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Rajasthan Election: क्या भाजपा कर पाएगी सत्ता में वापसी? जानें परिवर्तन यात्रा में 4 धार्मिक स्थल चुनने की पीछे क्या है पार्टी की रणनीति

By: payal trivedi | Created At: 28 August 2023 05:38 AM


राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा अपना पूरा जोर लगा रही हैं। जनता को साधने के प्रयास में और प्रदेश में अपनी सरकार बनाने के लिए बीजेपी एक बार फिर राजनीतिक यात्रा निकालने जा रही हैं।

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Jaipur: राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा अपना पूरा जोर लगा रही हैं। जनता को साधने के प्रयास में और प्रदेश में अपनी सरकार बनाने के लिए बीजेपी एक बार फिर राजनीतिक यात्रा निकालने जा रही हैं। आपको बता दें कि पार्टी 2 सितंबर से प्रदेश के चार बड़े धार्मिक स्थलों से परिवर्तन यात्रा शुरू करने वाली हैं। यह संयोग ही है कि अब तक भाजपा केवल दो ही बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई है और दोनों बार ही राजनीतिक यात्रा से ही कामयाबी मिली। तो क्या इस बार भी यह फार्मूला काम करेगा? आइये जानते है इसके पीछे की पार्टी की क्या रणनीति है। लेकिन आपको बता दें कि पिछली 2 यात्राओं में वसुंधरा राजे को इसकी कमान सौंपी गई थी पर इस बार पार्टी बिना किसी चेहरे के ये यात्रा निकालने वाली है। साथ ही आपको बताएंगे कि क्यों इस बार चार बड़े मंदिरों को चुना गया?

सबसे पहले आपको बताते हैं कि इस यात्रा फॉर्मूले की शुरूआत कब और कहां से हुई?

दरअसल साल 1990 और 1993 में भाजपा ने प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व में सरकार बनाई थी, लेकिन तब भाजपा को 200 में अपने अकेले दम पर 101 सीटों का पूर्ण बहुमत कभी नहीं मिला था। 1998 के चुनावों में भाजपा बुरी तरह से हारी। कुल 36 सीटों पर सिमट गई। कांग्रेस ने वर्ष 1998 में 156 सीटें हासिल की थी। अगस्त-2002 में शेखावत उप राष्ट्रपति बनकर सक्रिय राजनीति से अलग हो गए। भाजपा के सामने पुन: सत्ता में वापसी करना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई थी।

2003 में परिवर्तन यात्रा, भाजपा को मिली थी 120 सीटें

तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री व सांसद वसुंधरा राजे को भाजपा ने 2002 में प्रदेशाध्यक्ष बनाकर राजस्थान भेजा। तब भाजपा ने राजे के नेतृत्व में जो यात्रा निकाली थी उसका नाम था परिवर्तन यात्रा। लगभग एक वर्ष तक प्रदेश के सभी 200 सीटों के इलाकों में यात्रा निकाली गई। दिसंबर 2003 में भाजपा को पहली बार 101 के जादुई आंकड़े से भी ज्यादा 120 सीटें नसीब हुईं। इसके बाद भाजपा ने 2004 के लोकसभा चुनावों में भी 25 में से 21 सीटें जीतीं।

2013 में निकाली सुराज संकल्प यात्रा

वर्ष 2008 में भाजपा की हार हुई और कांग्रेस ने बिना पूर्ण बहुमत के भी सरकार बना ली। उस सरकार के खिलाफ वर्ष 2013 में भाजपा ने राजे के ही नेतृत्व में एक बार फिर सुराज संकल्प यात्रा के नाम से यात्रा निकाली। यह यात्रा प्रदेश की सभी 200 सीटों पर गई और दिसंबर-2013 में भाजपा ने राजस्थान में रिकॉर्ड बहुमत 200 में से 163 सीटों का हासिल किया। इसके बाद भाजपा ने लोकसभा चुनावों में 2014 में सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की।

