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क्या है Dark Web? जहां गुम हो गई दिल्ली के 150 स्कूलों को मिली धमकी की जांच

By: payal trivedi | Created At: 02 May 2024 01:19 PM


बीते बुधवार को दिल्ली-एनसीआर के 150 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। ये धमकी ईमेल से भेजी गई थी। दिल्ली पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच में बताया कि इन मेल का IP (इंटरनेट प्रोटोकॉल) रूस का है।

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Tech: बीते बुधवार को दिल्ली-एनसीआर के 150 स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। ये धमकी ईमेल से भेजी गई थी। दिल्ली पुलिस ने अपनी शुरुआती जांच में बताया कि इन मेल का IP (इंटरनेट प्रोटोकॉल) रूस का है। पुलिस ने आगे बताया कि संभवत: इन्हें भेजने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल किया हो, जिसके वजह से मेल भेजने वालों को खोजना मुश्किल हो सकता है। अक्सर इस तरह की धमकी भेजने के लिए डार्क वेब का इस्तेमाल किया जाता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको इसके बारे में विस्तार में जानकारी देंगे। जहां किसी को खोज पाना मुश्किल क्यों है।

क्या होता है डार्क वेब?

- डार्क वेब इंटरनेट का वो हिस्सा है। ऐसा नहीं है कि डार्क वेब का इस्तेमाल सिर्फ अवैध काम के लिए होता है बल्कि कई वैध काम भी यहां होते हैं। लेकिन यह इंटरनेट का वह भाग है, जहां हर किसी के लिए पहुंचना मुश्किल है।

- आप सामान्य सर्च इंजन से इसे एक्सेस नहीं कर सकते हैं। डार्क वेब का इस्तेमाल करने के लिए आपको स्पेशल ब्राउजर की जरूरत होती है। इंटरनेट यूं तो अपने आप में एक जटिल दुनिया है।

- आमतौर पर जिस इंटरनेट को हम इस्तेमाल करते हैं वह सेफ इंटरनेट कहलाता है। यह पूरे इंटरनेट का सिर्फ 4 प्रतिशत है। बाकि बचा हुआ डीप और डार्क वेब का हिस्सा है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि डार्क वेब की दुनिया कितनी बड़ी है। सेफ और डार्क इंटरनेट को आप किसी प्याज के उदाहरण से समझ सकते हैं। जैसे प्याज की कई परतें होती हैं उसी तरह इंटरनेट भी है। हम जिस इंटरनेट को यूज करते हैं वह प्याज का बाहरी परत है। इसक भीतर और भी कई परतें होती हैं, जहां तक आसानी से पहुंचना मुश्किल होता है। इंटरनेट का यही हिस्सा डार्क वेब कहलाता है।

Dark Web का इस्तेमाल कब किया जाता है?

डार्क वेब इंटरनेट इस्तेमाल अक्सर किसी भी जानकारी को सामान्य लोगों और जांच एजेंसियों से छिपाने के लिए होता है। इसके साथ ही लोगों की चुराई गई निजी जानकारी को भी डार्क वेब में ही बेचा जाता है। ऐसा नहीं है कि डार्क वेब का इस्तेमाल सिर्फ अपराधी ही करते हैं। सरकारी जांच एजेंसियां भी इसका इस्तेमाल करती हैं। Google सर्च, क्रोम या सफारी के जरिए डार्क वेब तक नहीं पहुंचा जा सकता है। इसके लिए खास तौर पर डिजाइन किए गए वेब ब्राउजर की जरूरत होती है।