मध्य प्रदेश की मोहन सरकार 3 लाख 73 हज़ार करोड़ के कर्ज में डूबी हुई है। इस कर्ज से उभरने के लिए प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने नया फार्मूला खोज निकाला है। इस फार्मूले के तहत देश के दूसरे राज्यों में मौजूद मध्य प्रदेश की संपत्तियों को बेचने और किराए पर देने की तैयारी की जा रही है। जिससे करीब 200 करोड रुपए सरकार की खजाने में जमा होने की उम्मीद है। लेकिन बड़ा सवाल यह है वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा सोम डिस्टलरीज जैसे बड़े देनदारों से 575 करोड रुपए का उधार वसूलने में कोई रुचि क्यों नही ले रहे। या फिर सोम डिस्टलरीज को बचाने के लिए ही जगदीश देवड़ा नए नए फॉर्मूले खोज रहे हैं। शराब माफिया और सरकार का ये रिश्ता आखिर क्या कहलाता है। कर्ज चुकाने के लिए फाइनेंस डिपार्टमेंट में सभी विभागों को पत्र लिखकर जानकारी मांगी पत्र में पूछा गया है कि किस राज्य में कितनी प्रॉपर्टी किस रूप में है इसकी कीमत क्या है और अगर किसी प्रॉपर्टी का कोर्ट में कैसे चल रहा है तो यह किस तरह का विवाद है?
जानकारी के मुताबिक इसका मकसद मध्य प्रदेश के बाहर मौजूद अलग-अलग विभागों की संपत्तियों का आंकड़ा जुटाना है जिससे इन संपत्तियों को बेचा जा सके या किराए पर दिया जा सके। वित्त विभाग ने सभी विभागों के चीफ सेक्रेटरी एडिशनल चीफ सेक्रेटरी और सेक्रेटरी को लिखे लेटर में कहा प्रदेश के बाहर मौजूद संपत्तियों की समीक्षा जल्द मुख्य सचिव बीना राणा करेंगी, वित्त विभाग के निर्देश के बाद अब विभागों के प्रमुख प्रदेश के बाहर मौजूद प्रॉपर्टीज के रिकार्ड तैयार करने में जुड़ गए हैं।
वित्त मंत्री देवड़ा ने विधानसभा में माना था कि सोम डिस्टलरीज ने किया फर्जीवाड़ा, फिर आज तक क्यों नहीं हुई कार्रवाई?
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शराब माफिया सोम डिस्टलरीज लगातार कई फर्जीवाड़े करता रहा है। साल 2014 में सोम ने अपने रायसेन स्थित शराब प्लांट में बिना परमिशन स्प्रिट के 20 अवैध टैंकरों का निर्माण कर लिया था। जिसका पता सरकार को साल 2018 में लगा। तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने इस मामले को म प्र विधानसभा में भी उठाया था। तब वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विधानसभा में ये स्वीकार किया था कि सोम डिस्टलरीज ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया है और इस मामले में कड़ी कार्यवाई का आश्वासन भी विधानसभा को दिया था। लेकिन वित्त मंत्री के आश्वासन के बावजूद भी सोम डिस्टलरीज पर कोई कार्यवाई क्यों नहीं की गई