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Rajasthan News: बीजेपी चला रही 'चाय पर चर्चा' को लेकर कैंपेन? 10 साल बाद फिर भाजपा, चुनाव और चाय का लोकसभा पर क्या पड़ेगा असर

By: payal trivedi | Created At: 03 February 2024 04:47 AM


अक्टूबर 2013 को याद कीजिए, देशभर में एक कैंपेन सबसे ज्यादा पॉपुलर हुआ था, ‘चाय पर चर्चा’। इस कैंपेन के जरिए नरेंद्र मोदी देशभर में छा गए और बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलाई।

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Jaipur: अक्टूबर 2013 को याद कीजिए, देशभर (Rajasthan News) में एक कैंपेन सबसे ज्यादा पॉपुलर हुआ था, ‘चाय पर चर्चा’। इस कैंपेन के जरिए नरेंद्र मोदी देशभर में छा गए और बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलाई। हाल ही में फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों जयपुर आए तो उन्हें मिट्टी के कुल्हड़ में चाय पीते और चर्चा करते देख लोग हैरान हुए। जयपुर में एक से बढ़कर एक व्यंजन हैं, लेकिन क्यों उनके लिए चाय ही चुनी गई। असल में बीजेपी का यह चुनाव प्रचार को लेकर प्रयोग था। एक बार फिर 10 साल बाद ‘चाय पर चर्चा’ के जरिए बीजेपी लोकसभा चुनाव से पहले नब्ज टटोलने में जुट गई है। भाजपा क्यों इसे महत्वपूर्ण इवेंट मान रही है और इससे उसे क्या राजनीतिक फायदे होने हैं?

पीएम ने फ्रांस के राष्ट्रपति को हवामहल चौराहे पर पिलाई थी चाय

लोकसभा चुनावों से ठीक पहले पीएम नरेन्द्र मोदी ने जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को जयपुर में हवामहल के सामने चौराहे पर चाय पिलाई। सबने इसे केवल मेहमान नवाजी की एक परंपरा भर समझी, लेकिन भाजपा इसके जरिए एक बार फिर चाय को चर्चा में लाने में कामयाब रही। यह चुनाव प्रचार का बहुत बड़ा प्रयोग था। जब मैक्रों की यात्रा फाइनल हुई थी, तब भाजपा और सरकार के बीच कई तरह की बातों पर विचार किया गया। जयपुर में खाने-पीने की बहुत सी चीजों के कई प्रसिद्ध ब्रांड थे, लेकिन अंतत: उन्हें चाय पिलाने पर सहमति बनी वो भी आम आदमी की तरह सीधे सड़क पर। इसके लिए चौड़ा रास्ता (जयपुर) के प्रसिद्ध चाय वाले साहू रेस्टोरेंट का चयन किया गया था। मकसद साफ था कि लोगों की नजर आम आदमी में सबसे पॉपुलर चाय पर जाए।

'चाय पर चर्चा' बन रहा बीजेपी के लिए कैंपेन

भाजपा आगामी लोकसभा चुनावों में एक बार फिर चाय (Rajasthan News) पर चर्चा के जरिए आम लोगों की नब्ज पर हाथ धरने की कोशिशों में जुटी है। इसके तहत न केवल बड़े नेता खुद चाय बना रहे हैं बल्कि अपने हाथों से आम लोगों को परोस भी रहे हैं। चाय पीते हुए उनके साथ बातचीत कर रहे हैं। हाल ही सीएम भजनलाल शर्मा, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत तक चाय की चुस्कियों के साथ राजनीतिक-सामाजिक चर्चाएं कर चुके हैं। चाय पर चर्चा के जरिए पीएम मोदी की योजनाओं की चर्चा और राजनीतिक दाव-पेंच पर बातचीत की ही जा रही है, साथ ही भाजपा के लिए फीडबैक भी लिया जा रहा है। ‘चाय पर चर्चा’ को बीजेपी बड़े कैंपेन में बदलने की तैयारी कर रही है।