अब जान लेते हैं कि इस बार क्या है बिना चेहरे यात्रा निकालने की भाजपा की रणनीति

दरअसल भाजपा चाहती तो किसी भी एक बड़े नेता या प्रदेशाध्यक्ष के नेतृत्व में भी यात्रा निकाल सकती थी। भाजपा ने सत्ता में आने के लिए यात्रा का पुराना फार्मूला तो अपनाया है, लेकिन उसकी रणनीति बदल दी है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार इस रणनीति के पीछे तीन बड़े कारण हैं।

सबसे पहला कारण है पीएम मोदी पर भरोसा

दरअसल भाजपा को यह विश्वास है कि पीएम मोदी पर देश की जनता भरपूर भरोसा करती है। पीएम मोदी हाल ही में राजस्थान के कई स्थानों पर सभा कर चुके हैं। उनकी सभाओं के प्रति आम लोगों में जबरदस्त आकर्षण है। ऐसे में चुनावों में पीएम मोदी के कामकाज और केंद्र की योजनाओं को लेकर जाना भाजपा को सुविधाजनक लग रहा है।

दूसरा सबसे बड़ा कारण है टकराव न हो इसलिए सीएम फेस नहीं

कोई भी राजनीतिक दल कितना भी अनुशासित हो, लेकिन अक्सर सीएम बनने के लिए पार्टी के भीतर भी कई बार बड़े नेताओं के बीच टकराव की स्थिति बन ही जाती है। भाजपा ने यात्राओं की कमान किसी एक नेता को न सौंपकर पार्टी को ही सौंपी है। ऐसे में अब पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, प्रदेशाध्यक्ष सी. पी. जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ सहित किसी भी अन्य नेता के बीच सीएम बनने की होड़ खत्म सी हो गई है। अब अगर पार्टी सत्ता में आती है, तो शीर्ष नेतृत्व ही तय करेगा कि सीएम कौन बनेगा कौन नहीं।

अब जान लेते हैं कि प्रदेश के 4 बड़े धार्मिक स्थलों को यात्रा के लिए क्यों चुना गया?

आपको बता दें कि भाजपा ने राजस्थान के चार बड़े धार्मिक स्थानों त्रिनेत्र गणेश मंदिर, बेणेश्वर धाम, रामदेवरा धाम और गोगामेड़ी स्थान से इन यात्राओं को शुरू करने का फैसला किया है। यह सीधे-सीधे करोड़ों लोगों की आस्था को छूने का प्रयास है। राजस्थान के करोड़ों आदिवासी, किसान, व्यापारी, दलित, सवर्ण आदि वर्ग-समुदाय के लोगों को जोड़ने के लिए यह एक कारगर कदम साबित हो सकता है।

कैसे कवर होंगी 200 विधानसभा सीटें?

भाजपा चुनाव प्रबंधन समिति के प्रदेश संयोजक नारायण पंचारिया ने बताया कि 2 सितंबर को भाजपा की परिवर्तन यात्रा शुरू होगी। ये सभी 200 सीटों पर निकाली जाएगी। आदिवासी, दलित, किसान, युवा और महिला वर्ग के लिए चौपाल लगाएगी। चौपाल में इन वर्गों से जुड़ी कांग्रेस सरकार की योजनाओं की विफलता को बताएगी। भाजपा नेता आंकड़ों-तथ्यों के माध्यम से पिछले 5 वर्ष में पेपरलीक, भ्रष्टाचार, बलात्कार, हत्या जैसे मुद्दे उठाएंगे।

