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Loksabha Election 2024: आखिर बीजेपी क्यों जयंत चौधरी को अपनी पार्टी में शामिल करना चाहती हैं? जानें UP में RLD का कितना प्रभाव?

By: payal trivedi | Created At: 09 February 2024 04:31 AM


लोकसभा चुनाव अब नजदीक ही हैं और ऐसे में दल-बदल और गठबंधन को लेकर सियासत तेज हैं। अब ऐसे में चर्चा हैं कि जाट नेता जयंत चौधरी बीजेपी के साथ जा सकते हैं।

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New Delhi: लोकसभा चुनाव अब नजदीक ही हैं और ऐसे (Loksabha Election 2024) में दल-बदल और गठबंधन को लेकर सियासत तेज हैं। अब ऐसे में चर्चा हैं कि जाट नेता जयंत चौधरी बीजेपी के साथ जा सकते हैं। लेकिन 18 अगस्त 2023 को जाट नेता जयंत चौधरी ने ‌BJP के साथ जाने के सवाल पर कहा था कि 'जो मुझे समझ नहीं पाए, वही इस बात की चर्चा कर रहे हैं। मैं बहुत जिद्दी आदमी हूं। जब कह देता हूं, मन बना लेता हूं तो बदलता नहीं हूं।' और अब 5 महीने भी नहीं बीते कि जयंत के BJP के साथ जाने की चर्चा तेज है। पिछले 2 लोकसभा चुनावों में जयंत की पार्टी एक भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई है। इसके बावजूद राम लहर पर सवार BJP जयंत को अपने साथ क्यों लाना चाहती है? UP में जयंत और उनकी राष्ट्रीय लोकदल पार्टी की क्या हैसियत है? 2024 में BJP और RLD दोनों के लिए ये गठजोड़ क्यों जरूरी है? आईये इन सवालों के जवाब जाननें की कोशिश करते हैं

BJP ने जयंत चौधरी के सामने रखा है प्रस्ताव!

अंग्रेजी अखबार द हिंदू में छपी एक खबर में दावा (Loksabha Election 2024) किया गया कि BJP ने राष्ट्रीय लोक दल यानी RLD के प्रमुख चौधरी जयंत सिंह को एक ऐसा प्रस्ताव दिया है, जिससे इनकार करना उनके लिए आसान नहीं होगा। जयंत की पार्टी को केंद्र और राज्य दोनों जगह मंत्री पद दिया जा सकता है। साथ ही RLD को 4 लोकसभा सीट के अलावा 1 राज्यसभा सीट भी ऑफर की जा सकती है। RLD के प्रवक्ता पवन आगरी ने कहा है कि 2024 लोकसभा चुनाव में BJP ने हमें 4 सीट ऑफर की हैं। हम लोग 12 सीटों की मांग कर रहे हैं। इसके बाद से ही 2024 लोकसभा चुनाव में RLD के BJP के साथ जाने की संभावना जाहिर की जा रही है।

वेस्ट यूपी में RLD का कितना प्रभाव?

दरअसल, जयंत चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं में से एक हैं। 1970 के दशक से ही जयंत की पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों का समर्थन मिलता आ रहा है। UP में रहने वाले 99% जाट पश्चिमी UP के 27 लोकसभा क्षेत्रों में रहते हैं। जयंत चौधरी के दादा और पूर्व PM चौधरी चरण सिंह अपने समय के सबसे बड़े जाट नेता थे। 1969 में हुए विधानसभा चुनाव में चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल BKD ने 402 में से 98 सीटें जीती थीं। इस दौरान पार्टी का वोट शेयर 21.29% था।

इन जातियों का मिला भरपूर साथ

इस दौरान उन्हें पश्चिमी UP की जाट, मुस्लिम समेत सभी जातियों का भरपूर साथ मिला। यह इस बात से भी जाहिर होता है कि 1987 में उनके निधन के बाद तक के चुनावों में उनकी पार्टी का वोट शेयर 20% के करीब बना हुआ था। 1999 में चौधरी अजित सिंह ने दोबारा से राष्ट्रीय लोकदल यानी RLD के नाम से अपनी पार्टी लॉन्च की। पिता के बाद अजीत सिंह अपने पिता चौधरी चरण सिंह के पारंपरिक वोटों को नहीं संभाल पाए और वे सिर्फ जाटों और मुस्लिमों के नेता बनकर रह गए। रही सही कसर 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे ने पूरी कर दी। इसके चलते अजीत सिंह की रालोद (RLD) को काफी नुकसान हुआ। RLD से जाट वोट बैंक छिटक गया। हालांकि, किसान आंदोलन के समय अजित सिंह और उनके बेटे जयंत ने किसानों का समर्थन किया। किसान आंदोलन की अगुआई जाट और मुस्लिम दोनों मिलकर कर रहे थे। एक बार फिर जाट के साथ मुस्लिमों ने जयंत पर भरोसा किया। परिणाम ये हुआ कि 2017 में RLD ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी, जो 2022 में बढ़कर 8 हो गईं।