1. मुख्यमंत्री बनते ही भजनलाल ने प्रोटोकॉल छोड़ बनाई चाय

मुख्यमंत्री बनने के दो-तीन बाद जब भजनलाल शर्मा अपने गृह जिला भरतपुर क्षेत्र के दौरे पर गए थे, तब वे रास्ते में एक स्थान पर तमाम प्रोटोकॉल को साइड में कर एक चाय वाले की दुकान पर काफिला रोका। उनके साथ पार्टी के पदाधिकारी भी थे। चाय की दुकान पर उन्होंने स्वयं चाय भी बनाई। इसका एक वीडियो उनके X (ट्विटर) हैंडल पर शेयर किया गया।

2. केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 30 जनवरी को जोधपुर में ईआरसीपी के मुद्दे पर चाय पर चर्चा की

ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) राजस्थान में बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है। हाल ही जब इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार, मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार के बीच समझौता हो गया। इस समझौते को करवाने वाले केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत 30 जनवरी को जोधपुर पहुंचे। वहां शेखावत ने विद्याशाला स्कूल के पास स्थित एक चाय की दुकान पर जाकर चाय पी। ईआरसीपी के मुद्दे पर चर्चा की। स्थानीय लोगों से उनके हालचाल जाने। उसके बाद केन्द्र व राज्य सरकारों के स्तर पर क्या-क्या और कार्य किए जाएं पर लोगों से विचार-विमर्श भी किया।

3. चांदपोल क्षेत्र में सांसद रामचरण बोहरा ने स्वयं चाय बनाकर लोगों को पिलाई

25 जनवरी की देर शाम जयपुर शहर सांसद रामचरण बोहरा चांदपोल क्षेत्र में पहुंचे। वहां उन्होंने क्षेत्रीय नागरिकों के साथ अयोध्या में राम मंदिर निर्माण सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। स्वयं ही चाय बनाई और अपने हाथों से लोगों को परोसी। सांसद रामचरण बोहरा ने भास्कर को बताया कि चाय एक जन ऐसा पेय है, जिसे वीआईपी से लेकर आम लोग भी इसे पीते हैं। राजनीति में फीडबैक का खास महत्व होता है। चाय पर चर्चा करते हुए हमारे देश में हर व्यक्ति राजनीति पर बातचीत जरूर करता है। ऐसे में जो जानकारी चाय की दुकान पर मिल सकती है, वो किसी और जगह पर नहीं मिलती।

सरकार की विभिन्न योजनाओं पर भी लिया फीडबैक

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सी. पी. जोशी, उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, विधायक रामनिवास वर्मा (निवाई), अजमेर नगर निगम के उप महापौर नीरज जैन, पार्षद धीरज शर्मा (जयपुर) आदि ने भी हाल ही चित्तौड़गढ़, भरतपुर, अजमेर, निवाई (टोंक) आदि शहरों में जाकर चाय पर चर्चा की। उन्होंने इस अवसर पर लोगों से केन्द्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं पर फीडबैक भी लिया।

चाय पर चर्चा के लिए मुद्दे भी पहले से तय

भाजपा के मंत्री, विधायक, सांसद व पदाधिकारी चाय (Rajasthan News) पर चर्चा के दौरान कौनसे मुद्दों पर स्थानीय लोगों से बातचीत करेंगे यह पहले ही तय हो गया था। इनमें ऐसे मुद्दे शामिल किए गए हैं जो राजनीतिक दृष्टि से भाजपा के लिए बहुत खास हैं। नेताओं को यह भी समझाया गया है कि इन मुद्दों की शुरुआत बातचीत में कैसे करनी है।

- स्थानीय नागरिकों से हंसी-मजाक, उनके घर परिवार का हालचाल जानना है।

- क्षेत्र के छोटे कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाना। उनकी लोगों के बीच सराहना करना, ताकि वे पार्टी के लिए जी-जान से जुटें।

- अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और उससे बढ़ने वाली पर्यटन व आर्थिक विकास पर चर्चा।

- ईआरसीपी, हिजाब प्रकरण, भजनलाल सरकार की परफॉर्मेंस, राजनेताओं के बयान, राहुल गांधी की यात्रा, कांग्रेस की रणनीति, लोकसभा चुनाव आदि।

- पीएम मोदी और उनके द्वारा पाकिस्तान पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक, कश्मीर से धारा-370 को हटाने, नारी शक्ति वंदन कानून के तहत महिलाओं को संसद व विधानसभाओं में आरक्षण देने सहित विभिन्न मुद्दों पर किए गए फैसलों पर चर्चा करनी है।

मोदी के पीएम फेस के बाद शुरू हुआ था

भाजपा ने जब वर्ष अक्टूबर-2013 में नरेन्द्र मोदी को पहली बार देश का प्रधानमंत्री बनाने (2014 के चुनाव) के लिए बतौर चेहरा घोषित किया था, तब देश भर में चाय पर चर्चा अभियान शुरू किया गया था। उस अभियान में पार्टी को सफलता मिली थी और मई-2014 में मोदी प्रधानमंत्री बन गए थे।

पीएम मोदी भी स्टेशन पर बेचते थे चाय

भाजपा के सबसे बड़े चेहरे के रूप में पीएम नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक लोकप्रियता है। वे जब किशोरावस्था में थे, तब अपने कस्बे वडनगर (गुजरात) के रेलवे स्टेशन पर चाय बेचा करते थे। इस साधारण सी पृष्ठभूमि से देश का पीएम बनने तक की उनकी राजनीतिक यात्रा लाखों लोगों को आश्चर्यजनक लगती है। नमो टी-स्टॉल और चाय पर चर्चा के माध्यम से भाजपा की पहुंच गली-मोहल्लों, नुक्कड़-चौराहों तक बन रही है। देश में बहुत से शहरों में वर्ष 2014 से अब तक हजारों नमो टी स्टॉल खुल चुकी हैं। सीएम भजनलाल जब भरतपुर में एक चाय स्टॉल पर गए थे, तब उनके साथ मौजूद रहे भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने बताया कि चाय की दुकान राजनीतिक-सामाजिक माहौल को समझने के लिए एक थर्मामीटर की तरह काम करती है।

भारत में 70-80 साल पहले तक घरों में चाय नहीं पीने का था चलन

भारत में महज 70-80 साल पहले तक घरों में चाय (Rajasthan News) नहीं पीने का चलन था। आज भारत और चीन दुनिया में सबसे ज्यादा चाय का उत्पादन और खपत करने वाले देश हैं। भारत में करीब 140 करोड़ लोगों में से 100-125 करोड़ लोग दिन में करीब दो बार (200-250 करोड़ कप) रोजाना चाय पीते हैं। इन 100 करोड़ लोगों में से बहुत से लोग दिन में तीन या चार बार तक भी चाय पीते हैं।

भारत में लगभग 10 करोड़ लोग चाय की दुकान से जुड़े हैं

भारत में लगभग 10 करोड़ लोग चाय उत्पादन क्षेत्र, विक्रय और चाय की दुकान से सीधे रोजगार से जुड़े हुए हैं। प्रत्येक शहर में लगभग हर 100-200 मीटर पर कोई न कोई चाय की दुकान मिल ही जाएगी। बड़े शहरों में अब इंजीनियर, एमबीए और अन्य उच्च शिक्षित युवा भी चाय की दुकान, स्टॉल, कैफे आदि खोलकर रोजगार पा रहे हैं। चाय से लगभग हर व्यक्ति के जुड़ाव को देखते हुए ही भाजपा ने इस अपनी रणनीति में खास स्थान पर रखा है।