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भारत पांच साल में जापान, जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा: कांत

By: Sanjay Purohit | Created At: 23 March 2024 10:44 AM


भारत के जी20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि भारत अगले पांच साल में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

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बेंगलुरुः भारत के जी20 शेरपा और नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत अगले पांच साल में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इसके अलावा उस समय तक भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा शेयर बाजार भी होगा।

भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा ‘द डेक्कन कन्वर्सेशन्स, एक्सिलेरेटिंग आवर ग्रोथ स्टोरी' विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांत ने कहा कि भारत की वृद्धि दर पिछली तीन तिमाहियों में 8.3 प्रतिशत से अधिक रही है और इस दौरान यह एक ‘मजबूत ताकत' के रूप में उभरा है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) का हवाला देते हुए कहा कि भारत अगले दशक में दुनिया के आर्थिक विस्तार में लगभग 20 प्रतिशत का योगदान देगा। वर्ष 2047 तक देश की अर्थव्यवस्था 35,000 अरब डॉलर की होगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को विनिर्माण, स्मार्ट शहरीकरण और कृषि के दम पर आगे बढ़ने की जरूरत है।

कांत ने कहा, ‘‘भारत को सीखने के परिणामों और कौशल में सुधार करने की जरूरत है, जिससे 2047 तक भारत वैश्विक स्तर पर 30 प्रतिशत कुशल जनशक्ति प्रदान कर सकेगा।'' उन्होंने कहा कि भारत को बड़ी कंपनियां बनाने, सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए पारिस्थतिकी तंत्र का सृजन करने की जरूरत है, जिससे शोध एवं विकास (आरएंडडी) पर खर्च को मौजूदा के सकल घरेलू उत्पाद के 0.7 प्रतिशत से बढ़ाकर ढाई से तीन प्रतिशत किया जा सके।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने भारत में वृद्धि की रफ्तार तेज की है। हम माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लेकर आए हैं, जिसका अच्छा लाभ मिल रहा है। इसके अलावा हम दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता भी लेकर आए हैं। साथ ही रियल एस्टेट विनियमन अधिनियम ने भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में अनुशासन पैदा किया है।'' कांत ने कहा कि केंद्रीय स्तर पर कारोबार सुगमता की वजह से 1,500 कानून समाप्त हुए हैं, जो एक बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि कभी देश में सिर्फ 150 स्टार्टअप थे लेकिन आज इनकी संख्या 1,25,000 हो गई है जिनमें से 115 यूनिकॉर्न हैं। यूनिकॉर्न से आशय एक अरब डॉलर से अधिक के मूल्यांकन वाली कंपनियों से है।