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विशेष पिछड़ी जनजातियों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाएगी मोहन सरकार, 201 वन धन केंद्र खोले जाएंगे, ये है पूरी योजना

By: Ramakant Shukla | Created At: 07 February 2024 09:58 AM


प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान यानी पीएम जनमन के तहत मध्यप्रदेश सरकार विशेष जनजातियों के विकास के लिए 18 जिलों में 201 नए वन-धन केंद्र खोलेगी। प्रदेश में बैगा, सहरिया और भारिया विशेष जनजातियां घोषित हैं। इन जनजातियों को वन विभाग के अंतर्गत संचालित लघु वनोपज संघ द्वारा नए वन धन केंद्र खोलकर आर्थिक रूप से संपन्न बनाया जाएगा।

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प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान यानी पीएम जनमन के तहत मध्यप्रदेश सरकार विशेष जनजातियों के विकास के लिए 18 जिलों में 201 नए वन-धन केंद्र खोलेगी। प्रदेश में बैगा, सहरिया और भारिया विशेष जनजातियां घोषित हैं। इन जनजातियों को वन विभाग के अंतर्गत संचालित लघु वनोपज संघ द्वारा नए वन धन केंद्र खोलकर आर्थिक रूप से संपन्न बनाया जाएगा।

11 लाख से अधिक है संख्या

वन धन केंद्रों में लघु वनोपजों का प्रसंस्करण कर उन्हें बाजार में अच्छी दरों पर बेचने का कार्य किया जाता है। मध्यप्रदेश में बैगा जनजाति की संख्या तीन लाख 63 हजार 47, सहरिया की पांच लाख 78 हजार 557 तथा भारिया की 33 हजार 517 जनसंख्या है। वहीं परिवार के छोटे बड़े सभी सदस्यों को मिलाकर इनकी संख्या 11 लाख से अधिक है।

इतने वन धन केंद्र खोले जाएंगे

प्रदेश के दतिया में तीन, डिंडोरी में 20, गुना में 12, ग्वालियर में 12, कटनी में दो, मंडला में 19, मुरैना में आठ, उमरिया में पांच, रायसेन में दो, नरसिंहपुर में पांच, शहडोल में 31, श्योपुर में 16, शिवपुरी में 15, सीधी में छह, अनूपपुर जिले में 13, अशोकनगर में चार, बालाघाट में नौ और छिंदवाड़ा में 19 वन धन केंद्र खोले जाने हैं। ये वन धन केंद्र केंद्र सरकार स्वीकृत करती है और इसके लिए राशि भी उपलब्ध कराती है। राज्य के वन विभाग ने 201 वन धन केंद्र खोलने के प्रस्ताव केंद्र को भेजे हैं, जिनमें से 52 की स्वीकृति मिल गई है।

केंद्र सरकार को भेजा प्रस्तााव

प्रदेश के 18 चिन्हित जिलों के विशेष पिछड़ी जनजातीय क्षेत्रों में 198 वन-धन केंद्रों की स्थापना के लक्ष्य की तुलना में 201 केंद्रों की स्थापना का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है। प्रदेश के 827 वनग्रामों में से 793 वन ग्रामों के संपरिवर्तन की प्रस्तावित अधिसूचना जिला स्तर पर जारी हो गई है। पिछले 10 वर्षों में जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के विरुद्ध 14 हजार 256 पंजीबद्ध प्रकरणों में से 10 हजार 80 प्रकरण निराकृत किए गए है।