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राजू पाल हत्याकांड मामले में सात दोषियों को सजा, 6 को उम्रकैद

By: Sanjay Purohit | Created At: 29 March 2024 09:40 AM


प्रयागराज के बहुचर्चित राजू पाल हत्याकांड मामले में सीबीआई कोर्ट ने सात दोषियों को सजा सुनाई है। जिसमें से 6 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। जबकि एक को चार साल की सजा हुई है।

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प्रयागराज के बहुचर्चित राजू पाल हत्याकांड मामले में सीबीआई कोर्ट ने सात दोषियों को सजा सुनाई है। जिसमें से 6 दोषियों को उम्रकैद जबकि एक को चार साल की सजा सुनाई हुई है। दरअसल, राजू पाल की हत्या 25 जनवरी 2005 को राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण हुई थी। मामले में दिवंगत विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने थाना धूमनगंज में हत्या का मामला दर्ज कराया था. उस रिपोर्ट में सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम को नामजद किया गया था. पुलिस ने FIR दर्ज कर मामले की तहकीकात शुरू कर दी थी। इसी हाई प्रोफाइल मर्डर केस में उमेश पाल एक अहम चश्मदीद गवाह था. जब केस की छानबीन आगे बढ़ी तो उमेश पाल को धमकियां मिलने लगी थीं. उसने अपनी जान खतरा बताते हुए पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर उमेश पाल को यूपी पुलिस की तरफ से सुरक्षा के लिए दो गनर दिए गए थे।

बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड की जांच पड़ताल और छानबीन में जुटी पुलिस ने रात दिन एक कर दिया था। 6 अप्रैल 2005 को पुलिस ने इस हत्याकांड की विवेचना करने के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. बाद में 12 दिसंबर 2008 को मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी गई,10 जनवरी 2009 को सीआईडी ने पांच आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। लेकिन विधायक राजू पाल का परिवार सीआईडी की जांच से भी नाखुश था, लिहाजा,22 जनवरी 2016 को परिवार ने देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फरमान सुनाया..

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजू पाल हत्याकांड में नए सिरे से मामला दर्ज किया और छाबनीन शुरू कर दी. करीब तीन साल विवेचना करने के बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.1 अक्टूबर 2022 को सीबीआई अदालत ने 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए। जिसमें 6 आरोपियों को उम्र कैद की सजा हुई जबकि एक दोषी को 4 साल की सजा हुई है।