मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बाबूलाल गौर का गढ़ कही जाने वाली गोविंदपुरा विधानसभा पर इस बार भी उनकी बहू कृष्णा गौर चुनाव मैदान में हैं। अपने ससुर की विरासत को बचाने के लिए जोर शोर से तैयारियों में जुटी हुईं हैं। आज अयोध्या नगर में प्रचार-प्रसार के दौरान उन्हें सिक्कों से तौला गया। बता दें कि, भोपाल की गोविंदपुरा सीट से बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बाबूलाल गौर की बहू कृष्ण गौर का प्रत्याशी बनाया है, जबकि इनके सामने कांग्रेस ने रवीन्द्र साहू को मैदान में उतारा है।
गोविंदपुरा सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा
वहीं दोनों ही दलों के प्रत्याशी विधानसभा क्षेत्र में जोर शोर से प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं। इस सीट से बीजेपी लगातार 10 बार से बाजी मारती आ रही है। बता दें कि, गोविंदपुरा सीट का गठन 1967 में हुआ था। 1967 में केएल प्रधान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से विधायक बने थे। इसके बाद 1972 में कांग्रेस से मोहनलाल अस्थाना थे। 1977 में जनता पार्टी से लक्ष्मीनारायण वर्मा थे, लेकिन इसके बाद से ही इस सीट पर पूर्व सीएम बाबूलाल गौर का कब्जा सा हो गया था। 1980 में बाबूलाल गौर पहली बार बीजेपी से विधायक चुने गए। इसके बाद 1985, 1990, 1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 में भी बाबूलाल गौर विधायक चुने गए।
क्या हैं 2018 के आंकड़ें
हालांकि, उनके निधन के बाद बीजेपी ने 2018 में उनकी बहू कृष्णा गौर को मैदान में उतारा और वे भी विधायक चुनी गईं। इस बार भी बीजेपी ने कृष्णा गौर को ही उम्मीदवार बनाया है। बीते चुनाव की बात करें तो 2018 में बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर ने कांग्रेस के गिरीश शर्मा को 46,359 वोटों से हराया था। कृष्णा गौर को कुल 125,487 वोट मिले थे। गिरीश शर्मा को 79,128 वोट मिले थे। 2018 में गोविंदपुरा में कुल 58 प्रतिशत वोट पड़े थे। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर लगातार 8 विधानसभा चुनाव जीते थे। वे 1980 से 2018 तक विधायक थे।
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