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Chandrayaan-3: चांद के दक्षिणी ध्रुव का तापमान देख चौंके ISRO के वैज्ञानिक, बोले- इसकी उम्मीद नहीं थी

By: payal trivedi | Created At: 28 August 2023 07:35 AM


चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) के लैंडर की सफल लैंडिंग के चलते इतिहास में पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में एक बड़ी जानकारी सामने आई है।

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बेंगलुरू: चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) के लैंडर की सफल लैंडिंग के चलते इतिहास में पहली बार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में एक बड़ी जानकारी सामने आई है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचकर अंतरिक्ष विज्ञान में सफलता की एक नई परिभाषा लिखने के बाद लैंडर और रोवर में लगे पेलोड चंद्रमा के रहस्यों का पता लगाने में जुटे हैं। इसी क्रम में लैंडर विक्रम पर लगे पेलोड चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट (चेस्ट) ने चंद्र सतह के तापमान की जो प्रोफाइलिंग की है उससे विज्ञानी भी हैरान हैं।

70 डिग्री सेल्सियस निकला अधिकतम तापमान

चांद के तापमान को लेकर मिली ताजा जानकारी के बारे में बताते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के विज्ञानी बीएचएम दारुकेशा ने कहा कि चंद्र सतह पर तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान था, लेकिन चंद्र सतह पर अधिकतम तापमान 70 डिग्री सेल्सियस निकला जो उम्मीद से दोगुने से भी अधिक है।

ISRO ने तापमान का ग्राफ जारी किया

विज्ञानी बीएचएम दारुकेशा ने कहा कि इतना तापमान होना आश्चर्यजनक है। पृथ्वी पर दो से तीन सेंटीमीटर गहराई में हमें तापमान में मुश्किल से दो से तीन डिग्री सेल्सियस का अंतर दिखता है, जबकि चंद्रमा पर यह लगभग 50 डिग्री सेल्सियस है।

चंद्रयान-3 ने रचा इतिहास

इससे पहले चंद्रयान-3 के लैंडर माड्यूल (एलएम) ने बुधवार को चंद्रमा की सतह पर उतरकर इतिहास रचा था। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला विश्व का पहला देश बन गया। अब तक अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं, लेकिन कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं पहुंच सका था।

चेस्ट में लगे 10 सेंसर नाप रहे तापमान

चेस्ट पेलोड में उपकरण लगा है, जिसमें तापमान मापने के लिए 10 सेंसर हैं। यह उपकरण कंट्रोल एंट्री सिस्टम की मदद से सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है। इस पेलोड को अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला (एसपीएल) की टीम ने भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल), अहमदाबाद के सहयोग से विकसित किया है।