देशभर में एक बार फिर वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा तेज हो गई है। दरअसल, 1 सितंबर को केंद्र की मोदी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई, जो एक देश एक चुनाव का कानून बनाने की दिशा में चर्चा करेगी। प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति की बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से चर्चा से बात करते हुए वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने से देश का आर्थिक फायदा होगा इससे लोकतंत्र मजबूत होगा समय की बचत होगी सरकार को विकास कार्य करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा। ये सोच अच्छी है और भाजपा इसका पक्ष में है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी यह बात कही है।
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन?
देश में अभी विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब इन्हें साथ कराने से हैं। जिसमें, एक ही समय पर या चरणबद्ध वोट डाले जाएं। अगर ऐसा होता है तो ये कोई पहली बार नहीं होगा इससे पहले भी 1952, 1957, 1962 और 1967 दोनों चुनाव साथ हुए थे। हालांकि, 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं भंग हो गई और फिर बाद में 1970 में लोकसभा भंग होने के कारण साथ चुनाव की परंपरा टूट गई।
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