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एमपी में फिर सक्रिय होगा मानसून, इन तीन संभागों के जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश के आसार

By: Ramakant Shukla | Created At: 02 September 2023 07:23 AM


मानसून द्रोणिका के दोनों छोर वर्तमान में हिमालय की तलहटी में बने हुए हैं। इस वजह से मानसून शिथिल बना हुआ है। वर्तमान में अलग-अलग स्थानों पर मौसम प्रणालियां सक्रिय होने लगी हैं। बंगाल की खाड़ी में भी तीन सितंबर को हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बनने जा रहा है, जो चार सितंबर को कम दबाव के क्षेत्र में परिवर्तित हो सकता है। उसके प्रभाव से चार सितंबर से मध्य प्रदेश में रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला शुरू होने के आसार हैं।

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मानसून द्रोणिका के दोनों छोर वर्तमान में हिमालय की तलहटी में बने हुए हैं। इस वजह से मानसून शिथिल बना हुआ है। वर्तमान में अलग-अलग स्थानों पर मौसम प्रणालियां सक्रिय होने लगी हैं। बंगाल की खाड़ी में भी तीन सितंबर को हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बनने जा रहा है, जो चार सितंबर को कम दबाव के क्षेत्र में परिवर्तित हो सकता है। उसके प्रभाव से चार सितंबर से मध्य प्रदेश में रुक-रुककर वर्षा का सिलसिला शुरू होने के आसार हैं। तीन सितंबर को उत्तर-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी में हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बनने जा रहा है। अगले दिन इस मौसम प्रणाली के कम दबाव के क्षेत्र में बदलने की संभावना है। इसके असर से चार सितंबर से पूर्वी मप्र एवं उससे लगे पश्चिमी मप्र के जिलों में वर्षा का सिलसिला शुरू हो सकता है। रुक-रुककर वर्षा का दौर चार-पांच दिन तक बना रह सकता है। बता दें कि मानसून की बेरूखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। वर्तमान में पूर्वी उत्तर प्रदेश और उससे लगे बिहार पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। दक्षिणी छत्तीसगढ़ पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात मौजूद है। उत्तर-पूर्वी बंगाल की खाड़ी में भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। इस वजह से मिल रही नमी के कारण प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर गरज-चमक के साथ छिटपुट वर्षा होने की संभावना बढ़ गई है।

राजधानी के आसपास के 10 जिलों में सूखे के आसार

कम वर्षा के कारण राजधानी भोपाल के आसपास के 10 जिलों विदिशा, रायसेन, सीहोर, नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल, राजगढ़, गुना, अशोकनगर व सागर में सूखे के आसार नजर आ रहे हैं। इन जिलों में औसत से करीब 40 फीसद कम वर्षा हुई है। इसका असर खरीफ फसलों पर पड़ रहा है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार 30 फीसद फसल खराब होने की आशंका है।

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