न्यूयॉर्क: अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) को लागू करने के लिए भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि किसी को भी धर्म या विश्वास के आधार पर नागरिकता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। विवादास्पद नागरिकता (संशोधन)अधिनियम, 2019 (CAA) के कार्यान्वयन के नियमों को इस महीने की शुरुआत में अधिसूचित किया गया था, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
USCIRF के आयुक्त स्टीफन श्नेक ने सोमवार को एक बयान में कहा, ‘‘समस्याग्रस्त सीएए पड़ोसी देशों से भागकर भारत में शरण लेने आए लोगों के लिए धार्मिक अनिवार्यता का प्रावधान स्थापित करता है।'' श्नेक ने कहा कि सीएए हिंदुओं, पारसियों, सिखों, बौद्धों, जैनियों और ईसाइयों के लिए त्वरित नागरिकता का मार्ग प्रशस्त करता है, लेकिन इस कानून के दायरे से मुसलमानों को स्पष्ट रूप से बाहर रखा गया है। आलोचकों ने अधिनियम से मुसलमानों को बाहर रखने को लेकर सरकार पर सवाल उठाया है, लेकिन भारत ने अपने कदम का मजबूती से बचाव किया है। श्नेक ने अपने बयान में कहा, “अगर वास्तव में इस कानून का उद्देश्य उत्पीड़न झेलने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा करना होता, तो इसमें बर्मा के रोहिंग्या मुसलमान, पाकिस्तान के अहमदिया मुसलमान या अफगानिस्तान के हजारा शिया समेत अन्य समुदाय भी शामिल होते। किसी को भी धर्म या विश्वास के आधार पर नागरिकता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।''