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जरूरत से ज्यादा पानी पहुंचाता है सेहत को नुकसान, जानें सही मात्रा और तरीका

By: Sanjay Purohit | Created At: 29 May 2024 09:59 AM


इस समय गर्मी अपने पूरे जोरों पर है। ऐसे में सरकार भी आए दिन लोगों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दे रही है। हर रोज नई गाइडलाइंस सामने आ रही है जिसमें बताया गया है किस तरह हम लू से बच सकते हैं। ऐसे में लोग भी हीट वेव ज्यादा होने के कारण पानी को जरूरत से ज्यादा पी रहे हैं।

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इस समय गर्मी अपने पूरे जोरों पर है। ऐसे में सरकार भी आए दिन लोगों को घर से बाहर न निकलने की सलाह दे रही है। हर रोज नई गाइडलाइंस सामने आ रही है जिसमें बताया गया है किस तरह हम लू से बच सकते हैं। ऐसे में लोग भी हीट वेव ज्यादा होने के कारण पानी को जरूरत से ज्यादा पी रहे हैं।दरअसल, हमारा शरीर लगभग 70% पानी से बना है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर एक इंसान को पानी नियमित रूप से पीना चाहिए ताकि ड्राइनेस और डिहाइड्रेशन जैसी परेशानी से बचा जा सके। ऐसे में लोग जोश-जोश में जरूरत से ज्यादा पी रहे हैं जो हमारे लिए बहुत हानिकारक भी साबित हो सकता है।

शरीर में सोडियम की कमी

कम समय में 3 से 4 लीटर पानी पीने से हाइपोनेट्रिमिया जैसी परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसमें खून के अंदर सोडियम की मात्रा कम हो जाती है। ज्यादा पानी पीने से वाटर इंटॉक्सिकेशन जैसी समस्या भी पैदा हो सकती है जिसमें खून के अंदर सोडियम की मात्रा अत्यधिक स्तर पर कम हो जाती है। सोडियम के बिना सेल के अंदर फ्लूइड अनियंत्रित हो जाता है जिससे हमारा दिमाग फूल सकता है। इस परिस्थिति में कोमा या मौत भी हो सकती है।

किडनी को नुकसान

ओवरहाइड्रेशन की वजह से हमारी किडनी को भी नुकसान होता है। दरअसल जब हम अधिक पानी पीते हैं तो इसकी वजह से आर्जिनिन वैसोप्रेसिन का प्लाज्मा स्तर कम हो जाता है। जिसका सीधा असर किडनी की कार्य क्षमता पर पड़ता है। ऐसे में अधिक पानी पीने से बचना आपके लिए बेहद जरूरी है।

डायबिटीज

बार-बार प्यास लगना इस बीमारी का प्रमुख लक्षण है। डायबिटीज की वजह से खून में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है, जिसे किडनी आसानी से नहीं छान पाती। यही शुगर यूरिन के साथ बाहर निकलती रहती है। इसकी वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। यही बार-बार प्यास लगने की वजह बनती है।

मस्तिष्क पर होने वाला असर

अगर आपको ओवरहाइड्रेशन है तो इसकी वजह से सोडियम का कम होता लेवल ब्रेन सेल्स में सूजन पैदा हो जाती है। जब ऐसा होता है तो आपको अपनी बात रखने या कहने में दिक्कत होती है, ठीक से चल पाना भी मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा कन्फ्यूजन की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।