और कांग्रेस की 'नारी सम्मान योजना' की ब्रांडिंग बताती है कि इस चुनाव में दोनों ही दलों के लिए महिलाओं के वोट कितने अहम है। लेकिन, वोट के लिए महत्वपूर्ण महिलाएं टिकट हासिल करने के मामले में दोनों ही पार्टियों में हासिये पर रही हैं।

बीजेपी की तुलना कांग्रेस ने महिलाओं को दिए ज्यादा टिकट

बात कांग्रेस की करें तो, देखा जा सकता है कि उसने 230 विधानसभा सीट के लिए घोषित उम्मीदवारों में सिर्फ 30 महिलाओं को जगह दी है। इस लिहाज से कुल उम्मीदवारों में महिलाओं को सिर्फ 13 फीसदी टिकट मिले हैं। वहीं,सत्तारूढ़ भाजपा की सूची में महिला प्रत्याशियों की संख्या सिर्फ 28 थी, उसमें भी बाद में एक नाम मौसम बिसेन का कट गया। पार्टी ने अंतिम समय में मौसम का टिकट काटकर उनके पिता पुराने धुरंधर गौरीशंकर बिसेन को बालाघाट सीट पर मैदान में उतार दिया। कांग्रेस ने बीजेपी के मुकाबले महिलाओं को तीन टिकट ज्यादा दिया है।

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