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वन्यजीव के हमले में मुखिया की मौत पर परिजनों को पेंशन देने की तैयारी, मोहन सरकार जल्द लेगी निर्णय

By: Ramakant Shukla | Created At: 05 February 2024 09:31 AM


वन्यजीव के हमले से परिवार के मुखिया की मौत होने पर राज्य सरकार परिवार को पेंशन देने की तैयारी कर रही है। यह पेंशन पांच साल तक देने पर विचार किया जा रहा है। वन मुख्यालय द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

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वन्यजीव के हमले से परिवार के मुखिया की मौत होने पर राज्य सरकार परिवार को पेंशन देने की तैयारी कर रही है। यह पेंशन पांच साल तक देने पर विचार किया जा रहा है। वन मुख्यालय द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

पूर्व सीएम ने की थी घोषणा

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वन्यजीव के हमले से मौत होने पर मृतक के परिजन को आठ लाख रुपये देने की घोषणा की थी। यह व्यवस्था लागू भी कर दी गई है, लेकिन पांच साल तक पेंशन देने के प्रस्ताव पर सहमति नहीं बन सकी। अब नई मोहन सरकार में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा। सहमति बनती है तो मृतक के परिजनों को पांच साल तक एक निर्धारित पेंशन देने का प्रावधान किया जा सकेगा। मुखिया की मौत पर आर्थिक तंगी से जूझता है परिवार वन्यजीव के हमले से परिवार के मुखिया की मौत हो जाने पर मुखिया पर निर्भर परिवार आर्थिक तंगी से जूझता है। इसलिए मृतक के परिवार को मानवीय दृष्टिकोण से पेंशन देने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।

वन्यजीव के हमले से 5 साल में 292 से अधिक लोगों की मौत

पिछले पांच साल में वन्यप्राणियों के हमले में 292 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इन मामलों में स्वजन को मुआवजा दिया गया है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जंगल में पानी का इंतजाम, रेस्क्यू टीम का गठन जैसे कई प्रयास किए गए हैं, पर घटनाएं रुक नहीं रही हैं। इसे लेकर विधानसभा में भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। ऐसे में वन्यप्राणियों के हमले रोकने के लिए लंबे समय से प्रभावी योजना की मांग की जा रही है। वर्ष 2020 में बाघ के हमलों में सबसे ज्यादा आठ मौतें हुई थीं।

महुआ और तेंदूपत्ता तोड़ने वाले ग्रामीण होते हैं शिकार

बाघ-तेंदुआ सहित अन्य मांसाहारी वन्यप्राणियों के जंगल से बाहर निकलने की घटनाएं बढ़ रही हैं। खासकर गर्मी के दिनों में पानी की तलाश में वन्यप्राणी जंगल से बाहर निकलते हैं और नजदीक की बस्ती में पहुंच जाते हैं। इस मौसम में महुआ और तेंदूपत्ता भी तोड़ा जाता है।