H

खत्म हुआ Jaipur Literature Festival, पिछली बार बीजपी ने उठाए थे ये सवाल, इस बार सरकार साथ, जानें 5 दिन में क्या कुछ खास रहा?

By: payal trivedi | Created At: 06 February 2024 05:46 AM


पांच दिन चला जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल अब खत्म हो चुका है। हर साल चर्चा में रहने वाले जेएलएफ में इस बार कोई विवाद नहीं हुआ।

bannerAds Img
Jaipur: पांच दिन चला जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (Jaipur Literature Festival) अब खत्म हो चुका है। हर साल चर्चा में रहने वाले जेएलएफ में इस बार कोई विवाद नहीं हुआ। जेएलएफ में पिछले साल मुगल टेंट को लेकर बीजेपी ने मुद्दा बनाया था। नाम बदलने की मांग की थी। वहीं, इस साल इस पर बीजेपी कुछ नहीं बोली। डिप्टी सीएम दीया कुमारी और मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ खुद जेएलएफ का हिस्सा बने। इस बार सेलिब्रिटी के सेशन भी बहुत कम नजर आए। इसका दर्शकों की संख्या पर भी असर पड़ा। विदेशी सैलानियों की संख्या भी कम रही। जेएलएफ के आयोजकों ने इस बार स्टूडेंट्स को सबसे ज्यादा आमंत्रित किया, ऐसे में स्टूडेंट्स अपने पसंदीदा राइटर्स को सुनने और उनकी बुक को खरीदने में जुटे रहे। बच्चों के लिए सबसे ज्यादा अट्रेक्शन वाले सेशन तीसरे दिन रहे, जहां वे इंफोसिस फाउंडेशन की फाउंडर सुधा मूर्ति को सुनते नजर आए।

पिछले साल हुआ था ये विवाद

पिछले साल मुगल टैंट पर उदयपुर पूर्व राजपरिवार के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने मुगल टैंट पर सवाल उठाए थे। बीजेपी के नेताओं ने भी इस पर आपत्ति जताई थी। नाम बदलने के लिए आयोजकों को सलाह भी दी थी। तब तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा था कि अच्छा होता मुगल टेंट का नाम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर होता। राजेंद्र राठौड़ ने कहा था- मुगल की जगह महाराणा प्रताप का नाम भी लिखा जा सकता था। वहीं, इस बार बीजेपी की सरकार होने के बावजूद किसी भी प्रकार का विरोध नहीं हुआ।

इस जगह ने किया सबसे ज्यादा अट्रेक्ट

इस बार जेएलएफ में नंद घर बनाया गया था, जहां लोक कलाकारों की प्रस्तुतियां और डेकोरेशन ने लोगों को खास तौर पर अट्रैक्ट किया। यहां सबसे ज्यादा यूथ आया और जमकर फोटोग्राफी की। यहां यंगस्टर्स और बच्चों के लिए विशेष तरह की वर्कशॉप लगाई गई, जहां स्टैंडअप से लेकर विजुअल आर्टिस्ट्स रूबरू हुए।

अब तक इन चीजों के चलते विवादों में रह चुका हैं

जेएलएफ साहित्यिक चर्चाओं में साथ विवादित टिप्पणियों के लिए काफी चर्चाओं में रहता है। यहां शराब परोसने से लेकर सलमान रुश्दी की विवादित पुस्तकों के कुछ अंश को पढ़ने से लेकर विवाद हो चुका है। इस बार आयोजकों ने किसी भी विवाद से दूर रहने का फैसला लिया। ऐसे किसी भी विषय पर सेशन नहीं रखे गए, जो विवाद का विषय बन सकते हों। यहां तक कि आयोजकों ने राम मंदिर को लेकर भी किसी भी प्रकार का कोई सेशन नहीं रखा।

इस बार बारिश ने डाला खलल

इस बार जेएलएफ के चौथे दिन सुबह से बारिश का दौर चला। इसमें दर्शकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी। खासकर सुधा मूर्ति और विशाल भारद्वाज के सेशन में सबसे ज्यादा लोग सुनने को पहुंचे थे। बारिश के कारण लोगों को खड़े होने के लिए भी जगह नहीं मिली। ऐसे में अधिकांश लोग टैंट से निकलकर दूसरी जगह चले गए। रविवार का दिन होने के बावजूद दर्शकों की संख्या पिछले कई सालों से कम रही। बारिश के कारण लोगों ने फेस्टिवल से दूरी बनाई। बारिश के कारण ही हर साल की तरह आमेर फोर्ट में होने वाली हेरिटेज नाइट को भी होटल क्लार्क्स आमेर में शिफ्ट कर दिया गया। इसके चलते विदेशी सैलानी थोड़े मायूस नजर आए।

हिन्दी भाषी साहित्य प्रेमियों को हाथ लगी निराशा

इस बार हिन्दी साहित्यकारों की कमी भी फेस्टिवल (Jaipur Literature Festival) में नजर आई। ऐसे में हिन्दी भाषी साहित्य प्रेमियों को निराशा हाथ लगी। हिन्दी में सबसे बड़ा नाम कथाकार मृदुला गर्ग रही। इसके अलावा यतीन्द्र मिश्र भी अपनी पुस्तक गुलजार साब के साथ आए। इससे पहले अशोक वाजपेयी, विनोद कुमार शुक्ल, लीलाधर मंडलोई, अजय नावरिया, प्रभात रंजन सहित कई नाम अधिकांश फेस्टिवल में हमेशा आते रहे है। हिन्दी साहित्यकारों की दूरी को लेकर भी साहित्य प्रेमी सवाल उठाते नजर आए।

पार्किंग में नहीं हुई कोई परेशानी

इस बार जेएलएफ में आने वाले दर्शकों के लिए पार्किंग के लिए विशेष इंतजाम किए गए। होटल परिसर के नजदीक और रजिस्ट्रेशन डेस्क के पास इस बार पार्किंग को बड़ा किया गया। जहां लोगों ने आराम से अपनी गाड़ियां पार्क की। इस बार आयोजकों की तरफ से क्यू आर कोड से एंट्री दी गई। इससे समय की बचत के साथ पेपरलेस बनाने का प्रयास किया गया।