पिछले दो लोकसभा में RLD के खाते में 0 सीट

पश्चिमी UP में लोकसभा की कुल 27 सीटें हैं। इनमें से मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद मंडल (Loksabha Election 2024) की 14 सीटों पर जाटों का वोट ही जीत और हार तय करता है। इन सीटों पर जयंत चौधरी की पार्टी RLD निर्णायक भूमिका निभाती रही है। 2019 लोकसभा चुनाव में इन 14 सीटों में से सिर्फ 7 सीटों पर BJP को जीत मिली थी, जबकि 7 सीटों में से 4 पर बसपा और 3 पर सपा को जीत मिली थी। इस बार मिशन 370 के तहत BJP पश्चिमी UP के जाटलैंड की सभी 14 सीटों को जीतना चाहती है। BJP को पता है कि जयंत चौधरी और उनकी पार्टी के समर्थन के बिना ये संभव नहीं है। पश्चिम UP में करीब 18% जाट आबादी है, जो सीधे चुनाव पर असर डालती है। यानी जाट समुदाय का एकमुश्त वोट पश्चिमी UP में किसी भी दल की हार-जीत तय करता आ रहा है।

इन दो फेक्टर की वजह से BJP को RLD की जरूरत

- 2020 के किसान आंदोलन के दौरान 700 किसानों की मौत से जाटों में केंद्र सरकार के प्रति गुस्सा है। इस आंदोलन के दौरान मुस्लिम और जाट समुदाय के बीच विभाजन की खाई काफी हद तक कम हो गई है।

- गन्ना किसानों का बकाया और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, यानी MSP से जुड़ी मांगों का समाधान नहीं होने से भी किसानों में गुस्सा है। BJP जयंत से गठबंधन कर उस नुकसान की भरपाई करना चाहती है।

इससे पहले भी 4 बार चौधरी परिवार बीजेपी के करीब आ चुका हैं

अगर RLD और BJP के बीच गठबंधन होता है तो ये पहला मौका नहीं होगा। इससे पहले भी 4 बार चौधरी परिवार BJP के करीब आ चुका है। दोनों दलों के बीच यह नाता लगभग पांच दशकों से भी पुराना है। सबसे पहली बार 1977 में जनसंघ के नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जनता पार्टी का हिस्सा बने थे। 1999 के लोकसभा चुनाव में चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह चुनाव जीते और बाद में BJP से समझौता कर लिया। इसके बाद BJP और रालोद फिर 2002 के विधानसभा चुनावों में साथ आए। आखिरी बार दोनों पार्टियों ने मिलकर 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। जिसमें रालोद ने 5 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी।

RLD ने 2002 विधानसभा में जीती थी सबसे ज्यादा सीटें

इसके अलावा रालोद ने विधानसभा में अब तक सबसे ज्यादा 14 सीटें 2002 में जीती थीं और इस दौरान वह BJP की सहयोगी हुआ करती थी। रालोद ने इस चुनाव में 38 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। वहीं, 2007 में रालोद ने अकेले दम पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ 10 सीटें ही जीत पाई थी। इसके बाद रालोद का ग्राफ लगातार गिरता ही रहा है। 2012 में रालोद ने सिर्फ 9 सीटें और 2017 के विधानसभा चुनाव में केवल एक सीट पर ही जीत दर्ज कर सकी थी। उसका इकलौता विधायक भी बाद में BJP में शामिल हो गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में तो रालोद नेता अजीत सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी खुद अपनी सीट नहीं बचा पाए थे। यही वजह है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जयंत चौधरी अगर BJP से गठबंधन कर लें तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।

क्या जातीय समीकरण के तहत चलती हैं यूपी की राजनीति?

पॉलिटिकल एक्सपर्ट रशीद किदवई के मुताबिक उत्तर प्रदेश की राजनीति भी जातीय समीकरण के तहत चलती है। जाट वोटों का पलटना I.N.D.I.A के लिए ताबूत में आखिरी कील जैसा होगा। पश्चिमी UP की सभी 27 लोकसभा सीटों पर BJP को बढ़त मिल सकती है। सिर्फ BJP ही नहीं, RLD के लिए भी इस गठबंधन में शामिल होना मजबूरी है। इसकी वजह ये है कि सत्ता के बिना राजनीतिक दलों की कोई अहमियत नहीं होती है। RLD को पिछले 2 चुनावों में एक भी सीट नहीं मिली है। ऐसे में जयंत चौधरी तीसरा चुनाव हारने का रिस्क नहीं उठा सकते हैं। इससे उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा। 2024 लोकसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में मुस्लिम वोटों का बंटना तय है, लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में वोट नहीं बंटेगे। इसमें कोई दो राय नहीं कि थोड़े बहुत मुस्लिम वोट भी अगर RLD को मिले तो इससे BJP के नंबर सपा, बसपा और कांग्रेस से कई गुना ज्यादा हो जाएंगे।