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बदलना है तो अब हालात बदलिए, नाम बदलने से क्या होता है - मल्लिकार्जुन खरगे

By: Richa Gupta | Created At: 18 September 2023 02:28 PM


संसद के 5 दिवसीय विशेष सत्र की शुरुआत आज से हो गई है। लोकसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के साथ शुरू हुई। संसद के दोनों सदनों में 75 साल की संसदीय यात्रा पर चर्चा हो रही है।

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आज से संसद का विशेष सत्र शुरू हो गया है। ये सत्र 22 सितंबर तक चलेगा। बुधवार से संसद की कार्यवाही नए संसद भवन में होगी। संसद के विशेष सत्र के दौरान राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। एक कविता का जिक्र करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि बदलना है तो अब हालात बदलो, ऐसे नाम बदलने से क्या होता है?

देना है तो युवाओं को रोजगार दो - मल्लिकार्जुन खरगे

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में कहा है कि प्रधानमंत्री जी यहां आते नहीं हैं, अगर अंदर आए तो पीयूष गोयल को भी आराम मिले। नाम बदलने से कुछ नहीं होता हम INDIA हैं। आगे कहा कि, देना है तो युवाओं को रोजगार दो, सबको बेरोजगार करके क्या होता है? दिल को थोड़ा बड़ा करके देखो लोगों को मारने से क्या होता है? कुछ कर नहीं सकते तो कुर्सी छोड़ दो बात-बात पर डराने से क्या होता है? अपनी हुक्मरानी पर तुम्हें गुरूर है लोगों को डराने-धमकाने से क्या होता है?

मणिपुर मुद्दे पर घेरा

खरगे ने कहा कि ED-CBI से विपक्ष को कमजोर किया जा रहा है। मणिपुर में आज तक दंगे हो रहे हैं। वो देश के कौने कौने में जाते हैं, मणिपुर क्यों नहीं जाते? आते है तो इवेंट बनाकर चले जाते हैं। राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, 'संविधान का निर्माण करने वाली 7 लोगों के सदस्यों की भूमिका में सबसे जरूरी भूमिका बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की है। व्यक्ति संविधान को मजबूत करने के लिए, देश को मजबूत करने के लिए एक आदमी ने काम किया। ये कांग्रेस की सरकार में हुआ। हमने इसे मेहनत से कमाई है, इसे हम गंवाना नहीं चाहते। कई लोगों को लगता था कि भारत अंगूठा छाप देश है। हमें बार-बार टोका जाता है कि हमने 70 साल में क्या किया। हमने 70 साल में लोकतंत्र को मजबूती दी। आपके पास बोलने के लिए कुछ नहीं है तो आप ये ही कह दीजिए।

आज भावुक होना स्वाभाविक - अधीर रंजन चौधरी

संसद के विशेष सत्र में कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज भावुक होना स्वाभाविक है। हमारे पूर्वज चले गए, हम उन्हें याद करते रहेंगे। आज पुराने सदन का अंतिम दिन है। 75 साल का अमृतकाल कहां से लाए समझ नहीं आता। सदन की प्रक्रिया चलती आ रही है और चलती रहेगी।

पहले दिन दो सदस्यों को बाहर रखना ठीक नहीं - खरगे

खड़गे ने अपने अंदाज में कहा कि मैं रात को दौड़ते-दौड़ते यहां पहुंचा हूं। यहां आने से पहले मैंने सोचा था कि आज का दिन बहुत अच्छा है। हमारे चेयरमैन साहब (उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़) गुस्से में नहीं रहेंगे और किसी को डराएंगे नहीं। सभी को प्रेम से लेकर एक साथ चलेंगे। इसी उम्मीद के साथ मैं यहां आया था। खड़गे ने कहा कि आज का दिन खुशी का दिन है, हमारे साथी संजय सिंह और राघव चड्ढा को सदन में लेकर आइए। अगर स्पेशल सेशन के पहले दिन दो सदस्यों को बाहर रखना ठीक नहीं लगता। आप बड़ा दिल दिखाइए, गुस्सा कम कर दीजिए।

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