Rajasthan politics: राजस्थान की 5 विधानसभा सीटों पर होंगे उपचुनाव, ये हो सकते हैं बीजेपी-काग्रेस और आरएलपी के संभावित उम्मीदवार
लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट की घोषणा हो चुकी है। साथ ही 18वीं लोकसभा के गठन की प्रकिया भी शुरू हो चुकी है।
सबसे पहले बात देवली उनियारा सीट की जहां जातिगत समीकरण से प्रत्याशी का फैसला हो सकता है
टोंक जिले के देवली उनियारा विधानसभा सीट में सचिन पायलट के करीबी हरीश मीणा लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए थे। इस बार कांग्रेस ने उन्हें लोकसभा चुनाव में टोंक- सवाई माधोपुर से मैदान में उतारा। जहां उन्होंने दो बार के भाजपा सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया को हरा दिया। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि देवली उनियारा विधानसभा सीट के टिकट का फैसला प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, सचिन पायलट और हरीश मीणा की रजामंदी से होगा। भारतीय जनता पार्टी में उम्मीदवार का फैसला पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगा।
अब जान लेते हैं इस सीट पर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार कौन हो सकते हैं : आपतो बता दें कि कांग्रेस में हरीश मीणा के सांसद बनने के बाद अब पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। मीना 15 साल पहले भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं। ऐसे में 50 हजार से ज्यादा मीणा वोटों वाली इस सीट पर कांग्रेस पार्टी जातिगत आधार को साधते हुए एक बार फिर मीणा उम्मीदवार को मौका दे सकती है।
भाजपा के संभावित उम्मीदवार की बात करें तो यहां से भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय मंत्री अलका गुर्जर देवली उनियारा विधानसभा सीट के लिए भाजपा की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं। गुर्जर पिछले लंबे वक्त से संगठन में सक्रिय हैं। उनके पति नाथू सिंह गुर्जर भी भारतीय जनता पार्टी सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव के वक्त भी गुर्जर ने देवली उनियारा विधानसभा सीट से दावेदारी जताई थी। लेकिन आखिरी वक्त पर पार्टी ने किरोड़ी बैंसला के बेटे विजय बैंसला को टिकट दे दिया था। देवली उनियारा विधानसभा सीट से साल 2013 से 18 तक विधायक रहने वाले राजेंद्र गुर्जर भी टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें मौका नहीं दिया था। इसके बाद बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने जयपुर मुख्यालय पर पहुंचकर विरोध भी किया था। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के बेटे विजय बैंसला भी देवली उनियारा विधानसभा सीट से प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं। हालांकि विधानसभा चुनाव में उन्हें करारी हार मिली थी। ये उनकी राह में रुकावट बन सकता है। बैंसला अभी से जातिगत समीकरणों को साधने में जुट गए हैं।
बात अगर चौरासी सीट की करें तो यहां भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) के विधायक राजकुमार रोत के सांसद बनने के बाद डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव होगा। आदिवासी क्षेत्र की चौरासी विधानसभा सीट पर BAP की जीत के बाद जहां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस एक बार फिर अपनी खोई हुई सियासी जमीन तलाशने में जुटी हुई है। BAP के नेताओं ने जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी शुरू कर दी है।
इस सीट से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार में पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा या उनके परिवार में किसी अन्य सदस्य का नाम सामने आ सकते है। भगोरा परिवार चौरासी विधानसभा क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखता है। ऐसे में अगर ताराचंद किसी कारण से चुनाव नहीं लड़ते हैं तो कांग्रेस उनके भतीजे रूपचंद भगोरा और बेटे महेंद्र भगोरा का उम्मीदवार बना सकती है।
तो वहीं भाजपा के संभावित उम्मीदवार में पूर्व विधायक सुशील कटारा का नाम सामने आ सकता है। कटारा की संघ और भाजपा में पकड़ मजबूत है, लेकिन लगातार दो चुनाव हारने का टैग उनके लिए परेशानी भी खड़ी कर सकता है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस से भाजपा में आए चिखली के पूर्व प्रधान महेंद्र बरजोड़, सीमलवाड़ा से भाजपा के पूर्व प्रधान नानूराम परमार भी इस बार भारतीय जनता पार्टी से टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।
यहां बीएपी के संभावित उम्मीदवार की बात करें तो भारत आदिवासी पार्टी मौजूदा विधायक राजकुमार रोत के बाद पोपटलाल खोखरिया को उम्मीदवार बनने पर मंथन कर रही है। राजकुमार रोत के बाद खोखरिया चौरासी क्षेत्र में सबसे ज्यादा सक्रिय नेताओं में से एक हैं। उनकी पत्नी झोथरी पंचायत समिति की प्रधान हैं। इसके साथ ही आदिवासियों में भी खोखरिया की मजबूत पकड़ है। अगर उन्हें किसी कारण टिकट नहीं मिलता है तो चिखली क्षेत्र से अनिल और दिनेश को भी पार्टी मौका दे सकती है।
अब बात झुंझुनूं लोकसभा सीट की.. कांग्रेस के विधायक बृजेंद्र ओला जीत कर संसद पहुंच चुके हैं। झुंझुनूं विधानसभा सीट पर उप चुनाव में कांग्रेस अपने अपने मजबूत किले को बचाने के लिए एक बार फिर ओला परिवार से टिकट देने की तैयारी कर रही है। भारतीय जनता पार्टी नए चेहरे को मौका दे सकती है।
