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चंद्रयान-3 के चारों ओर सुनहरी परत क्यों लगी है ?

By: Raaj Sharma | Created At: 24 August 2023 03:56 PM


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के लिए 23 अगस्त का दिन ऐतिहासिक रहा। चंद्रयान-3 ने सफलता पूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर लैंडिंग की।

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(इसरो) के लिए 23 अगस्त का दिन ऐतिहासिक रहा। चंद्रयान-3 ने सफलता पूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर लैंडिंग की। इस ऐतिहासिक कामयाबी की उम्मीद लिए आम लोगों की दिलचस्पी भी चंद्रयान-3 और उससे संबंधित ख़बरों में बढ़ती जा रही है। अंतरिक्ष और विज्ञान के तमाम पहलुओं के बीच थोड़ा गौर करेंगे को पाऐंगे कि, चंद्रयान-3 की चारों ओर सुनहरा आवरण है। ये आवरण क्यों है, इस बारे में कभी सोचा...? चंद्रयान-3 के चारों ओर आपको सुनहरी परत दिख रही है, ऐसी परत किसी भी अंतरिक्ष यान या मानव निर्मित उपग्रह या उनके उपकरणों के चारों ओर क्यों लगाई जाती है, इसके जवाब में मुंबई स्थित नेहरू तारामंडल के निदेशक अरविंद पराजंपे कहते हैं कि, "यान के चारों ओर दिखाई देने वाला गोल्डन फ़ॉइल पेपर जैसा आवरण न तो सोना है और न ही काग़ज़ का बना है। इसे मल्टीलेयर इंसुलेशन या एमएलआई कहा जाता है। दरअसल बहुत ही हल्के वज़न की फिल्म की कई परतें एक के ऊपर एक लगाई जाती हैं।" परांजपे के मुताबिक़, "इसमें बाहर की तरफ सुनहरी और अंदर की तरफ सफेद या सिल्वर रंग की फिल्में हैं। वे पॉलिएस्टर से बनी फिल्में हैं। इन फ़िल्मों पर एल्यूमीनियम की बहुत पतली परत की लेप भी लगाई जाती। पॉलिएस्टर की एक फिल्म और उस पर एल्यूमीनियम की एक परत से एक शीट बनती है।"

अंतरिक्ष यान की यात्रा में इस शीट का योगदान -

हालांकि पराजंपे ये बताते हैं कि यह शीट पूरे यान में नहीं लगाई जाती, बल्कि केवल अंतरिक्ष यान के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगाई जाती है, ऐसे क्षेत्रभ जो विकिरण से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इन शीटों का कितना और कैसे उपयोग किया जाए, यह उपग्रह या अंतरिक्ष यान के मिशन के मुताबिक़ निर्धारित होता है।" अब इसके बाद यह सवाल भी उठता है कि किसी यान के लिए सुनहरी दिखने वाली एमएलआई शीटों का वास्तव में क्या उपयोग है? अरविंद परांजपे कहते हैं, "इन शीट्स का मुख्य काम सूर्य की रोशनी को परिवर्तित करना है। एक तरह से ये शीट्स यान को गर्मी से बचाती हैं। पृथ्वी से अंतरिक्ष तक अंतरिक्ष यान की यात्रा के दौरान, तापमान बहुत तेज़ी से बदलता है। तापमान में ये परिवर्तन अंतरिक्ष यान के नाजुक उपकरणों पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। गर्मी में अचानक वृद्धि से उपकरण बंद हो सकते हैं।"

तापमान में परिवर्तन से यान में कोई फर्क पड़ता है ?

अंतरिक्ष यान या उपग्रहों के आसपास के इस आवरण के बारे में विस्तृत जानकारी अमेरिकी अंतरिक्ष शोध संगठन नासा की वेबसाइट पर दी गई है। नासा की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक़, उपग्रह या अंतरिक्ष यान के स्थान पर सीधी धूप की मात्रा के आधार पर एमएलआई शीट तैयार की जाती है। इसका मतलब है कि अलग-अलग उपग्रहों के लिए इसकी मात्रा अलग-अलग होती है। कई उपग्रह तो पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हो जाते हैं वहीं एक चंद्रयान जैसे उपग्रह को कुछ लाख किलोमीटर की यात्रा करनी होती है। इस अवधि के दौरान तापमान में शून्य से 200 डिग्री फॉरेनहाइट से 300 डिग्री फॉरेनहाइट का भारी अंतर होता है। पृथ्वी के निकट की कक्षा अत्यधिक ठंडी हो सकती है। उस समय ये शीट्स यान के उपकरणों से उत्पन्न गर्मी को बाहर नहीं निकलने देतीं।

अंतरिक्ष की धूल से भी होगी सुरक्षा -

इसके अलावा ये शीट्स सीधे सूर्य के प्रकाश से सौर विकिरण और पराबैंगनी किरणों को अंतरिक्ष में परावर्तित करती हैं यानी उन्हें वापस अंतरिक्ष की ओर मोड़ देती हैं। इससे यान को कोई ख़तरा नहीं रहता है। नासा की वेबसाइट के मुताबिक़, एमएलआई शीट अंतरिक्ष यान को न केवल सौर विकिरण और गर्मी ही नहीं, बल्कि अंतरिक्ष की धूल से भी बचाती हैं। इन धूलों से अंतरिक्ष यान के उपकरणों के सेंसर क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। यह उपकरणों द्वारा रिकॉर्ड किए जा रहे निगरानी और रिकॉर्डिंग की प्रक्रिया को भी रोक सकते है, ये शीट्स यहां भी उपयोगी भूमिका निभाती हैं। इसलिए अंतरिक्षयानों, उपग्रहों और अंतरिक्ष स्टेशनों के बाहरी आवरण सुनहरे दिखाई देते हैं।
Written by – Isa Ahmad.