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लिफ्ट हादसों पर बड़ा एक्शन, विधानसभा में एक्ट पास, अब इन नियमों का रखना होगा ध्यान

By: Richa Gupta | Created At: 10 February 2024 04:41 AM


उत्तर प्रदेश विधानसभा में लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट पास हो गया है। शुक्रवार को ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने सदन में लिफ्ट विधेयक पेश किया, जिसे पूरे सदन ने सर्वसम्मति से स्थापित करने की सहमति दी।

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उत्तर प्रदेश विधानसभा में लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट पास हो गया है। शुक्रवार को ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने सदन में लिफ्ट विधेयक पेश किया, जिसे पूरे सदन ने सर्वसम्मति से स्थापित करने की सहमति दी। सत्र के दौरान लिफ्ट एक्ट पास हो गया। इस एक्ट के अनुसार, घरेलू लिफ्ट को छोड़कर बाकी सभी स्थान पर लिफ्ट ऑपरेटर रखना अनिवार्य होगा।

ऑडिट के दौरान काफी शर्तें रखी जाएंगी

नियम के मुताबिक, राज्य में किसी भी बहुमंजिला बिल्डिंग में लिफ्ट या एस्केलेटर लगाने के लिए इजाजत लेनी होगी और विद्युत सुरक्षा निदेशालय में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। उसके बाद लिफ्ट लगाने के लिए सरकार की टीम मौके पर मुआयना करेगी। ऑडिट के दौरान काफी शर्तें रखी जाएंगी, जिनको मानना अनिवार्य होगा। नियम के मुताबिक अब जो लिफ्ट लगेगी, उनमें "ऑटो रेस्क्यू डिवाइस" लगा होगा। इसका मतलब होता है कि अगर बिजली या तकनीकी खराबी होने की वजह से लिफ्ट रुक जाती है तो नजदीकी फ्लोर पर अपने आप आकर दरवाजा खुल जाएगा।

पीड़ित को मुआवजा दिया जाएगा

प्रारूप के अनुसार, थर्ड पार्टी का बीमा करवाना होगा, जिससे कोई हादसा होने पर पीड़ित को भी मुआवजा दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लागू होने के बाद सबसे बड़ा फायदा गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद जिले के लाखों लोगों को मिलेगा। दरअसल, गाजियाबाद के साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सैकड़ों हाउसिंग सोसाइटियों में हजारों की संख्या में लिफ्ट लगी हुई है, जिनके रखरखाव और मैनेजमेंट को लेकर कोई नियम-कायदे नहीं हैं। इसी वजह से इन शहरों में लिफ़्ट से जुड़े हादसे हो रहे हैं।

कम से कम दो बार मॉक ड्रिल अभ्यास करवाना होगा

बीते महीने ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक निर्माणाधीन इमारत में लिफ़्ट से जुड़ा हादसा हुआ, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी। अब नियमों के मुताबिक लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम के बाद दुर्घटना की स्थिति में मलिक के द्वारा पीड़ित को मुआवजा देना होगा। लिफ्ट और एस्केलेटर में समस्या होने पर तत्काल ठीक करवाना होगा। मालिक को साल में कम से कम दो बार मॉक ड्रिल अभ्यास करवाना होगा। स्थापना एवं संचालन के संबंध में शिकायत मिलने पर मालिक अथवा संबंधित एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।