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Rajyasabha Election: लोकसभा लड़ना चाहते थे गरासिया पार्टी ने कर ली राज्यसभा भेजने की तैयारी, कई सालों से संगठन में कर रहे मेहनत

By: payal trivedi | Created At: 13 February 2024 04:55 AM


जिस तरह भाजपा संगठन को संभालन वाले भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया गया ठीक उसी तरह एक और व्यक्ति को संगठन में मेहनत करने पर राज्यसभा भेजने का भारतीय जनता पार्टी ने फैसला कर उदयपुर संभाग के भाजपा कार्यकर्ताओं को चौंका दिया है।

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Jaipur: जिस तरह भाजपा संगठन को संभालने (Rajyasabha Election) वाले भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बना दिया गया ठीक उसी तरह एक और व्यक्ति को संगठन में मेहनत करने पर राज्यसभा भेजने का भारतीय जनता पार्टी ने फैसला कर उदयपुर संभाग के भाजपा कार्यकर्ताओं को चौंका दिया है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में चुन्नीलाल गरासिया उदयपुर लोकसभा सीट से टिकट के लिए मेहनत कर रहे थे लेकिन पार्टी ने उनको सीधे ही राज्यसभा में भेजने के लिए उम्मीदवार बनाकर यह मैसेज दिया कि पार्टी की सब पर निगाहे है।

गरासिया को राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर की इस वर्ग को साधने की कोशिश

उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र के भाजपा में वे बड़े चेहरे है और संगठन में पिछले सालों से बड़ी मेहनत कर रहे है। अभी वे बतौर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष है और भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है और संगठन को सींचने के लिए उदयपुर से जयपुर-दिल्ली और संभाग का चक्कर लगा रहे है। जब भी पड़ौसी राज्य गुजरात में चुनाव होते है तब भी चुन्नीलाल गरासिया को संगठन की तरफ से जिम्मेदारी दे दी जाती है। भाजपा ने उनको राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर वनवासी परिवार को भी साधने की कोशिश की है।

मोदी की गारंटी को वनवासियों तक पहुंचाया

विधानसभा चुनाव से पहले उदयपुर की एक होटल (Rajyasabha Election) में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उदयपुर संभाग की बैठक ली तब भी चुन्नीलाल गरासिया अगली पंक्ति में थे। सबसे अहम बात यह है कि तब नड्डा ने जोर दिया था कि मोदी सरकार की गारंटी और योजनाएं वनवासियों तक पहुंचे तब भी गरासिया उस लाइन में आगे थे। वे उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और सलूंबर क्षेत्र में मोदी सरकार की योजनाएं अंतिम लाइन तक पहुंचे इसके लिए भ्रमण पर निकले।

कौन है चुन्नीलाल गरासिया?

वे उदयपुर ग्रामीण विधानसभा से विधायक रहे और फिर मंत्री बने उसके बाद से वे दो दशक से फिर टिकट के लिए कतार में थे लेकिन टिकट नहीं मिला। पिछले दो विधानसभा से तो वे उदयपुर ग्रामीण सीट से प्रमुख दावेदार के रूप में थे।

लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे गरासिया

जब उदयपुर ग्रामीण से उनको टिकट नहीं​ मिला तो वे मिशन लोकसभा चुनाव के लिए लग गए थे। वे उदयपुर संसदीय क्षेत्र की एसटी रिजर्व सीट से भाजपा से टिकट के लिए कवायद शुरू कर चुके थे। वे संगठन से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक अपना नाम पहुंचा चुके थे। उनसे जब भी पूछा गया तो वे यहीं कहते थे कि संगठन जो जिम्मेदारी देगा उसके लिए तैयार है। वैसे इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने पूरी मेहनत कर दी थी कि टिकट मिल ही जाए।

संगठन में करने वालों पर पार्टी की नजर

गरासिया को राज्यसभा के लिए राजस्थान से उम्मीदवार (Rajyasabha Election) बना दिया जाएगा यह कभी नहीं सोचा। गरासिया को टिकट बनाकर पार्टी ने यह संदेश दिया कि संगठन में काम करने वाले व्यक्ति पर पार्टी की पूरी नजर है।

बीए पास गरासिया किसान है

68 वर्ष के गरासिया बीए पास है और वे कृषक है। भाजपा का बड़ा आदिवासी चेहरा है। वे उदयपुर संभाग में पार्टी के लिए लगातार दौरें कर रहे है और लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे थे।