पहली यात्रा : 2 सितंबर को, जे.पी. नड्डा आएंगे

यह यात्रा त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथम्भौर (सवाईमाधोपुर) से शुरू होगी। इस यात्रा को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्‌डा हरी झंडी दिखाएंगे। यह यात्रा सवाईमाधोपुर, जयपुर व भरतपुर क्षेत्र की मालपुरा, टोंक, निवाई, खंडार, बयाना, वैर, नदबई, लालसोट, चाकसू, बस्सी, जमवारामगढ़, विराटनगर, शाहपुरा, आमेर, कामां, देवली आदि विधानसभा सीटों सहित कुल 47 सीटों को कवर करेगी। यह यात्रा 18 दिनों तक चलेगी और लगभग 1847 किलोमीटर का इलाका कवर करेगी। रणथंभौर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर की पूर्वी राजस्थान में काफी मान्यता है। - भारतीय समाज में शुभ काम की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा की जाती है। - सवाईमाधोपुर, दौसा, करौली, टोंक, भरतपुर, जयपुर आदि जिलों से श्रद्धालु आते हैं। - इन क्षेत्रों में गुर्जर, मीणा, ब्राह्मण, बनिया समुदायों का इस मंदिर से जुड़ाव भी है।

दूसरी यात्रा : 3 सितंबर, अमित शाह आएंगे

दूसरी यात्रा 3 सितंबर को बेणेश्वर धाम (डूंगरपुर) से शुरू होगी। इसे केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह रवाना करेंगे। यह यात्रा 19 दिनों में 2433 किलोमीटर चलते हुए कुल 52 विधानसभाओं को कवर करेगी। इसके मार्ग में डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, कोटा, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिलों की विधानसभाएं शामिल हैं। - दक्षिण राजस्थान में आदिवासी समाज का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। - उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, सिरोही आदि जिलों के आदिवासी वोट बैंक पर नजर है।

तीसरी यात्रा : 4 सितंबर, राजनाथ सिंह आएंगे

तीसरी यात्रा 4 सितंबर को रामदेवरा (जैसलमेर) से शुरू होगी। इसे केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रवाना करेंगे। यह यात्रा सबसे ज्यादा बड़ा इलाका कवर करेगी। यह 18 दिनों तक लगभग 2574 किलोमीटर चलेगी। इस यात्रा में जैसलमेर, जोधपुर, पोकरण, मेड़ता, डेगाना, शेरगढ़, बिलाड़ा, अजमेर, पुष्कर, नागौर सहित करीब 51 विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया जाएगा। - पश्चिमी राजस्थान में रामदेवरा सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। - भाजपा यहां मेघवाल, जाट, कुमावत, माली जैसे बड़े वोट बैंक को साधने का प्रयास करेगी।

चौथी यात्रा : 5 सितंबर, नितिन गडकरी आएंगे

चौथी यात्रा गोगामेड़ी (हनुमानगढ़) से शुरू होगी। इसे केन्द्रीय सड़क यातायात मंत्री नितिन गडकरी रवाना करेंगे। यह 18 दिनों तक चलेगी और 50 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी। 2128 किलोमीटर चलने वाली इस यात्रा के मार्ग में बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, सीकर व अलवर जिलों की विधानसभा सीटें आएंगी। - लोकदेवता गोगा जी को उत्तरी राजस्थान में भगवान स्वरूप में पूजा जाता है। - राजपूत, जाट, किसान, पंजाबी, दलित सभी वर्ग के लोग लाखों की संख्या में पहुंचते हैं।

कांग्रेस ने 2013 में निकाली थी संदेश यात्रा

कांग्रेस ने चुनावी समर में यात्राओं का फार्मूला राजस्थान में कभी नहीं अपनाया। वर्ष 2013 में सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने जरूर संदेश यात्रा निकाली थी। तब सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान थे। लेकिन जब दिसंबर-2013 में चुनाव परिणाम आए तो यह कांग्रेस की सबसे बुरी हार थी। कांग्रेस को 200 में से केवल 21 सीटें ही प्राप्त हुई थीं। अभी तक कांग्रेस पार्टी या सरकार की फिलहाल राजस्थान में किसी तरह की कोई राजनीतिक यात्रा निकालने की तैयारी नहीं है। दो-तीन महीने पहले पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने आरपीएससी (अजमेर) से लेकर जयपुर तक जनसंघर्ष पद यात्रा अवश्य निकाली थी।