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Rajasthan News: राजस्थान में अब समोसे-बर्गर की जगह चना-मूंगफली खाते दिखेंगे अफसर, सीएम भजनलाल ने निकाले ये आदेश

By: payal trivedi | Created At: 29 January 2024 05:41 AM


राजस्थान में अब सरकारी मीटिंग में अफसर चना-मूंगफली खाते हुए दिखाई देंगे। कार्मिक विभाग ने एक आदेश जारी कर सचिवालय में आईएएस-आरएएस अफसरों की मीटिंग में परोसे जाने वाले मिठाई, चिप्स, समोसे, बर्गर-सैंडविच आदि पर रोक लगा दी है।

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Jaipur: राजस्थान में अब सरकारी मीटिंग में अफसर चना-मूंगफली खाते हुए दिखाई देंगे। कार्मिक विभाग ने एक आदेश जारी कर सचिवालय में आईएएस-आरएएस अफसरों की मीटिंग में परोसे जाने वाले मिठाई, चिप्स, समोसे, बर्गर-सैंडविच आदि पर रोक लगा दी है। नए आदेशों के अनुसार मीटिंग में अब केवल भुने हुए चने, भुनी हुई मूंगफली और कभी-कभी मल्टी ग्रेन बिस्किट परोसे जाएंगे।

सीएम खर्चा घटाने के लिए विशेष विमान से यात्रा नहीं करेंगे

हाल ही में मुख्यमंत्री ने खुद के लिए आदेश जारी किए थे कि वे खर्च घटाने के लिए विशेष विमान से यात्रा नहीं करेंगे, उन्होंने ऐसा किया भी। प्रदेश में पहली बार ड्यूटी से नदारद मिले RAS-IAS को एपीओ किया गया। राजस्थान की ब्यूरोक्रेसी में ये कुछ ऐसे बदलाव हैं, जो पहले कभी नहीं हुए। अब जल्द अफसरों को दफ्तर में ही लंच करने के निर्देश मिल सकते हैं। बोर्ड-निगमों में संविदा पर लगे रिटायर्ड कार्मिक हटाए जाएंगे। सरकारी खर्चे को कम करने, अफसरों पर लगाम कसने, उन्हें पब्लिक फ्रेंडली बनाने के लिए ऐसे कई बदलाव हैं जो आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं।

सरकारी मीटिंग में नमकीन का खर्च करोड़ों में

सरकार का मानना है कि न केवल कचौरी-समोसे, चिप्स, मिठाई आदि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं बल्कि ये तुलनात्मक रूप से बहुत महंगे भी होते हैं। इसकी बजाय भुने हुए चना-मूंगफली स्वास्थ्यवर्द्धक भी होते हैं और साथ ही तुलनात्मक रूप से सस्ते भी होते हैं। मीटिंग में प्लास्टिक की पानी की बोतलों की बजाय अब कांच की बोतलों से गिलास में पानी दिया जाएगा। क्योंकि प्लास्टिक की बोतल केवल एक बार ही उपयोग में आती है और इससे प्लास्टिक कचरे को बढ़ावा मिलता है। यह पर्यावरण और अर्थव्यवस्था, दोनों के लिए घातक है। सूत्रों का कहना है कि अभी तक ये आदेश केवल सचिवालय पर ही लागू किए गए हैं, लेकिन अगले सप्ताह तक ये आदेश प्रदेश के सभी प्रमुख कार्यालयों और जिला कलेक्ट्रेट सहित बोर्ड-निगमों में लागू कर दिए जाएंगे।

पूरे प्रदेश में करीब 2-3 करोड़ रूपए की बचत करेगी सरकार

एक आकलन के अनुसार सरकार एक वर्ष में इस आदेश से पूरे प्रदेश में करीब 2-3 करोड़ रुपए की बचत कर सकेगी। सरकार की कोशिश है कि कोई ऐसा तंत्र विकसित किया जाए, जिससे भुने हुए चने और मूंगफली की आपूर्ति भी किसी सरकारी संस्थान से ही हो। कार्मिक विभाग का यह सर्कुलर विभागों की बैठकों पर लागू होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) को इससे अलग रखा गया है।

क्या है इस आदेश के पीछे मंशा?

प्रदेश में सचिवालय में मंत्री कक्षों में आवभगत और बैठकों में होने वाला खर्च करोड़ों रुपयों मे होता है। एक-एक मंत्री के कक्ष में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान 2 से 3 लाख रुपए का बिल तो महज कचौरी-समोसे का ही आता रहा है। कई बार वित्त विभाग की आपत्तियां भी सामने आई हैं, लेकिन इस विषय में कभी सरकारों के स्तर पर ध्यान नहीं दिया गया। किसी सरकार के पूरे कार्यकाल (5 वर्ष) को देखा जाए तो यह खर्च करोड़ों रुपयों तक पहुंचता है। सचिवालय के दो समिति कक्षों में सामान्यतः: एक वर्ष में लगभग 215-220 मीटिंग होती हैं। प्रत्येक मीटिंग में 25 से 50 मेहमान तक आते हैं। इन कक्षों में होने वाली मीटिंग में नाश्ते का खर्च एक बार में ही लगभग 3000-4000 रुपए हो जाता है। सीएमओ और मंत्रियों-अधिकारियों के कक्षों में होने वाली मीटिंग के खर्चे अलग से होते हैं। वहां भी लगभग हर कार्य दिवस पर कोई न कोई मीटिंग जरूर होती है। अब यह खर्च स्वत: ही कम हो सकेगा।

सरकारी विभागों में अफसरों-कर्मचारियों की अनुपस्थिति पर कार्रवाई

प्रदेश में अब तक प्रशासनिक सुधार विभाग और जिलों में कलेक्टरों की तरफ से अक्सर सरकारी विभागों में छापा मारकर उपस्थित व अनुपस्थित कर्मचारियों-अधिकारियों का निरीक्षण किया जाता रहा है, लेकिन कार्मिकों को केवल चेतावनी नोटिस देकर छोड़ा जाता रहा है। लेकिन, भजनलाल सरकार में पहली बार अनुपस्थित कार्मिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई मौके पर ही की गई। इसमें सामान्य कर्मचारी ही नहीं बल्कि आरएएस और आईएएस अफसर तक शामिल हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने खुद 25 दिसंबर, 2023 की रात को अचानक एसएमएस अस्पताल का दौरा किया। वहां ड्यूटी पर अनुपस्थित पाए गए तीन नर्सिंग कर्मियों को सस्पेंड किया। सीएम ने इसके बाद रैन बसेरों और सिंधी कैम्प पुलिस थाने का भी अचानक निरीक्षण किया था।