जब भारत कोविड से लड़ रहा था, कुछ लोगों ने देश की क्षमता पर सवाल उठाए - उपराष्ट्रपति धनखड़
जगदीप धनखड़ ने कहा कि, हमने अपने यहां भी कोविड से लड़ाई लड़ी और साथ ही कई देशों की भी मदद की। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली के 48वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते कहा कि, यह दुखद है कि, जब भारत कोविड-19 महामारी से मुकाबला कर रहा था और अन्य देशों की मदद कर रहा था, उस दौरान कुछ लोगों ने देश की क्षमताओं पर विश्वास नहीं किया। उन्होंने अपने इस संबोधन में आगे कहा कि, एक राष्ट्र के रूप में, हमें उस रवैए से बचने की जरूरत है। इससे किसी को फायदा नहीं होगा।
उपराष्ट्रपति ने कोविड काल को किया याद
उपराष्ट्रपति ने आगे अपने संबोधन में कहा कि, वह कानूनी पेशे से आते हैं और वह समझते हैं कि, पेशेवराना रुख का क्या अर्थ है। उन्होंने कहा कि, दीक्षांत समारोह तीन साल के अंतराल के बाद हो रहा है और यह अंतराल उन्हें कोविड महामारी की याद दिलाता है। इस दौरान स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी कड़ी मेहनत और गंभीर प्रयासों से देश को उस संकट से बाहर निकाला। आपको बता दें कि, इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और स्वास्थ्य राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल भी मौजूद थे।
भारत आज विश्व की फार्मेसी बन गया है
जगदीप धनखड़ ने आगे कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि, हमने अपने यहां भी कोविड से लड़ाई लड़ी और साथ ही कई देशों की भी मदद की। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। यह देखना दुखद था कि, हमारी क्षमता पर विश्वास नहीं करते हुए कुछ चिंताएं जताई गईं। उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में आगे कहा कि, भारत आज विश्व की फार्मेसी बन गया है। हमारे पास वह कौशल, मानव संसाधन है, लेकिन हमें आम आदमी के लिए दवाओं को किफायती बनाने की खातिर कुछ और काम करना होगा। उन्होंने कहा कि, सरकार ने इस दिशा में व्यापक स्तर पर काम किया है।