इस सीट से कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार की बात करें तो यहां से कांग्रेस पार्टी एक बार फिर जाट चेहरे को चुनावी मैदान में उतार सकती है। इसमें सबसे प्रबल नाम ओला परिवार के अमित ओला का आ रहा है। अमित झुंझुनूं के मौजूदा सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे हैं। अमित के साथ ही उनकी पत्नी आकांक्षा ओला भी महिला दावेदार के तौर पर मजबूत मानी जा रही हैं।
भाजपा के संभावित उम्मीदवार की बात करें तो यहां से भारतीय जनता पार्टी माली वोट बैंक को साधने के लिए जिला अध्यक्ष बनवारी लाल सैनी को मौका दे सकती है। इसके साथ ही जाट समाज से 3 नेता झुंझुनूं से भाजपा के टिकट के प्रमुख दावेदार हैं। इनमें हर्षिनी कुलहरी, विश्वंभर पूनिया और शुभकरण चौधरी प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। इनमें विश्वंभर पूनिया लंबे वक्त से झुंझुनूं में सक्रिय राजनीति से जुड़े हुए हैं। हर्षिनी कुलहरी महिला उम्मीदवार होने के साथ ही जिला प्रमुख भी हैं। इसके साथ ही बहुत कम मार्जिन से लोकसभा चुनाव हारे शुभकरण चौधरी को भी पार्टी फिर से मौका देने पर मंथन कर रही है। पूर्व मंत्री और राजस्थान में शिंदे शिवसेना के प्रमुख राजेंद्र गुढ़ा भी झुंझुनूं उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी कर रहे हैं।
वहीं बात दौसा लोकसभा सीट की करें तो यहां से कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा सांसद बने हैं। यहां भाजपा विधानसभा उप चुनाव में अपनी खोई हुई साख हासिल करने की कोशिश करेगी। वहीं, कांग्रेस पार्टी के नेता फिर से दौसा जीतकर अपने राजनीतिक वर्चस्व को कायम रखने की कोशिश करेंगे।
दौसा सीट पर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार की बात करें तो यहां से कांग्रेस मुरारी लाल मीणा की पत्नी सविता और बेटी निहारिका मीणा के नाम पर विचार कर रही है। सचिन पायलट के करीबी और पूर्व विधायक जीआर खटाणा भी दौसा से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि इसको लेकर अंतिम फैसला पार्टी स्तर पर किया जाएगा। कांग्रेस में राजस्थान यूनिवर्सिटी के महासचिव रहे नरेश मीणा भी दौसा विधानसभा सीट से टिकट के प्रमुख दावेदारों में से एक माने जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव के वक्त नरेश ने बारां जिले की छबड़ा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़कर 44 हजार वोट हासिल किए थे। लोकसभा चुनाव से पहले नरेश ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था। उन्हें दौसा से टिकट नहीं दिया गया। इसके बाद उन्होंने बगावत भी कर दी थी। हालांकि पार्टी नेताओं ने उन्हें मना लिया था। सचिन पायलट कैंप से नजदीकी की वजह से नरेश का नाम दौसा से एक बार फिर चर्चा में है। अगर दौसा से टिकट नहीं मिलता है तो नरेश मीणा को देवली उनियारा सीट पर भी शिफ्ट किया जा सकता है।
तो वहीं बीजेपी के संभावित उम्मीदवार में किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा उम्मीदवार बनाने की चर्चा है। पूर्व सांसद जसकौर मीणा भी अपनी बेटी अर्चना मीणा के लिए टिकट की डिमांड कर रही हैं। इन दोनों के साथ ही भाजपा किसी बड़े ब्राह्मण चेहरे को भी चुनावी मैदान में उतार सकती है।
सबसे आखिर और सबसे महत्वपूर्ण खींवसर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां उपचुनाव की सबसे ज्यादा चर्चा रहेगी। यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। माना यह जा रहा है कि यहां पर हनुमान बेनीवाल इंडिया गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार :कांग्रेस में डीडवाना के पूर्व विधायक चेतन डूडी को टिकट मिलने की प्रबल संभावना है। चेतन ने लोकसभा चुनाव में पार्टी के गठबंधन को लेकर काफी सक्रिय भूमिका निभाई थी। इसका उन्हें फायदा मिल सकता है। उनके साथ ही पूर्व जिलाध्यक्ष मेघराज सिंह गुर्जर और 2018 में बसपा और 2023 में निर्दलीय चुनाव लड़ चुके दुर्ग सिंह खींवसर का नाम भी चर्चा में है। इनके अलावा नाथूराम मिर्धा के पोते मनीष मिर्धा जो इस बार के लोकसभा चुनाव में काफी सक्रिय नजर आए। उनको भी मौका दिया जा सकता है।
इस सीट से भाजपा के संभावित उम्मीदवार में रेवंतराम डांगा का नाम सबसे आगे है। डांगा ने 2023 विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल को जबरदस्त टक्कर दी थी। मात्र 2069 वोटों के नजदीकी अंतर से हार गए थे। रेवंतराम डांगा ने लोकसभा चुनाव में भी खींवसर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के लिए काफी मेहनत की। खींवसर में उपचुनाव के लिए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति मिर्धा का नाम भी चर्चा में है। ज्योति ने हाल ही में लोकसभा चुनाव हारा है। उन्होंने हनुमान बेनीवाल को खींवसर विधानसभा में कड़ी चुनौती दी। मात्र 7 हजार वोटों से पीछे रहीं।
तो वहीं आरएलपी के संभावित उम्मीदवार में हनुमान बेनीवाल अपनी पत्नी कनिका बेनीवाल को उम्मीदवार बना सकते हैं। 2019 की तरह हनुमान एक बार फिर अपने भाई पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल को मौका दे सकते हैं।