Rajasthan Election 2023: हनुमान बेनीवाल ने खींवसर से विधायक भाई नारायण बेनीवाल का काटा टिकट, जानें क्या है इसके सियासी मायने?
By: payal trivedi | Created At: 29 October 2023 04:31 PM
राजस्थान के नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट (Rajasthan Election 2023) चर्चा में है, क्योंकि वहां से खुद अब आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल मैदान में उतर आये हैं।

Jaipur: राजस्थान के नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीट (Rajasthan Election 2023) चर्चा में है, क्योंकि वहां से खुद अब आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल मैदान में उतर आये हैं। यह विधानसभा सीट पिछले कई वर्षों से हनुमान बेनीवाल के परिवार के पास ही है। इस बार कुछ ऐसे समीकरण बने कि बेनीवाल अब खुद मैदान में उतर आये हैं।
बड़ी रणनीति के साथ मैदान में उतरे हैं हनुमान बेनिवाल
अब चर्चा है कि आखिर यहां से हनुमान बेनीवाल ने क्यों अपने भाई नारायण बेनीवाल का टिकट काटा है। इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। कुछ महीने पहले तक हनुमान बेनीवाल कई सीटों से चुनाव लड़ने की बात कहते थे मगर अब अचानक से सबकुछ बदल गया है। सूत्रों का कहना है कि हनुमान बेनीवाल ने रणनीति के तहत यहां से अपने को मैदान में उतारा है। यहां पर दूसरे किसी की पैठ न बन पाए।
पहले से चल रही है पकड़
दरअसल, खींसवर विधानसभा वर्ष 2008 में अस्तित्व में आई है. पहले यह सीट मुंडवा विधानसभा सीट हुआ करती थी। परिसीमन हुआ और इस सीट के समीकरण भी बदल गए। जब यह सीट मुंडवा हुआ करती थी तब हनुमान बेनीवाल के पिता रामदेव बेनीवाल दो बार यहां से विधायक रहे। बेनीवाल परिवार की यह सीट पारंपरिक रही है। बेनीवाल भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत चुके हैं।
बेनिवाल के पिता ने 1977 में लड़ा था कांग्रेस के टिकट पर चुनाव
बेनीवाल के पिता ने 1977 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर (Rajasthan Election 2023) जीत हासिल की थी। 1985 में उन्होंने लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत भी गए थे। वर्ष 2008 में हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी, 2013 में निर्दलीय और 2018 में अपनी पार्टी आरएलपी से चुनावी मैदान में उतरे और जीत हुई है। उसके बाद उनके भाई नारायण बेनीवाल ने यहां से उपचुनाव जीता है।
क्या है मामला?
नागौर जिले के पत्रकार डीसी गौड़ का कहना है कि हनुमान बेनीवाल (Rajasthan Election 2023) इस सीट को विकल्प के रूप में उपयोग करते हैं। यहां विधानसभा जीतकर लोकसभा के लिए दावेदारी बनाना चाहते है। यहां से उनके भाई को इसलिए हटाया गया है। खींवसर सीट पर शुरू से ही जाट समाज का दबदबा रहा है। इसके अलावा यहां बड़ी संख्या में दलित मतदाता भी है। ऐसे में चुनाव में जीत और हार में एक अहम भूमिका दलित मतदाताओं का भी होता है। आजाद रावण की पार्टी के साथ हनुमान ने इसलिए गठबंधन भी किया है। दलितों का वोट कहीं बंट न जाए।